Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Jun, 2017 12:04 PM
मुख्य सांख्यिकीविद् टीसीए अनंत ने कहा कि नोटबंदी का जी.डी.पी. वृद्धि पर पडऩे वाले प्रभाव के बारे में विश्लेषकों के एक तबके ने जो आकलन किया था
नई दिल्लीः मुख्य सांख्यिकीविद् टीसीए अनंत ने कहा कि नोटबंदी का जी.डी.पी. वृद्धि पर पडऩे वाले प्रभाव के बारे में विश्लेषकों के एक तबके ने जो आकलन किया था, वह बढ़ा-चढ़ाकर किया गया और भ्रामक था। उन्होंने कहा कि विश्लेषण पहले से बनाई गई धारणा पर आधारित था।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसआे) ने पिछले वित्त वर्ष के लिए कल राष्ट्रीय लेखा का आंकड़ा जारी किया। इसके अनुसार 2016-17 की चौथी तिमाही में सकल मूल्य वद्र्धन (जीवीए) वृद्धि घटकर 5.6 पर आ गई जो एक साल पहले इसी तिमाही में 8.7 प्रतिशत थी। कई अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों ले आर्थिक वृद्धि में गिरावट का कारण नोटबंदी को बताया था। पिछले साल नवंबर में 500 और 1,000 रुपए के नोटों को चलन से हटा दिया गया था। इससे 87 प्रतिशत मुद्रा चलन से हट गई थी।
अनंत ने कहा कि उन्होंने नोटबंदी के अर्थव्यवस्था पर प्रभाव को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। उन्होंने कहा कि आपको दीर्घकालीन प्रवृत्ति को देखनी होती है और केवल तिमाही-दर-तिमाही आंकड़ों को नहीं। उन्होंने कहा, ‘‘कितना बढ़ा-चढ़ाकर कहा गया, मैं यह नहीं कहूंगा। मेरा कहना यह है कि चीजों को इतना सरल करके मत देखिए। पिछले साल यह था या अक्तूबर में यह इतना था और अब इतना है। इसीलिए नोटबंदी से यह गिरावट आई है।’’