Edited By ,Updated: 25 Nov, 2016 10:05 PM

500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों को वापस लेने पर सरकार को करीब 1.28 लाख करोड़ रुपए खर्च करने पड़ सकते हैं। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) ने अनुमान जताया है
नई दिल्लीः 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों को वापस लेने पर सरकार को करीब 1.28 लाख करोड़ रुपए खर्च करने पड़ सकते हैं। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) ने अनुमान जताया है कि सरकार ने नोटों को वापस लेने का जो कदम उठाया है, 50 दिन में उसकी ट्रांजैक्शन कॉस्ट करीब 1.28 लाख करोड़ रुपए होगी। इसमें से नोट बदलने के लिए कतार में खड़े लोगों को करीब 15,000 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान है। सीएमआईई का कहना है कि डिमोनेटाइजेशन पर कुल लागत इससे भी ज्यादा हो सकती है।
देश से ब्लैकमनी को खत्म करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपए के लीगल टेंडर रद्द करने का एेलान किया था। रिजर्व बैंक के अनुसार, 31 मार्च 2016 तक 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों की कुल वैल्यू 14.2 लाख करोड़ रुपए थी। इस तरह डिमोनेटाइजेशन से बाजार में सर्कुलेटेड 7.8 लाख करोड़ रुपए की वैल्यू वाली करंसी में करीब 86 फीसदी करंसी बेकार हो जाएगी। सरकार ने अब 30 दिसंबर तक का समय पुराने नोटों को बैंक में जमा करने के लिए दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने बताया कि डिमोनेटाइजेशन से सरकार को 4 से 5 लाख करोड़ रुपए का अनअकाऊंट कैश जमा होने का अनुमान है। वहीं, इकोनॉमिस्ट का अनुमान है कि यह अकाऊंट 2.5 से 5 लाख करोड़ रुपए के बीच हो सकती है।
क्या कहती है CMIEकी रिपोर्ट?
- सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार, 30 दिसंबर 2016 तक 50 दिन की अवधि में पुराने नोटों को बदलने की ट्राजैक्शन कॉस्ट 1.28 लाख करोड़ हो सकती है।
- यदि सरकार 4 लाख करोड़ रुपए की ब्लैकमनी जमा कराने में सफल हो जाती है तो यह इनकी ट्रांजैक्शन कॉस्ट करीब 26 फीसदी होगी। वहीं, यदि 3 लाख करोड़ ब्लैकमनी जमा होती है तो इसे बदलने की ट्रांजैक्शन कॉस्ट 43 फीसदी से अधिक होगी।
- सीएमआईई ने कहा है कि ये सभी अनुमान बैलेंस तरीके से लगाए गए हैं, न कि बढ़ा-चढ़ाकर और ऐसा करते हुए 50 दिनों की अवधि को ध्यान में रखा गया है।
कंपनियों को होगा 61500 करोड़ का नुकसान
- CMIE की रिपोर्ट के अनुसार, डिमोनेटाइजेशन का सबसे बड़ा नुकसान कंपनियों और कारोबारियों को उठाना पड़ सकता है। कारोबारियों को इस कदम से 61,500 करोड़ रुपए का हो सकता है, जो नोटबंदी की कुल लागत का 48 फीसदी है।
- रिपोर्ट के अनुसार, डिमोनेटाइजेशन के बाद लोगों ने बुनियादी चीजों से अलावा अन्य वस्तुओं पर अपना खर्च घटाया है। इसका कंपनियों और कारोबारियों पर कितना सीधा असर होगा। 50 दिन की अवधि में अकेले यही 50 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान है।