Edited By Anu Malhotra,Updated: 05 Dec, 2025 11:56 AM

सरकारी स्वामित्व वाले IDBI बैंक लिमिटेड के निजीकरण की प्रक्रिया अब निर्णायक दौर में पहुंच चुकी है, जहाँ सरकार और LIC मिलकर अपनी बड़ी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में हैं। $7.1$ बिलियन डॉलर (लगभग ₹60,000 करोड़) की अनुमानित कीमत वाली इस डील को लेकर...
नेशनल डेस्क: भारत सरकार ने IDBI बैंक लिमिटेड में अपनी 60.72 प्रतिशत (लगभग 7.1 बिलियन डॉलर मूल्य की) हिस्सेदारी बेचने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह कदम, जो दशकों से लंबित सरकारी बैंकों के निजीकरण की दिशा में एक निर्णायक प्रयास है, बैंक के विनिवेश प्रक्रिया को अंतिम चरण में ले जा रहा है।
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, संभावित खरीदारों के साथ बातचीत अंतिम चरण में पहुंच चुकी है, और उम्मीद है कि बैंक के लिए बोली लगाने की प्रक्रिया इसी महीने शुरू हो जाएगी। यदि यह प्रक्रिया सफल होती है, तो यह देश में किसी सरकारी बैंक का दशकों बाद होने वाला पहला निजीकरण होगा, जो भारतीय बैंकिंग परिदृश्य के लिए एक ऐतिहासिक घटना होगी।
भारी कर्ज से लाभ तक का सफर
सरकार का लक्ष्य मुंबई मुख्यालय वाले इस बैंक में अपनी बड़ी हिस्सेदारी बेचना है। यह बैंक एक समय भारी वित्तीय संकट और कर्ज के बोझ तले दबा हुआ था। हालांकि, हाल के वर्षों में मजबूत पूंजी समर्थन और संपत्ति गुणवत्ता 'क्लीनअप' प्रयासों के परिणामस्वरूप बैंक की स्थिति में बड़ा सुधार आया है।
तेजी से हुई रिकवरी ने बैंक को गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPAs) में कटौती करने में मदद की है, जिसके चलते बैंक अब मुनाफे की स्थिति में लौट चुका है। चूंकि बैंक की बैलेंस शीट अब सुधर चुकी है और यह लाभ में है, इसलिए सरकार इसे निजी हाथों में सौंपने के लिए तैयार है।
दौड़ में कौन-कौन शामिल?
शॉर्टलिस्ट किए गए संभावित खरीदार वर्तमान में बैंक का बारीकी से आकलन (ड्यू डिलिजेंस) कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार, इस बैंक को खरीदने में प्रमुख रूप से कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड, एमिरेट्स NBD PJSC, और फेयरफैक्स फाइनेंशियल होल्डिंग्स लिमिटेड ने रुचि दिखाई थी।
सरकार और LIC की भागीदारी
IDBI बैंक में केंद्र सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) की कुल मिलाकर लगभग 95 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इस बिक्री के तहत, केंद्र सरकार अपनी 30.48 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचेगी, जबकि LIC प्रबंधन नियंत्रण के हस्तांतरण के साथ अपनी 30.24 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचेगी।
खाताधारकों के लिए सुनिश्चित सुरक्षा
बैंक के निजीकरण के बाद कामकाज के तरीके में कुछ बदलाव आना तय है, लेकिन इसका बैंक खाताधारकों पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा। बैंक अकाउंट, जमा राशि, और ऋण (Loan) की शर्तें सब पहले की तरह बनी रहेंगी। वास्तव में, ग्राहकों को निजी क्षेत्र के संचालन के तहत और भी बेहतर एवं उन्नत बैंकिंग सुविधाएं मिलने की संभावना है। छोटे-मोटे प्रशासनिक बदलाव जैसे कि Login ID, Checkbook या Passbook का नवीनीकरण हो सकता है। यह पूरा घटनाक्रम आने वाले समय में बैंक के शेयरों के प्रदर्शन पर भी अपनी छाप छोड़ेगा।