Edited By ,Updated: 23 May, 2017 04:10 PM
रेलवे ने समर्पित मालवहन गलियारा (डी.एफ.सी.) बनने के पहले ही दिल्ली से मुंबई के बीच....
नई दिल्लीः रेलवे ने समर्पित मालवहन गलियारा (डी.एफ.सी.) बनने के पहले ही दिल्ली से मुंबई के बीच नए एल.एच.बी. रैक वाली एक नई राजधानी एक्सप्रेस चलाने की योजना बनाई है जो दोनों शहरों के बीच की दूरी 12 घंटे में तय करेगी। रेलवे बोर्ड के एक उच्चाधिकारी के अनुसार नई राजधानी एक्सप्रेस के ठहराव एक या दो ही होंगे और गाड़ी में दो इंजन लगाए जाएंगे। मुंबई और दिल्ली के बीच इस गाड़ी सिर्फ सूरत या वडोदरा अथवा दोनों जगह ठहराव दिया जा सकता है।
ये काम करने होंगे पूरे
अधिकारी ने बताया कि दिल्ली मुंबई रेलमार्ग को सेमी-हाईस्पीड मार्ग बनाने की योजना अलग काम करेगी। उस योजना पर दस हजार करोड़ रुपए का व्यय होना है और उसके लिए ठेका दिया जा चुका है। इस काम में पटरियों में घुमाव ठीक करना, सिगनल प्रणाली दुरुस्त करना और आबादी वाले हिस्से में फेन्सिंग करना शामिल है। अधिकारी के अनुसार स्पेन की ट्रेन टैल्गो के सफल परीक्षण से रेलवे ने सीख हासिल की कि अगर गाड़ी के चलने एवं ठहरने में लगने वाली अवधि को न्यूनतम कर दिया जाए तो वर्तमान रैक से ही दिल्ली से मुंबई 1380 किलोमीटर के इस सफर को 12 घंटे में तय किया जा सकता है। टैल्गो को अंतिम परीक्षण में 200 किलोमीटर की गति क्षमता होने के बावजूद ट्रैक व सिगनल प्रणाली की सीमाओं के कारण महज 130 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से चलाया गया था और इस गाड़ी ने दिल्ली से मुंबई सेंट्रल 11 घंटा 45 मिनट में पहुंचाया था। अभी दिल्ली-मुंबई राजधानी एक्सप्रेस इस दूरी को औसतन 16 घंटे में पूरा करती है।
ईंधन की होगी बचत
रेल अधिकारी के अनुसार यह ट्रेन दिल्ली और मुंबई दोनों स्थानों से शाम को सात बजे रवाना हो कर अगले दिन सुबह सात बजे गंतव्य पहुंचा दे। इस प्रकार से देश के महानगरों के बीच ट्रेन से रातभर में पहुंचना संभव हो सकेगा। देश की राजनीतिक प्रशासनिक राजधानी और वाणिज्यिक राजधानी के बीच ऐसी ट्रेन के लोकप्रिय होने की पूरी संभावना है। इससे कम समय के अलावा ईंधन व अन्य खर्चो में भी बचत होगी। रेलवे ने दिल्ली मुंबई और दिल्ली हावड़ा मार्ग को सेमी-हाईस्पीड बनाने की योजना को स्वीकृति दे दी है और 2019 के अंत तक डी.एफ.सी. के तैयार होते ही जहां दोनों मार्गों पर मालगाड़यिों का दबाव हटेगा वहीं सेमी-हाईस्पीड ट्रैक बनाने का काम भी पूरा होगा तभी इन दोनों मार्गों पर 160 से 200 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से गाड़ियां चल सकेगीं। पर टैल्गो के परीक्षण ने रेल अधिकारियों को वर्तमान 130 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार पर ही यात्रा अवधि घटाने के उपाय सोचने का मौका दिया और अब जल्द ही इसका परीक्षण किया जाएगा।