गुरु को मिलेगी शनि की दृष्‍टि से निजात, राशि परिवर्तन दे रहा है बड़े उलट फेर के संकेत

Edited By Updated: 28 Jul, 2016 08:56 AM

Jupiter

शास्त्रनुसार बृहस्पति देव सर्वाधिक शुभ माने जाते हैं। बृहस्पति धनु व मीन के स्वामी हैं। कर्क में वह उच्च व मकर राशि में नीच के माने जाते हैं। गुरु परम उच्च या परम नीच केवल 5 अंश तक रहते हैं। सूर्य, चन्द्र एवं मंगल के मित्र कहे जाते हैं। बुध और शुक्र...

शास्त्रनुसार बृहस्पति देव सर्वाधिक शुभ माने जाते हैं। बृहस्पति धनु व मीन के स्वामी हैं। कर्क में वह उच्च व मकर राशि में नीच के माने जाते हैं। गुरु परम उच्च या परम नीच केवल 5 अंश तक रहते हैं। सूर्य, चन्द्र एवं मंगल के मित्र कहे जाते हैं। बुध और शुक्र से शत्रु भाव रखते हैं शनि से समभाव रखते हैं। वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति अर्थात जुपिटर को गुरु की उपाधि प्राप्त है। संसार के स्मस्त प्राणियों में से बृहस्पति का प्रभाव सर्वाधिक रूप से मानव जीवन पर पड़ता है क्योंकि बृहस्पति ग्रह को भाग्य, धर्म, अध्ययन, ज्ञान विवेक, मोक्ष, दांपत्य में स्थिरता, यात्रा, क्रय-विक्रय, शयनकक्ष और अस्वस्थता व उपचार का कारक माना जाता है। बृहत पाराशर होरा शास्त्रनुसार बृहस्पति मानव जीवन में शैक्षणिक योग्‍यता, धार्मिक चिंतन, नेतृत्‍व शक्ति, संतति, वंशवृद्धि, विरासत, परंपरा, आचार-व्‍यवहार, राजनैतिक योग्‍यता, सभ्‍यता, पद-प्रतिष्‍ठा, पैरोहित्‍य, ज्‍योतिष तंत्र-मंत्र, आध्‍यात्मिक ऊर्जा, एवं तपस्‍या में सिद्धि पर अपना आधिपत्य रखता है।
 
 
 
 
शास्त्रों ने बृहस्पति ग्रह को हर तरह की आपदा-विपदाओं से धरती और मानव की रक्षा करने वाला ग्रह बताया है। कालपुरुष के सिद्धांतानुसार बृहस्पति को सातवें और नवें घर का कारक माना गया है। वैदिक ज्योतिष के पंचांग खंड अनुसार नवग्रहों के गुरु बृहस्पति देव हर तेरह माह में अपनी राशी बदलते हैं। इसी क्रम में देव गुरु ने पिछले वर्ष मंगलवार दिनांक 14.07.15 को प्रातः 07 बजकर 08 मिनट पर सिंह राशि में प्रवेश किया था। सन 2016 में देव गुरु बृहस्पति दिनांक 11.08.16 को रात 10 बजकर 24 मिनट पर सिंह राशि को त्यागकर अपने पुत्र की राशि कन्या में प्रवेश कर रहे हैं। बुध प्रधान कन्‍या राशि दोहरे स्‍वाभाव की है अतः यह गोचर कन्‍फ्यूजन भरा रहेगा। इस गोचर का प्रभाव द्वादश राशियों के मन पर दिखाई देगा। यह गोचर दोहरी मानसिकता दर्शाता है जिसके कारण कुछ लोग मन से काम करेंगे तो कुछ काम छोड़ कर पांव फैलाएंगे। गुरु के इस गोचर से गुरु-राहू के बीच बना चांडाल योग समाप्त होगा व गुरु को शनि की दृष्‍टि से निजात मिलेगी। 
 
गुरु अपने राशि परिवर्तन के साथ ही अलग-अलग नक्षत्रों में गोचर करते हैं और उनका शुभाशुभ फल हर जातक पर बदलता जाता है। बृहस्‍पति के इस राशि में गोचर करने पर विश्व को अचंभित करने वाले परिणाम देखने पड़ सकते हैं। गुरू का कन्या राशि में गोचर विवाहित जोड़ों में दरार पैदा करता है जो कभी-कभी तलाक तक भी पहुंच जाता है। गुरु के कन्या राशि के गोचर के रुझानों पर नजर डाली जाए तो हमें पता चलेगा की जब कभी गुरु बुध की राशि में आया है तब-तब धार्मिक रूप से उथल-पुथल रही है। सन 1969 व 1992 में जब गुजरात दंगे हुए व बरी विध्‍वंश के समय गुरू कन्या राशि में गोचर कर रहा था। शास्त्रनुसार इन दंगों के कारण भयंकर दंगे भड़के और जान-माल की हानि हुई। बृहस्पति के इस गोचर के कारण आर्थिक, राजनीतिक व सामाजिक उथल- पुथल रहेगी। बृहस्पति का कन्या राशि में गोचर गुरुवार दिनांक 11.08.16 को रात 10 बजकर 24 मिनट से शुरु होकर मंगलवार दिनांक 12.09.17 को प्रातः 07 बजकर 59 मिनट तक रहेगा।
 
इसी क्रम में हम आपको हर रोज मेष से लेकर मीन राशि तक गुरु के कन्या राशि में गोचर से क्या प्रभाव पड़ेगा यह बताएंगे। 
 
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com 
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