‘आपत्तिजनक परिधानों’ के बाद मंदिरों में अब ‘गांजे के प्रसाद’ पर रोक

Edited By ,Updated: 26 May, 2023 03:25 AM

after objectionable costumes now ban on ganja prasad in temples

प्रत्येक धर्म के अनुयायियों से अपने पूजा स्थल पर शुद्ध मन और स्वच्छ शरीर के साथ ही शालीन परिधान में जाने की अपेक्षा की जाती है। इसीलिए अब कुछ मंदिरों में श्रद्धालुओं के लिए ड्रैस कोड निर्धारित किए गए हैं।

प्रत्येक धर्म के अनुयायियों से अपने पूजा स्थल पर शुद्ध मन और स्वच्छ शरीर के साथ ही शालीन परिधान में जाने की अपेक्षा की जाती है। इसीलिए अब कुछ मंदिरों में श्रद्धालुओं के लिए ड्रैस कोड निर्धारित किए गए हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश में बालाजी धाम मंदिर (मुजफ्फरनगर), हनुमान जी के प्राचीन ‘गिलहरी राज मंदिर’ (अलीगढ़) तथा ‘राधा दामोदर मंदिर’ (वृंदावन) के अलावा महाराष्ट्र में उस्मानाबाद स्थित ‘तुलजा भवानी मंदिर’ में दर्शनार्थियों के कटी-फटी जींस, स्कर्ट, टी-शर्ट और मिनी जैसे संक्षिप्त परिधान पहन कर आने पर रोक लगा दी गई है। 

और अब 23 मई को ओडिशा सरकार ने राज्य में भगवान शिव के सभी मंदिरों में गांजे के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाकर संबंधित अधिकारियों को इस बारे आवश्यक कदम उठाने का आदेश दिया है। इसके अनुसार मंदिरों में गांजा चढ़ाया तो जा सकता है, परंतु इसे भक्तों के बीच सेवन के लिए प्रसाद के रूप में नहीं बांटना चाहिए। 

राज्य के संस्कृति मंत्री अश्विनी पात्रा का कहना है कि भगवती मंदिरों में पशु-बलि पर रोक की भांति ही हमें गांजे पर भी रोक लगाने की आवश्यकता है। मंदिरों में मर्यादा बनाए रखने की दृष्टि से अभद्र परिधानों और प्रसाद के रूप में गांजे जैसे नशीले पदार्थ के वितरण पर रोक दोनों ही सही निर्णय हैं, जिनसे मंदिरों के वातावरण में और बेहतरी आएगी। अत: अन्य मंदिरों में भी इसी प्रकार के नियम लागू किए जाने चाहिएं।—विजय कुमार 

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