‘लगातार बढ़ रहे भ्रष्टाचार रोकने के लिए’ चार राज्यों में उठाए गए कुछ पग

Edited By ,Updated: 15 Mar, 2015 03:52 AM

article

भ्रष्टाचार के विरुद्ध कठोर दंड प्रावधानों वाला सशक्त लोकपाल विधेयक लाने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव डालते रहे समाजसेवी अन्ना हजारे देश को जगाने में किसी सीमा तक सफल हुए हैं

भ्रष्टाचार के विरुद्ध कठोर दंड प्रावधानों वाला सशक्त लोकपाल विधेयक लाने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव डालते रहे समाजसेवी अन्ना हजारे देश को जगाने में किसी सीमा तक सफल हुए हैं और राज्य सरकारों द्वारा हरकत में आने से भ्रष्टाचार के मामले बड़ी संख्या में सामने आने लगे हैं।

* 6 मार्च को पटियाला में एन.डी.पी.एस. एक्ट के केस से बाहर निकालने के मामले में थाना अनाज मंडी के एस.एच.ओ. इंस्पैक्टर गुरचरण सिंह को 6.75 लाख रुपए रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। 
 
* 10 मार्च को गुरदासपुर सेहत विभाग का कर्मचारी हरबंस सिंह जन्म सर्टीफिकेट बारे रिपोर्ट करने के लिए 5000 रुपए रिश्वत लेता पकड़ा गया।
 
* 11 मार्च को जमीन के तबादले की एवज में 18,000 रुपए रिश्वत लेते हुए भटिंडा के गांव झुब्बा का पटवारी सुखजिंद्र सिंह गिरफ्तार किया गया। 
 
* 12 मार्च को मध्यप्रदेश के सीहोर में सेवा सहकारी समिति के एक सहायक प्रबंधक के 2 मकानों पर आर्थिक अपराध अन्वेषण विभाग के छापे में लगभग 2 करोड़ रुपए की सम्पत्ति जब्त की गई जिसमें 3 मकान, 3 दुकानें, 22 एकड़ कृषि भूमि, एक बोरिंग मशीन, एक जे.सी.बी. मशीन के कागजात, स्टेट बैंक में 2 लॉकर और सोने-चांदी के आभूषण शामिल हैं। 
 
* 13 मार्च को राजपुरा में पुलिस के सहायक इंस्पैक्टर रविंद्र किशन और कांस्टेबल हरजीत सिंह को 10 लाख रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया। उन्होंने यह राशि एक मनी एक्सचेंजर से उसे 1 करोड़ रुपए की नकदी के साथ पंजाब का शम्भू बैरियर पार करने में सहायता देने के बदले में ली थी। 
 
उक्त घटनाओं से स्पष्ट है कि लगभग रोज ही भ्रष्टाचार के मामले पकड़े जा रहे हैं। भ्रष्टाचार पर नकेल डालने के लिए ही चंद राज्यों में लोकायुक्त बनाए गए हैं जो वहां अच्छा काम कर रहे हैं।
 
राजस्थान सरकार ने 12 अप्रैल, 2012 को एक महत्वपूर्ण भ्रष्टाचार विरोधी कानून पारित किया था जिसके अंतर्गत प्रदेश सरकार को अपने बाबुओं द्वारा भ्रष्ट तरीकों से एकत्रित बेहिसाबी सम्पत्ति जब्त करने का अधिकार दिया गया।
 
बिहार तथा ओडिशा में पहले से ही मौजूद कानूनों के आधार पर तैयार किया गया यह कानून प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर उन सभी लोगों को अपने अधिकार क्षेत्र के अधीन लेता है जो सरकार के कोष से वेतन प्राप्त करते हैं और इसमें न्यायिक अधिकारी भी शामिल हैं।
 
बिहार में इस कानून के अंतर्गत अनेक बाबुओं की सम्पत्तियां जब्त की जा चुकी हैं और पटना में एक उच्चाधिकारी के अच्छे-खासे बड़े मकान को जब्त करके वहां बच्चों के लिए एक स्कूल खोला जा चुका है।
 
भ्रष्टाचार विरोधी पगों की इसी शृंखला में अब छत्तीसगढ़ विधानसभा ने वीरवार 12 मार्च को एक भ्रष्टाचार निरोधक विधेयक पारित किया है जिसके अंतर्गत अनुचित तरीकों से सम्पत्ति जमा करने वालों की प्रापर्टी जब्त करने के व्यापक अधिकार सरकार को दिए गए हैं।
 
‘छत्तीसगढ़ स्पैशल कोट्र्स बिल 2015’ के अंतर्गत सरकारी कोष से किसी भी रूप में वेतन प्राप्त करने वालों को इसके दायरे में लाया गया है जिनमें राज्य की न्यायिक सेवाओं सहित मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों सहित सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को शामिल किया गया है। 
 
मुख्यमंत्री रमन सिंह के अनुसार इसका उद्देश्य भ्रष्टाचार के प्रति राज्य की शून्य सहनशीलता की नीति को प्रभावशाली ढंग से लागू करना और भ्रष्टाचार के मामलों का जल्द से जल्द निपटारा सुनिश्चित बनाना है।
 
आज भ्रष्टाचार देश में इस कदर गहरी जड़ें जमा चुका है कि जन्म के प्रमाणपत्र से लेकर मृत्यु का प्रमाणपत्र लेने तक के लिए लोगों को रिश्वत देनी पड़ रही है। ऐसे में राज्य सरकारों द्वारा सिर्फ कानून बनाना ही काफी नहीं बल्कि उन्हें पूरी ईमानदारी के साथ प्रभावशाली तरीके से लागू करना भी आवश्यक है और जिन राज्यों में इस तरह के कानून नहीं हैं वहां ऐसे कानून यथाशीघ्र बनाए जाने चाहिएं।  
 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!