पाकिस्तान के नजरिए में बदलाव यह मजबूरी है या सद्भावना!

Edited By ,Updated: 18 Jul, 2019 02:20 AM

change in pakistan s perspective is compulsion or goodwill

भारत से वर्षों की शत्रुता के बाद भी जब पाकिस्तान कुछ न पा सका तो नवाज शरीफ ने 21 फरवरी, 1999 को श्री वाजपेयी को लाहौर आमंत्रित करके परस्पर मैत्री व शांति के लिए लाहौर घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए। तब आशा बंधी थी कि अब इस क्षेत्र में शांति का नया...

भारत से वर्षों की शत्रुता के बाद भी जब पाकिस्तान कुछ न पा सका तो नवाज शरीफ ने 21 फरवरी, 1999 को श्री वाजपेयी को लाहौर आमंत्रित करके परस्पर मैत्री व शांति के लिए लाहौर घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए। 

तब आशा बंधी थी कि अब इस क्षेत्र में शांति का नया अध्याय शुरू होगा परंतु इसके कुछ ही समय बाद मुशर्रफ ने नवाज का तख्ता पलट कर उन्हें जेल में डाल दिया और सत्ता हथियाने के बाद देश निकाला दे दिया। नवाज शरीफ 2013 में तीसरी बार प्रधानमंत्री बने परंतु इससे पूर्व कि वह भारत के साथ संबंध सामान्यीकरण की दिशा में और आगे बढ़ते, नवाज शरीफ को फिर सत्ता से हाथ धोना पड़ा। दोनों देशों में संबंधों में कुछ बदलाव का एक संकेत 18 अगस्त, 2018 को मिला जब इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने। 

भारत से संबंधों में सुधार की दिशा में ताजा उदाहरण इस साल 17 जुलाई को मिला जब भारत सरकार के दबाव पर पाकिस्तान सरकार ने 2008 के मुम्बई हमले समेत भारत में कई हमलों के मास्टर माइंड जमात-उद-दावा के सरगना हाफिज सईद को गिरफ्तार कर लिया। इसके एक दिन पहले ही 16 जुलाई, 2019 को पाकिस्तान सरकार ने बालाकोट एयर स्ट्राइक के 139 दिन बाद अपना हवाई क्षेत्र भारतीय असैन्य उड़ानों के लिए खोल दिया जिससे दोनों देशों में हवाई परिवहन फिर शुरू हो गया है। इसके अलावा भी उसने पिछले कुछ समय के दौरान भारत से संबंधों में सुधार की दिशा में कुछ पग उठाए। इसी शृंखला में पाकिस्तान ने गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती पर श्री करतारपुर साहिब गलियारा खोलने का संकेत दिया जिस पर पाकिस्तान वाले क्षेत्र में 70 प्रतिशत से अधिक काम पूरा हो गया है। 

यही नहीं इमरान खान ने भारत में लोकसभा के चुनावों से पहले ही 9 अप्रैल को एक बार फिर मोदी सरकार बनने की इच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि यदि भारत में नरेंद्र मोदी सरकार दोबारा चुनाव जीतती है तो भारत के साथ शांति वार्ता के लिए अच्छा होगा। हालांकि बालाकोट में भारत की सजकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने अपने हवाई क्षेत्र से भारतीय विमानों को उडऩे से रोक दिया था परंतु इमरान खान ने गत मास बिश्केक में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में जाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के विमान को अपने हवाई क्षेत्र के ऊपर से उड़ान भरने की अनुमति भी दी (जिसे भारत ने स्वीकार नहीं किया)। 

इमरान सरकार के उक्त निर्णय पाकिस्तानी शासकों की विचारधारा में आ रहे कुछ सकारात्मक बदलाव का संकेत देते हैं। अब यह तो समय ही बताएगा कि इमरान खान ने ये कदम सद्भावना के वशीभूत उठाए या किसी मजबूरी में। बहरहाल यह सिलसिला जारी रहने से दोनों देशों के संबंध सुधरने में कुछ मदद अवश्य मिलेगी।—विजय कुमार 

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