चीयर लीडर्स क्रिकेट के खेल के चरित्र की हत्या कर देंगी

Edited By ,Updated: 05 Jun, 2023 04:32 AM

cheerleaders will character assassinate the game of cricket

अगरआप चाहें तो मुझे डायनासोर  कह सकते हैं लेकिन एक शौकिया क्रिकेट प्रेमी के रूप में मैं दोस्तो, परिवार के सदस्यों के दबाव के बावजूद इंडियन प्रीमियर लीग (आई.पी.एल.) के खिलाफ दृढ़ता से रहा हूं जिसमें मेरी पोती भी शामिल है। इ

अगरआप चाहें तो मुझे डायनासोर  कह सकते हैं लेकिन एक शौकिया क्रिकेट प्रेमी के रूप में मैं दोस्तो, परिवार के सदस्यों के दबाव के बावजूद इंडियन प्रीमियर लीग (आई.पी.एल.) के खिलाफ दृढ़ता से रहा हूं जिसमें मेरी पोती भी शामिल है। इसलिए यह आदमी के एक और पतन की तरह था जब मैंने खुद को बिस्तर पर बैठा हुआ पाया क्योंकि टी.वी. पर एक असाधारण घटना ने मुझे बांधे रखा। यह विश्वास से परे सम्मोहक था। 

शुभमन गिल बैले डांसर की तरह अपने पैरों पर स्ट्रोक लगा रहे थे। बॉल में गति और स्पिन थी। गिल क्षेत्र रक्षकों के बीच बड़ी सटीकता के साथ ड्राइव कर रहे थे। वे कट लगा रहे थे और हुक कर रहे थे। उनके द्वारा पहने जाने वाले कपड़ों के अलावा ऐसा कुछ भी नहीं था जो पुराने सांचे से बाहर हो। 

आई.पी.एल. के साथ पहली समस्या कपड़ों का भड़कीलापन होना है। मेरी याद में जो क्रिकेट चलता है वह मेरे स्कूल के दिनों में वापस चला जाता है। जैसे ही मेहमान टीम, मान लीजिए वैस्ट इंडीज की घोषणा की गई तो मेरी स्क्रैप बुक ब्रॉडशीट के आकार की हो गई। पहला वार्मअप मैच पुणे में था। ज्यादातर क्रिकेट बोर्ड प्रैजीडैंट 11 के खिलाफ था। इसके बाद पूरी तरह से पांच टैस्ट सीरीज खेली गई। कानपुर को छोड़ कर सभी स्थल राजधानी शहर थे। मेरे गृह नगर यू.पी. की राजधानी लखनऊ को क्यों नजरअंदाज किया गया? 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान शहर के हठधर्मी प्रतिरोध के लिए लखनऊ में परीक्षण स्थल नया होने के कारण यह अंग्रेजों द्वारा दी गई सजा का हिस्सा था। एक प्रमुख खेल स्थल से इंकार अन्य प्रमुख इंकारों का केवल एक हिस्सा था जैसे उच्च न्यायालय इलाहाबाद के लिए प्रमुख विश्व विद्यालय, उद्योग कानपुर के लिए जहां ग्रीन पार्क स्टेडियम है। 


ॉॉभारत-वैस्टइंडीज टैस्ट मैच क्रिकेट के साथ मेरे रोमांस की शुरूआत थी। यह सफेद बनाम हरा था। वेस्ले हॉल  का खतरनाक रन-वे था। सुभाष गुप्ते का लैग ब्रेक था। कभी-कभी समकोण पर मुडऩा आनंददायक अनुभव था। गुप्ते ने उस मैच में 9 विकेट लिए थे। हंट, होल्ट, कन्हाई, गैरी सोबर्स, बूचर लाइनअप ने उन्हें अजेय पाया । सोबर्स गुप्ते की तुलना शेनवार्न से कैसे करते हैं यह जानना दिलचस्प होगा। उन्होंने दोनों को देखा और मेरा मानना है कि उनके द्वारा निकाले गए विशाल टर्न में तुलना करने के लिए कुछ है। रोहन कन्हाई की बैटिंग मेरे जीवन में सबसे सुखद पलों में से एक है। यह मेरे द्वारा देखी गई तीन पारियों में से श्रेष्ठ थी। तीनों में उन्होंने शतक नहीं लगाया था। 

जैसा कि मैंने पहले उल्लेख किया था। गुप्ते ने वैस्टइंडीज को 222 रनों पर समेट दिया था। क्रिकेट के संयोगों में से एक बात यह थी कि भारत भी ठीक उसी स्कोर पर ऑल आऊट हो गया था जब हंट और होल्ट दूसरी पारी के लिए बाहर गए तो खेल एक पारी के टैस्ट मैच जैसा दिखने लगा था। हंट शून्य पर आऊट हो गए। दोनों ही विकेट पॉली उमरीगर ने लिए। स्थिति विकट थी और कन्हाई जोकि होल्ट के विकेट गिरने के बाद क्रीज पर आए थे, ने अपना रुख भी नहीं अपनाया था। हंट के विकेट के बाद दूसरे छोर पर गैरी सोबर्स आए थे। जैसे ही हम लकड़ी के तख्तों पर बैठे तो एक सन्नाटा पूरे मैदान पर छा गया। 

उमरीगर ओवर खत्म करने के लिए अपनी छाप छोड़ गए। कन्हाई  ने एक कवर ड्राइव मारा। उन्होंने ऑन ड्राइव, स्क्वॉयरकट, पुल, लैग ग्लांस लगाए और क्षेत्र रक्षकों को भेदते चले गए। हर शॉट घास को सहलाते हुए  बाऊंड्री के पार गया। सोबर्स दूसरे छोर पर देख रहे थे। कन्हाई की 40 प्लस की छोटी पारी ने गेंदबाजी को इतना आसान बना दिया कि सोबर्स 190 प्लस पर चले गए जिससे टीम का कुल स्कोर 400 से अधिक हो गया और वैस्टइंडीज मैच जीत गया। सोबर्स की उत्कृष्ट पारी थी लेकिन यह कन्हाई थे जिन्होंने वैस्टइंडीज के ड्रैसिंग रूम में आत्मविश्वास पैदा किया। कुछ मायनों में कन्हाई की पारी सोबर्स के प्रभावशाली स्कोर से अधिक कीमती रही। 

मेरे जीवन की अन्य दो कैमियो पारियां पाकिस्तान के मकसूद अहमद (जैसा कि उन्हें मैक्सी कहा जाता था) और नील हार्वे ने मेरे लड़कपन के स्थानों लखनऊ और कानपुर में निभाई थी। मकसूद की पारी ने अहम भूमिका निभाई जिसे नंबर 4 के बल्लेबाज कुछ जल्दी विकेट गिरने के बाद खेलते हैं। अभिजात तिरस्कार के साथ उन्होंने मैदान को चारों ओर से काट दिया। शाम को इस्लामिया कालेज के छात्रों ने उनका नाम लिया इसलिए नहीं कि उन्होंने भारतीय गेंदबाजों की पिटाई की बल्कि इसलिए कि वह रॉयल होटल के खुले बार में बीयर पी रहे थे जहां टीम रुकी थी। 

सभी पारियों के गीतों को मैंने संजोया है जिनमें रेशमी ग्राऊंड स्ट्रोक शामिल हैं। 1948-49 में भारत आए गैरी गोमेज जैसे पारखी ने पोर्ट ऑफ स्पेन में मेरे ग्राऊंड स्ट्रोक पूर्वाग्रह का उत्साहपूर्वक समर्थन किया। वे रनआऊट में शामिल थे जब बीकस 90 रन पर थे। अगर उन्होंने अपना शतक पूरा किया होता तो यह एक सर्वकालिक रिकार्ड होता। यानी कि 5 टैस्ट मैचों में 6 शतक। ब्रैडमैन के बाद उनके जैसा कोई दूसरा नहीं हुआ। 48 टैस्ट मैचों में सर एवर्टन ने केवल 2 छक्के लगाए। मगर आज की क्रिकेट की दुनिया में मुझे ऐसा लगता है कि ग्राऊंड पर नाचती चीयर लीडर्स क्रिकेट के खेल का चरित्र खत्म कर देंगी। जहां वे लोगों का खिलाडिय़ों से ज्यादा अपनी ओर ध्यान आकॢषत करती हैं।-सईद नकवी         

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