अब इसराईल की न्यायपालिका खतरे में

Edited By ,Updated: 27 Mar, 2023 03:30 AM

now israel s judiciary is in danger

कुछ वर्ष पहले तक यह माना जाता था कि एशिया में चार बड़े लोकतंत्र हैं- तुर्की, इसराईल, भारत और जापान। परंतु 10 वर्ष पूर्व एर्दोगान के शासन के अधीन आने के बाद तुर्की तानाशाही में बदल चुका है और 1948 में अस्तित्व में आने वाला पढ़े-लिखे और मजबूत...

कुछ वर्ष पहले तक यह माना जाता था कि एशिया में चार बड़े लोकतंत्र हैं- तुर्की, इसराईल, भारत और जापान। परंतु 10 वर्ष पूर्व एर्दोगान के शासन के अधीन आने के बाद तुर्की तानाशाही में बदल चुका है और 1948 में अस्तित्व में आने वाला पढ़े-लिखे और मजबूत लोकतांत्रिक विचारधारा के लोगों तथा बड़ी संख्या में नोबेल पुरस्कार विजेताओं का देश इसराईल भी कुछ उसी ओर बढ़ रहा लगता है। 

इसराईल एक ऐसा देश है जिसने अपना निर्माण स्वयं किया है। इसके नेताओं ने अपने आसपास आक्रामकता का वातावरण समाप्त करने के लिए सऊदी अरब, कतर, यू.ए.ई., ईरान और मिस्र तक से समझौता किया, परंतु अब वहां भी आंतरिक तनातनी और टकराव का वातावरण बन गया है। तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने बेंजामिन नेतन्याहू के विरुद्ध भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं जिनसे स्वयं को बचाने या पूरे देश की शक्ल बदलने के लिए अपने देश की न्यायपालिका को ही बदलने पर आमादा हो गए हैं। 

नेतन्याहू चाहते हैं कि न्यायपालिका के लिए जजों के चुनाव के लिए 11 जजों का एक पैनल बनाया जाए जिनमें से 7 जज सरकार की ओर से नियुक्त किए गए हों जो यह फैसला करें कि किसे जज बनाना है और किसे नहीं। इसी मकसद से 24 मार्च को उनकी सरकार ने अनेक प्रस्तावित विवादास्पद विधेयकों में से एक विधेयक पास कर दिया जिसके अनुसार अब देश की सुप्रीमकोर्ट प्रधानमंत्री को अयोग्य करार देकर उसे पद से नहीं हटा सकेगी तथा केवल शारीरिक और दिमागी तौर पर अक्षम होने पर ही उसे अस्थायी तौर पर हटाया जा  सकेगा और वह भी तीन-चौथाई सांसदों का समर्थन होने पर। 

नए कानून द्वारा प्रधानमंत्री पर चल रहे भ्रष्टाचार के मामलों को अनुपयुक्त समझे जाने पर कानूनी बदलाव किया जा सकेगा। न्यायिक नियुक्तियों के अलावा इसमें संसद को यह अधिकार भी मिल गया है कि पसंद न आने पर वह सुप्रीमकोर्ट के फैसले को पलट भी सकेगी। नेतन्याहू द्वारा किए जा रहे बदलावों के विरुद्ध भारी प्रदर्शन हो रहे हैं और देश की 90 लाख की आबादी में से 5 लाख लोग इस प्रदर्शन में शामिल हैं जो 1982 के बाद इसराईल में होने वाला सबसे बड़ा प्रदर्शन है। 

इस प्रदर्शन में देश की सेना भी शामिल है जिसका कहना है कि हम न्यायपालिका पर हाथ डालने वाले देश की सुरक्षा क्यों करें? इसराईल में नेतन्याहू द्वारा न्यायपालिका को कब्जे में लेने के प्रयास के विरुद्ध यह आंदोलन बहुत बड़ा है। अब यह देखना होगा कि भावी घटनाक्रम क्या रूप धारण करता है। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Gujarat Titans

Chennai Super Kings

Match will be start at 23 May,2023 07:30 PM

img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!