क्षमता से अधिक भीड़ के कारण पंजाब की जेलें बनीं ‘अपराधों के अड्डे’

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Jun, 2017 11:21 PM

prison in punjab due to overcrowding of power   bases of crimes

लगभग समूचे देश की जेलों में ही क्षमता से अधिक कैदी भरे हुए होने के कारण....

लगभग समूचे देश की जेलों में ही क्षमता से अधिक कैदी भरे हुए होने के कारण ये अनेक अव्यवस्थाओं का शिकार हो गई हैं। इससे जहां जेलों में अव्यवस्था और अपराध बढ़ रहे हैं वहीं अधिक भीड़ और दूषित वातावरण में रहने से कैदी विभिन्न रोगों के शिकार हो रहे हैं। 

पंजाब की जेलों के भी इसी समस्या का शिकार होने के कारण पंजाब सरकार ने इंडियन इंस्टीच्यूट आफ मैनेजमैंट, अहमदाबाद (आई.आई.एम.-ए.) को राज्य की 26 जेलों में भीड़ की समस्या दूर करने और इनके कायाकल्प संबंधी सुझाव देने को कहा था। इसने अपनी रिपोर्ट में पंजाब की जेलों में लंदन की हाई सिक्योरिटी वाली ‘बेलमार्श जेल’ की तर्ज पर कोठरियां बनाने का सुझाव दिया है। आई.आई.एम-ए के निदेशक श्री धीरज शर्मा के अनुसार राज्य की जेलों में निर्धारित 23,610 कैदियों की क्षमता से 11.10 प्रतिशत अधिक कैदी रखे गए हैं। 

रिपोर्ट के अनुसार राज्य की 9 केंद्रीय जेलों में 15,762 कैदी रखने की क्षमता के मुकाबले 17,188 कैदी रखे गए हैं। इसी प्रकार कुल 3,181 क्षमता वाली 6 जिला जेलों में 3,756 कैदी रखे गए हैं जबकि राज्य की एकमात्र ‘मैक्सिमम सिक्योरिटी नाभा जेल’ में 462 कैदियों के स्थान पर 1,170 कैदी रखे गए हैं जो इसकी क्षमता से 153.24 प्रतिशत अधिक है। इस अध्ययन के क्रम में राज्य की जेलों में कैदियों के स्वास्थ्य की ‘रैंडम’ जांच भी की गई जिसमें यह तथ्य उजागर हुआ कि 20 प्रतिशत कैदियों को सही भोजन नहीं मिल रहा तथा अधिकांश कैदी खुजली, हर्निया, मानसिक तनाव, डायबिटीज और गुर्दे की पथरी की तकलीफ से पीड़ित हैं। 

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘कैदियों द्वारा रजाइयां और कंबल आपस में मिल-बांट कर इस्तेमाल करने से त्वचा रोग बढ़ रहे हैं। राज्य की जेलों में संक्रामक त्वचा रोग तेजी से फैल रहे हैं जिनसे प्रभावशाली रूप से निपटने की जरूरत है। यही नहीं, अशुद्ध हवा और पानी के कारण कैदियों को सांस और पेट के रोग जकड़ रहे हैं। राज्य की जेलों में शौचालयों और स्नानघरों की भी कमी है।’’ तरह-तरह की बीमारियों से ग्रस्त होने के कारण कैदियों में क्रोध और चिड़चिड़ेपन की भावना पैदा हो रही है जिस कारण जेलों में गुंडागर्दी तथा कैदियों में गुटबाजी और लड़ाई-झगड़े आम हो गए हैं। राज्य की जेलों में नशीले पदार्थों संबंधी अपराधों में बंद कैदियों के संबंध में कहा गया है कि उनके लिए काऊंसलिंग की व्यवस्था करने की जरूरत है। इस संबंध में राज्य सरकार को नाइजीरियाई जेलों वाली रणनीति अपनाने की सलाह दी गई है जहां नशेडिय़ों को कभी भी अकेला नहीं छोड़ा जाता। 

प्रो. शर्मा के अनुसार जेलों में भीड़ की समस्या सुलझा देने से कैदियों द्वारा आपस में नशीली सूइयों के आदान-प्रदान पर भी अंकुश लग सकेगा। आई.आई.एम.-ए. ने सी.पी.सी. की धारा 273 में संशोधन करके ‘पक्के अपराधियों’ की पेशी वीडियो कांफ्रैंसिंग से करने के अलावा मुकद्दमों का तेजी से निपटारा करने की सिफारिश भी की है। श्री शर्मा के अनुसार राज्य की जेलों में  कैदियों से बरामद होने वाले मोबाइल फोन जब्त करने के स्थान पर जेलों में कैदियों की बातचीत सुनने के लिए एक ‘साइबर सैल’ स्थापित करने की जरूरत है। इस प्रकार मिलने वाली जानकारी गुप्तचर एजैंसियों के लिए ‘सोने की खान’ साबित हो सकती है। यही नहीं हमारी जेलें वर्षों से घोर कुप्रबंधन तथा प्रशासकीय निष्क्रियता की शिकार होने के कारण क्रियात्मक रूप से अपराधियों द्वारा अपनी अवैध गतिविधियां चलाने का ‘अड्डा’ बन कर रह गई हैं। 

कैद काट रहे अपराधियों ने जेलों में रहते हुए नशे व अन्य प्रतिबंधित चीजें वहां लाने और अपना धंधा चलाने के अनेक तरीके ढूंढ लिए हैं परंतु  अधिकांश जेलों में ‘बॉडी स्कैनर’ आदि द्वारा समुचित जांच प्रबंध न होने के कारण जेल अधिकारियों को प्रतिबंधित चीजों का पता लगाने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। उक्त हालात के दृष्टिïगत राज्य की जेलों में भीड़ व अन्य त्रुटियां दूर करने, बॉडी स्कैनर आदि लगाने, सफाई की व्यवस्था करने की तत्काल जरूरत है। इसके लिए छोटे-मोटे अपराधों में बंदी कैदियों को रिहा करने पर भी विचार किया जा सकता है जो अपनी सजा की अवधि के बराबर कैद मुकद्दमे की सुनवाई पूरी होने से पहले ही भुगत चुके हैं।—विजय कुमार 

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