Breaking




भाजपा और शिवसेना के बीच महाराष्ट्र में टिकट बंटवारे को लेकर तनाव के संकेत

Edited By ,Updated: 11 Aug, 2019 01:13 AM

signs of tension between bjp and shiv sena over ticket sharing in maharashtra

शिवसेना और भाजपा के नेताओं में एक-दूसरे से रूठने और मनाने का खेल चलता ही रहता है। इसी के अनुरूप इस वर्ष 28 जनवरी को शिवसेना ने 2019 के लोकसभा चुनाव अकेले लडऩे की घोषणा कर दी थी परन्तु बाद में भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लडऩे को राजी हो गए। इसीलिए दोनों...

शिवसेना और भाजपा के नेताओं में एक-दूसरे से रूठने और मनाने का खेल चलता ही रहता है। इसी के अनुरूप इस वर्ष 28 जनवरी को शिवसेना ने 2019 के लोकसभा चुनाव अकेले लडऩे की घोषणा कर दी थी परन्तु बाद में भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लडऩे को राजी हो गए। इसीलिए दोनों दलों के महाराष्ट्र में इकट्ठे चुनाव लडऩे की आशा थी परन्तु 3 तलाक और अनुच्छेद 370 समाप्त करने के बाद सफलता के रथ पर सवार भाजपा ने महाराष्ट्र के लिए एक ‘प्लान बी’ तैयार कर लिया है।

इसके अंतर्गत भाजपा अपनी वर्तमान स्थिति का लाभ उठाते हुए अधिकतम सीटों पर चुनाव लडऩे और चुनावों के बाद मुख्यमंत्री की सीट पर भी दावा करने का इरादा रखती है जिसके बारे में प्रेक्षकों का कहना है कि यह प्रस्तावित योजना शिवसेना को परेशान करके गठबंधन को संकट में डाल कर दोनों दलों को अलग-अलग चुनाव लडऩे के लिए विवश कर सकती है। एक भाजपा नेता का कहना है कि नए फार्मूले के अनुसार दोनों दल उतनी ही सीटों पर चुनाव लड़ेंगे जितनी उन्होंने 2014 में जीती थीं। 20 सीटें भाजपा के छोटे गठबंधन सहयोगियों के लिए छोड़ी जाएंगी जो भाजपा के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ेंगे और दोनों दलों में वही सीटें आपस में बराबर-बराबर बांटी जाएंगी जिन पर उनकी 2014 में हार हुई थी। 

इस प्रकार भाजपा की कुल सीटें 185 हो जाएंगी और शिवसेना 103 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। प्रदेश पार्टी प्रधान चंद्रकांत पाटिल ने इसकी पुष्टिï करते हुए कहा कि‘‘अपनी जीती हुई सीटें हम किसी दूसरी पार्टी के लिए क्यों छोड़ें। हमें आशा है कि शिवसेना को यह मालूम है कि वे कितने पानी में हैं। लिहाजा वे इस फार्मूले को स्वीकार कर लेंगे।’’ एक अन्य भाजपा नेता के अनुसार, ‘‘2014 के विपरीत इस बार भाजपा नेता शिवसेना से गठबंधन करने के लिए बेचैन नहीं हैं और शिवसेना से अपनी शर्तों पर ही गठबंधन करेंगे। इस बार दिल्ली से कोई बड़ा नेता उद्धव ठाकरे का अहं संतुष्ट करने के लिए मुम्बई नहीं आएगा और शिवसेना के साथ भाजपा ये शर्तें मानने पर ही गठबंधन करेगी वर्ना अपने दम पर चुनाव लड़ेगी।’’ 

दूसरी ओर शिवसेना के एक नेता का कहना है कि ‘‘आदित्य ठाकरे की जन आशीर्वाद यात्रा को महाराष्ट्र में भारी समर्थन मिल रहा है। लिहाजा इस बार हम अकेले चुनाव लडऩे को तैयार हैं। हमें मालूम है कि भाजपा ऐसी पार्टी नहीं है जिस पर आंख मूंद कर विश्वास कर लिया जाए।’’ ‘‘उन्होंने हमें 2014 के विधानसभा चुनावों में धोखा दिया था और हमें इस बार भी यही आशंका है। अंतर सिर्फ इतना है कि 2014 में हम तैयार नहीं थे परन्तु 2019 में हम अकेले चुनाव लडऩे के लिए तैयार हैं।’’ कुल मिलाकर एक बार फिर दोनों गठबंधन सहयोगियों में कटुता के अंकुर फूट रहे दिखाई देते हैं। लिहाजा कहना कठिन है कि चुनावों में इनका गठबंधन के प्रति क्या नजरिया होगा। अलबत्ता इतना तय है कि यदि इन दोनों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा तो दोनों दल घाटे में रहेंगे।—विजय कुमार             

Let's Play Games

Game 1
Game 2
Game 3
Game 4
Game 5
Game 6
Game 7
Game 8

Related Story

    Trending Topics

    IPL
    Royal Challengers Bengaluru

    190/9

    20.0

    Punjab Kings

    184/7

    20.0

    Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

    RR 9.50
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!