अब राजस्थान की मुख्यमंत्री के लिए अस्थायी हैलीपैड पर लाखों लीटर पानी बर्बाद

Edited By ,Updated: 05 May, 2016 01:36 AM

waste water

देश में भीषण गर्मी और पानी के अभाव से लोगों के लिए भारी समस्या खड़ी हो गई है। इस समय छत्तीसगढ़ के 27 में से 25, झारखंड के 24 में 22,

देश में भीषण गर्मी और पानी के अभाव से लोगों के लिए भारी समस्या खड़ी हो गई है। इस समय छत्तीसगढ़ के 27 में से 25, झारखंड के 24 में 22, मध्यप्रदेश के 51 में 46, कर्नाटक के 30 में 27, ओडिशा के 30 में 27, आंध्र के 13 में 10, तेलंगाना के 10 में से 7, यू.पी. के 75 में 50, महाराष्ट के 36 में 21 तथा राजस्थान के 33 में से 19 जिले भारी सूखे की लपेट में हैं।

 
इतना ही नहीं देश में रासायनिक खादों, कीटनाशकों आदि के अत्यधिक इस्तेमाल और जलस्रोतों में विभिन्न कल-कारखानों, चमड़ा शोधन और शराब डिस्टिलरियों का विषैला पानी अंधाधुंध छोडऩे से अनेक राज्यों जैसे कि पंजाब, बंगाल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि में भूमिगत जल खतरनाक हद तक विषैला हो गया है जिससे लोगों को गंभीर बीमारियां घेर रही हैं।
 
जहां राजस्थान के 1.21 लाख से अधिक गांवों व ढाणियों में से 29,000 से अधिक गांवों व ढाणियों में पेयजल का संकट है वहीं 22,254 ढाणियों व गांवों का पानी प्रदूषित हो जाने के कारण पीने के अयोग्य हो चुका है तथा राज्य की एक चौथाई जनता विषैला पानी पीने के लिए मजबूर है। 
 
बाड़मेर जिला इसका सर्वाधिक शिकार है जहां 9963 गांव और ढाणियां प्रदूषित पानी की समस्या से जूझ रही हैं जबकि जोधपुर जिले में 4470, नागौर में 1162,भरतपुर में 700, जयपुर में 668, जालौर में 651, टोंक में 531, जैसलमेर में 392, चुरू में 382,अलवर में 361, राजसमंद में 355, डोंगरपुर में 310 गांवों और ढाणियों के लोग प्रदूषित पानी पी रहे हैं।
 
कुल 22,254 गांव-ढाणियों में से 7056 गांव-ढाणियों के पानी में फ्लोराइड, 13,814 गांव-ढाणियों में सैलीनिटी, 1370 गांव-ढाणियों में नाइट्रेट और 14 गांव-ढाणियों के पानी में लौह प्रदूषण पाया गया है। जयपुर के निकट जमडोली स्थित सरकारी स्पैशल होम में गत दिनों दूषित भोजन और पानी के परिणामस्वरूप ही 7 बच्चों सहित 12 लोगों की मृत्यु हो गई।
 
 लोग तो सूखे और प्रदूषित पानी की समस्या से जूझ रहे हैं परन्तु दूसरी ओर हमारे राजनेताओं के लिए पानी निर्ममता से बहाया जा रहा है। इसका नवीनतम उदाहरण पुष्कर में मिला जब राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे 3 मई को वहां एक रोप-वे का लोकार्पण करने पहुंचीं।
 
समारोह स्थल से मात्र अढ़ाई किलोमीटर दूर स्थायी हैलीपैड होने के बावजूद इसके नजदीक एक अस्थायी हैलीपैड बनवाया गया जिस पर छिड़काव के लिए लगभग 7 लाख लीटर पानी बर्बाद किया गया। 
 
  इस बारे में अजमेर के एस.डी.एम. एच.एल. मीणा का कहना है कि ‘‘चूंकि मुख्यमंत्री का दौरा बहुत कम अवधि का था, लिहाजा उनकी सुविधा को ध्यान में रखते हुए हमने एक नया हैलीपैड बनवाया।’’ 
 
पानी के टैंकरों के मालिक ‘शैतान सिंह’ को उच्चाधिकारियों ने समूचे इलाके पर पानी छिड़कवाने का आदेश दिया था ताकि धूल न उड़े और वह पिछले 3 दिनों से यहां पानी का छिड़काव कर रहा था जिसके लिए 6000 लीटर क्षमता के 40 टैंकर इस्तेमाल किए गए।
 
एक ओर तो शेष देश के जल पीड़ितों की भांति राजस्थान के लोग शुद्ध पानी की एक-एक बूंद को तरस रहे हैं और दूसरी ओर चंद ऐसे नेतागणों की सुविधा के लिए इस प्रकार पानी नष्टï किया जा रहा है जो कार द्वारा भी  मात्र अढ़ाई किलोमीटर की दूरी तय करना गवारा नहीं करते। 
 
यदि हमारे नेतागण और शासन की बागडोर संभालने वाले बुद्धिजीवी और अधिकारी ही पानी की इस प्रकार बर्बादी करेंगे तो फिर आम जनता से पानी की बचत करने की क्या अपेक्षा की जा सकती है।       
                              
आज समस्त विश्व में जल संकट गहराता जा रहा है और 2050 तक स्थिति अत्यंत भयावह हो जाने की आशंका व्यक्त की जा रही है। ऐसे में कुछ कष्टï सह कर भी जल व जल स्रोतों को बचाना समय की मांग है। इसलिए जहां जल संकट नहीं भी है वहां भी लोगों को पानी नष्टï करने से बचना चाहिए और पीने के लिए भी अपनी जरूरत के अनुसार ही पानी लेना चाहिए।
 
इसी भावना से एक ओर जहां चंद लोग पीड़ितों की मदद करने व जल संरक्षण के प्रशंसनीय प्रयासों में जुटे हैं वहीं मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जैसों द्वारा पानी की यूं बर्बादी करना निश्चित रूप से अनुचित है।
 

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