हैकरों की मदद से चीन ने दोस्त रूस की पीठ पर किया वार

Edited By ,Updated: 06 Jun, 2022 11:53 AM

with the help of hackers china attacked friend russia on the back

चीन मक्कारी में दुनिया में सबसे आगे रहने वाले देशों का सरगना है। हमेशा अपने लाभ और दूसरे देशों के नुक्सान के लिए काम करने वाला चीन हर उस काम के लिए जाना जाता है, जो कानूनी तौर पर गलत है।

चीन मक्कारी में दुनिया में सबसे आगे रहने वाले देशों का सरगना है। हमेशा अपने लाभ और दूसरे देशों के नुक्सान के लिए काम करने वाला चीन हर उस काम के लिए जाना जाता है, जो कानूनी तौर पर गलत है। चीन दुश्मन की जासूसी तो करता ही है, लेकिन अपने मित्र देशों को भी नहीं छोड़ता। उसने कुछ ऐसा ही हाल किया यूक्रेन से युद्ध में उलझे रूस का, जिस पर चीन ने पीछे से वार करना शुरू कर दिया है। दरअसल, चीनी हैकरों ने रूसी साइबर सुरक्षा के क्षेत्र से जुड़े आंकड़ों को चुराने की कोशिश की है। 

 

चीन के सरकारी हैकरों ने रूस के रक्षा क्षेत्र तथा रिसर्च एंड डिवैल्पमैंट संस्थान से जुड़े इंजीनियरों और वैज्ञानिकों को रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से कुछ मेल भेजे, जिनका विषय था ‘यूक्रेन पर हमला करने के लिए अमरीकी प्रतिबंध के तहत व्यक्तियों की सूची’। लेकिन ऐसी संवेदनशील जानकारी से संबंधित जब भी कोई सूचना मांगी जाती है तो वह यूं ही नहीं दे दी जाती, बल्कि उस संबंधित विभाग से दूसरे माध्यम से पूछा जाता है कि क्या उस विभाग ने ऐसा मेल भेजा है। उसकी पुष्टि होने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाती है।

 

ऐसे में जांच के बाद पाया गया कि रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय से ऐसी कोई जानकारी नहीं मांगी गई है। जब इसकी आगे और जांच की गई तब सच उजागर हुआ कि यह काम तो चीन के सरकारी हैकरों का है, जो रूस से जानकारी इकट्ठा करने की मुहिम का हिस्सा हैं। चीन अपने पड़ोसी मित्र देश रूस के उन संस्थानों पर हमले कर रहा है, जो अति-संवेदनशील हैं, जो रूस के एयरबोर्न सैटेलाइट्स कम्युनिकेशन और राडार और इलैक्ट्रॉनिक युद्ध कौशल से संबंधित हैं। चीन इस तरह के छद्म हमले अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी समेत कई पश्चिमी देशों के खिलाफ भी कर चुका है। इससे यह बात समझ में आ जाती है कि चीन ने अपना भरोसा अपने मित्र देशों पर से खो दिया है।

 

चीन ने साइबर हैकरों को भाड़े पर लेकर यूक्रेन युद्ध का इस्तेमाल अपने साइबर हमलों के लिए किया, यानी यूजर्स को ऐसे लिंक और ऐसे दस्तावेज भेजे जा रहे हैं जिनका संबंध यूक्रेन युद्ध से है। इन रिपोर्टों के अनुसार रूस के इंजीनियरों को यूक्रेन पर हमला करने के लिए अमरीका द्वारा काली सूची में डाले गए रूसियों की सूची भेजी गई जिससे यूजरों को यह उत्सुकता हो कि वे कौन से रूसी लोग हैं जिनके नाम इस सूची में हैं और जैसे ही वह लिंक खोलेंगे, वैसे ही उस लिंक में मौजूद मालवेयर उनके कम्प्यूटर और उससे जुड़े सर्वर पर हमला कर देगा। 

 

यूजर्स की निशानदेही करने के बाद चीनी हैकर ऐसे दस्तावेज डाऊनलोड करवा रहे हैं, जिनमें रूस और यूक्रेन युद्ध से जुड़ी संवेदनशील जानकारियां होने का दावा किया जा रहा है। इसके अलावा कुछ लिंक और दस्तावेज यूक्रेन के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पैसे जुटाने और यूक्रेनी लोगों की मदद करने के नाम पर चिन्हित लोगों को भेजे जा रहे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के कुछ ही दिनों के अंदर चीनी हैकरों ने यूक्रेन के रक्षा विभाग को एक दस्तावेज़ भेजा था, जिसमें चीन ने यूक्रेन को इस बात की जानकारी दी थी कि यूक्रेन को रूस के विरुद्ध वॉर क्राइम्स के सबूत कैसे इकट्ठे करने चाहिएं।

 

उन दस्तावेजों को कैसे सूचीबद्ध तरीके से लिखना है और सबूत जुटाने के लिए कैसे उनकी फिल्म बनानी है, लेकिन चीन का असल मकसद तो यूक्रेन में मालवेयर भेजना था जिसका बाद में पता भी चल गया। यह मालवेयर उस कम्प्यूटर और उससे जुड़े सर्वर और नैटवर्क वाले कम्प्यूटरों से पूरे दस्तावेज चोरी करने में सक्षम था। चीन ने रूस के खिलाफ साइबर हमला करके यह दिखा दिया है कि वह किसी के भरोसे के लायक नहीं है, यहां तक कि दोस्तों के भी नहीं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जब चीन दुनिया के सारे देशों का विश्वास खो देगा, तब उसका व्यापार और उसके राजनयिक संबंध कितने देशों से बने रहेंगे और किस स्तर पर वे रिश्ते काम करेंगे।

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