विश्व पर फिर मंडरा रहे ‘परमाणु युद्ध के बादल’

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Aug, 2017 12:41 AM

worlds cloud of nuclear war

इन दिनों अमरीका और उत्तरी कोरिया तथा भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण संबंधों के चलते स्थिति विस्फोटक...

इन दिनों अमरीका और उत्तरी कोरिया तथा भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण संबंधों के चलते स्थिति विस्फोटक बनी हुई है जिससे कभी-कभी लगता है कि युद्ध अब शुरू हुआ कि हुआ। जहां तक अमरीका और उत्तरी कोरिया का संबंध है वहां दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध का खतरा पैदा होता दिखाई दे रहा है। उत्तरी कोरिया की दक्षिणी कोरिया से दुश्मनी पुरानी है और अमरीका व मित्र देशों द्वारा दक्षिण कोरिया की समय-समय पर मदद करने से उत्तर कोरिया तिलमिलाया हुआ है। 

उत्तरी कोरिया के राष्ट्रपति किम जोंग ने हाल ही में अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र का सफल परीक्षण करके अमरीका को चिंता में डाल दिया है जिससे अमरीका तथा इसके सहयोगियों जापान और दक्षिण कोरिया की सुरक्षा को भी खतरा बढ़ गया है। अमरीका द्वारा उत्तरी कोरिया पर प्रस्तावित प्रतिबंधों की संयुक्त राष्ट्र द्वारा पुष्टि कर देने से उत्तरी कोरिया भड़क उठा है तथा इसके कारण हर साल एक अरब डालर सहायता के नुक्सान के बावजूद इसने चेतावनी दे दी है कि इस तरह के हथकंडों से उसे हथियार बनाने से नहीं रोका जा सकता। 

इस बीच ट्रम्प ने भी धमकी दे दी है कि अगर उत्तरी कोरिया ने उसे धमकाने का सिलसिला जारी रखा तो, ‘‘उस पर इतनी गोलीबारी की जाएगी और उसे ऐसे विनाश का सामना करना पड़ेगा जो दुनिया ने पहले कभी नहीं देखा होगा।’’ अमरीका की चेतावनी से बेपरवाह और इसे ‘बकवास’ बताते हुए उत्तरी कोरिया ने अमरीकी द्वीप ‘गुआम’ पर हमले का समय तक तय करते हुए कहा है कि ‘‘तब गुआम के चारों ओर आग ही आग होगी।’’ दूसरी ओर भारत-चीन में डोकलाम को लेकर गतिरोध बना हुआ है जहां चीन हाईवे बनाने की कोशिश में है। भारत इसका विरोध कर रहा है क्योंकि इससे भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को जोडऩे वाली ‘चिकननैक’ तक वह अपनी पहुंच आसान कर सकता है जो भारत के लिए अंतत: हानिकारक होगा। 

वहां चीन को रोकने के लिए भारतीय सेना ने अपने क्षेत्र में सड़क बनानी शुरू की है परंतु चीन यहां शुरू से ही अपना दबदबा बनाने का प्रयास करता आ रहा है। इसलिए भारत ने डोकलाम में अपनी सेना तैनात कर दी है। डोकलाम इलाके से भारतीय सेना को पीछे हटाने के लिए चीन की धमकियों के मद्देनजर भारतीय सेना ने भी उसे संदेश दे दिया है कि वह चीनी सेना की किसी भी चुनौती का सामना करने को तैयार है। जहां चीनी सेनाओं ने सिक्किम की सीमा के साथ 70 तम्बू गाड़ दिए हैं वहीं भारत ने अपनी सेना की मदद के लिए सिक्किम सीमा पर नाथू-ला में लगभग 6,000 सैनिक तथा अपनी बोफोर्स तोपें तैनात करने के साथ ही डोकलाम के आसपास गांवों को खाली करने का आदेश दे दिया है।

9 अगस्त को सरकारी चीनी दैनिक ‘चाइना डेली’ ने एक संपादकीय में यह लिख कर सनसनी फैला दी कि ‘‘भारत-चीन युद्ध की उलटी गिनती शुरू हो गई है तथा भारत को जल्दी ही इस बारे कोई कदम उठा लेना चाहिए क्योंकि शांतिपूर्ण समाधान की संभावना समाप्त होती जा रही है।’’ उधर भूटान सरकार ने भी चीन का वह दावा खारिज कर दिया है जिसके अनुसार भूटान ने यह स्वीकार किया था कि डोकलाम का क्षेत्र उसका अपना नहीं है। भूटान का कहना है कि डोकलाम चीन का नहीं हमारा हिस्सा है। इसी बीच भारतीय सेना ने चीन से लगती सिक्किम और अरुणाचल की अपनी पूर्वी सीमा पर भारतीय सैनिकों की संख्या बढ़ा दी है। वहीं 11 अगस्त को एक नाटकीय घटनाक्रम में दोनों देशों के बीच राजनयिक वार्ता के बाद सहमति लगभग बनने की बात कही जा रही है। 

इसके अनुसार चीन डोकलाम में अपनी तैनाती वाले हिस्से से सेना लगभग 500 मीटर पीछे हटाने को राजी हो गया है और वह भारत के इलाके से बाहर हो जाएगा जहां दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने तैनात हैं। उक्त घटनाक्रमों के अनुसार भारत और चीन के बीच युद्ध का खतरा चीन द्वारा अपनी सेनाएं डोकलाम में 500 मीटर पीछे हटा लेने पर टलता लग रहा है परंतु अमरीका और उत्तरी कोरिया के दो-दो हठधर्मी राष्ट्रपति अभी तक अपने स्टैंड में नर्मी लाते दिखाई नहीं दे रहेे। यदि समय रहते उत्तरी कोरिया और अमरीका के शासकों ने युद्ध टालने के लिए सार्थक प्रयास न किए तो कहीं ऐसा न हो कि विश्व एक और भयानक युद्ध में फंस जाए जो सभी पक्षों के लिए भारी विनाश का कारण बने। —विजय कुमार  

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