फिल्मी ‘पैडमैन’ के बाद अब सामने आया ‘असली पैडमैन’

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Feb, 2018 04:23 AM

after the padman film real padman

गत दिनों फिल्मी पर्दे पर अभिनेता अक्षय कुमार की फिल्म ‘पैडमैन’ ने खूब ख्याति बटोरी थी और अब हमारे सामने ‘असली पैडमैन’ का अभ्युदय हुआ है। महाराष्ट्र के वर्धा जिले के एक छोटे से कस्बे दियोली के 30 वर्षीय प्रशांत साठे महिलाओं के स्व सहायता समूहों के...

गत दिनों फिल्मी पर्दे पर अभिनेता अक्षय कुमार की फिल्म ‘पैडमैन’ ने खूब ख्याति बटोरी थी और अब हमारे सामने ‘असली पैडमैन’ का अभ्युदय हुआ है। महाराष्ट्र के वर्धा जिले के एक छोटे से कस्बे दियोली के 30 वर्षीय प्रशांत साठे महिलाओं के स्व सहायता समूहों के माध्यम से मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में जागरूकता फैलाने का काम कर रहे हैं और इसी प्रयास के माध्यम से ये समूह सैनेटरी पैड्ज की बिक्री करते हैं। 

प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा शुरू किए गए ग्रामीण विकास कार्यक्रम के एक सहायक के रूप में प्रशांत साठे अपने इस अभियान को उन स्थानों तक लेकर जा रहे हैं जहां इस विषय पर कभी चर्चा तक नहीं चली। उल्लेखनीय है कि गत सितम्बर से स्व सहायता समूहों ने दियोली कस्बे और इसके आसपास के लगभग एक दर्जन गांवों में 15,000 से अधिक सैनेटरी पैड्ज की बिक्री की है। 

भिड़ी गांव में तैनात प्रशांत साठे का कहना है, ‘‘मैं गांवों में औरतों की मीटिंग करता था लेकिन अक्सर देखने में आता था कि इन मीटिंगों में बहुत कम महिलाएं उपस्थित होती थीं। जब मैंने इस बारे में पता लगाया तो कुछ महिलाओं ने खुल कर बताया कि मासिक धर्म के दिनों में वे मीटिंग में शामिल नहीं हो सकतीं। मैंने यह भी देखा कि इन दिनों महिलाएं सूती कपड़े प्रयुक्त करती थीं और घर में बैठे रहने को ही प्राथमिकता देती थीं। वे आम दिनों की तरह घर से बाहर नहीं निकलती थीं। ऐसे में मैंने यह फैसला लिया कि महिलाओं को सैनेटरी पैड्ज के बारे में जानकारी देना बहुत जरूरी है।’’

‘‘शुरू-शुरू में तो महिलाओं ने सैनेटरी पैड्ज के प्रति कोई रुचि नहीं दिखाई और यदि किसी औरत ने ऐसी रुचि दिखाई तो उसके पास ये पैड्ज खरीदने के लिए पैसे नहीं थे।’’ तब प्रशांत साठे ने ऐसे विक्रेताओं से सम्पर्क किया जो सस्ते दामों पर अच्छी गुणवत्ता के सैनेटरी पैड्ज की आपूर्ति कर सकें। उन्होंने ये पैड्ज खरीदकर स्व सहायता समूहों को दिए ताकि वे 10-10 पैड्ज पैक करके इन पर ‘स्मार्ट शक्ति’ एवं ‘सखी’  नाम वाले लेबल चिपका सकें। ये पैकेट 20 और 25 रुपए के भाव पर बेचे जाते हैं और प्रत्येक पैकेट पर स्व सहायता समूह (एस.एच.जी.) को क्रमश: 3 और 4 रुपए बचते हैं। 

साठे की पहलकदमी से दोधारी प्रभाव पड़ा है: पहले नम्बर पर तो मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा मिला है और दूसरे नम्बर पर महिलाओं के लिए आय का साधन पैदा हो गया है। भिड़ी कस्बे में तैनात ग्राम विकास अधिकारी जयश्री कुक्कड़े ने बताया कि मासिक धर्म के बारे में बातचीत हमेशा अरुचिकर ही होती थी लेकिन धीरे-धीरे महिलाओं ने इस मामले में खुलकर बात करना शुरू कर दिया है।-एस. ज्योति

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