कृषि कानून : ‘आत्मनिर्भर भारत’ को बढ़ावा

Edited By ,Updated: 09 Oct, 2020 02:17 AM

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कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। हमारे लगभग 70 प्रतिशत लोग अपनी आजीविका के लिए कृषि और अन्य संबंधित गतिविधियों पर निर्भर हैं। यदि हमारे किसान अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने और साथ ही अपने बच्चों की आकांक्षाओं को पूर्ण करने के लिए

कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। हमारे लगभग 70 प्रतिशत लोग अपनी आजीविका के लिए कृषि और अन्य संबंधित गतिविधियों पर निर्भर हैं। यदि हमारे किसान अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने और साथ ही अपने बच्चों की आकांक्षाओं को पूर्ण करने के लिए आर्थिक रूप से मजबूत नहीं हैं तो हम एक जीवंत और आत्मनिर्भर भारत का सपना नहीं देख सकते। 

स्वतंत्रता से लेकर अब तक, किसानों की भलाई के लिए व्यापक रूप से विचार-विमर्श किया गया है और हमेशा उन्हें सशक्त बनाने के उद्देश्य से कुछ नीतिगत पहलों का पालन किया गया है। जब से केंद्र्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार का गठन हुआ है, तब से किसानों के कल्याण का मुद्दा केंद्र बिंदू बना हुआ है। 

किसानों का कल्याण सीधे तौर पर उन्हें उनकी उपज से मिलने वाली कीमत से जुड़ा है कि खेती कितनी किफायती है और किसानों को अपनी उपज बेचने में कितनी स्वतंत्रता है। कई राज्यों में कुछ वर्ष पूर्व, फलों और सब्जियों को कृषि उपज विपणन समिति (ए.पी.एम.सी.) अधिनियम के दायरे से बाहर लाने से बड़ी संख्या में किसान लाभान्वित हुए हैं, जिससे उन्हें अपनी उपज बेचने की स्वतंत्रता मिली है जहां वे सर्वोत्तम मूल्य प्राप्त कर सकते हैं। जिस तरह से कमीशन एजैंट और बिचौलिए हमेशा निर्दोष किसानों की तलाश कर उनका शोषण करते हैं, उसे समझने की जरूरत है। वे कृषि उपज को उच्च दरों पर बेचने के लिए बहुत सस्ते दाम पर खरीदते हैं। 

पिछले कुछ वर्षों में, ए.पी.एम.सी. द्वारा नियंत्रित मंडियों में किसान अपनी उपज बेचने के लिए विवश थे और बिचौलियों के आकर्षण का केंद्र भी। कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) अधिनियम 2020 का उद्देश्य ए.पी.एम.सी. द्वारा विनियमित मंडियों के बाहर कृषि उपज की बिक्री की अनुमति देना है। कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार अधिनियम 2020 अनुबंध पर खेती का अवसर प्रदान करता है, जबकि आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 अनाज, दाल, आलू, प्याज और खाद्य तिलहन जैसे खाद्य पदार्थों के उत्पादन,आपूर्ति व वितरण को नियंत्रण मुक्त करता है। 

किसानों को उनकी उपज के लिए पारिश्रमिक मूल्य मिले और उनकी आय और आजीविका की स्थिति में वृद्धि हो यह सुनिश्चित किए बिना, एक आत्मनिर्भर भारत के विचार को एक स्थायी वास्तविकता में नहीं बदला जा सकता। हमें एक पारिस्थितिकी तंत्र की आवश्यकता है जहां किसानों और  व्यापारियों को उनकी पसंद के कृषि उत्पादों की बिक्री और खरीद की स्वतंत्रता प्राप्त हो, जैसी गारंटी कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) अधिनियम 2020 के प्रावधानों के तहत दी गई है। यह राज्य कृषि उपज विपणन कानून के तहत अधिसूचित बाजारों के भौतिक परिसर के बाहर अवरोध मुक्त इंटर-स्टेट और इंट्रा-स्टेट व्यापार और वाणिज्य को भी बढ़ावा देता है। 

किसानों से उनकी उपज की बिक्री के लिए कोई उपकर या लगान नहीं लिया जाएगा और उन्हें परिवहन लागत वहन नहीं करनी होगी। इलैक्ट्रॉनिक रूप से निर्बाध व्यापार सुनिश्चित करने के लिए एक इलैक्ट्रॉनिक व्यापार मंच होगा। किसान प्रत्यक्ष विपणन में खुद को सम्मिलित करने में सक्षम होंगे, जिससे बिचौलियों को समाप्त किया जा सकेगा, जिसके परिणामस्वरूप मूल्य की पूर्ण वसूली हो सकेगी। 

इसी प्रकार, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण)कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार अधिनियम 2020,  जमीनी स्तर पर किसानों को प्रोसैसर, थोक व्यापारी,एग्रीगेटर, बड़े खुदरा विक्रेताओं, निर्यातकों, आदि के साथ शामिल करने के लिए सशक्त बनाता है। यह फसलों की बुवाई से पहले ही किसानों को मूल्य आश्वासन प्रदान करता है। अधिक बाजार मूल्य के मामले में, किसान न्यूनतम मूल्य के अतिरिक्त इस मूल्य के हकदार होंगे। यह किसान को आधुनिक तकनीक, बेहतर बीज और अन्य इनपुट का उपयोग करने में भी सक्षम बनाएगा। यह विपणन की लागत को कम करेगा और किसानों की आय में सुधार करेगा। आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 अनाज, दाल, आलू, प्याज और खाद्य-तिलहन जैसे खाद्य पदार्थों के उत्पादन, आपूर्ति और वितरण को नियंत्रण मुक्त करता है। 

नए विधानों ने वित्तीय लाभ कमाने के लिए कई रास्ते खोल दिए हैं। इनसे तीन दिनों के भीतर भुगतान प्राप्त होगा। पूरे देश में दस हजार किसान उत्पादक संगठन (एफ.पी.ओ.) बनाए जा रहे हैं, जो छोटे किसानों को एक साथ लाएंगे और कृषि उपज के लिए पारिश्रमिक मूल्य सुनिश्चित करने के लिए काम करेंगे। अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के बाद, किसानों को व्यापारियों की तलाश नहीं करनी होगी। क्रय उपभोक्ता सीधे खेत से उपज उठाएगा। विवाद की स्थिति में, बार-बार न्यायालय जाने की आवश्यकता नहीं होगी। 

जहां तक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) का सवाल है, केंद्र ने स्पष्ट किया है कि किसानों के पास सरकार द्वारा निर्धारित दरों पर अपनी उपज बेचने का विकल्प होगा। मंडियां काम करना बंद नहीं करेंगी और व्यापार पहले की तरह जारी रहेगा। मंडियों में ई-नाम ट्रेडिंग सिस्टम भी जारी रहेगा। इलैक्ट्रॉनिक मंच पर कृषि उपज में व्यापार बढ़ेगा, जिसके परिणामस्वरूप अधिक पारदर्शिता और समय की बचत होगी।

आवश्यक वस्तु अधिनियम, 2020 में सुधारों के संदर्भ में, अब देश के किसान बड़ी मात्रा में अपनी उपज को कोल्ड स्टोरों में आसानी से जमा कर सकते हैं। जब भंडारण से संबंधित कानूनी समस्याएं दूर हो जाएंगी, तब कोल्ड स्टोरेज का नैटवर्क भी विकसित होगा और आगे बढ़ेगा। यह समय है कि हम किसानों को आधुनिक सोच के साथ देखें और उन्हें आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने में अधिक तरीकों से खुद को सशक्त बनाने में मदद करें।-राजीव रंजन रॉय

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