पटरी से उतरा बंगलादेश-चीन रेलवे प्रोजैक्ट

Edited By ,Updated: 28 Jun, 2022 10:56 AM

bangladesh china railway project derailed

बंगलादेश और चीन के बीच रेलवे नैटवर्क को लेकर समझौता हुआ था, जिसमें बंगलादेश ने अक्तूबर 2014 में ढाका से चटगांव के बीच हाई स्पीड रेलवे परियोजना की शुरूआत की थी। ढाका से चटगांव तक

बंगलादेश और चीन के बीच रेलवे नैटवर्क को लेकर समझौता हुआ था, जिसमें बंगलादेश ने अक्तूबर 2014 में ढाका से चटगांव के बीच हाई स्पीड रेलवे परियोजना की शुरूआत की थी। ढाका से चटगांव तक का हाई-वे बंगलादेश की आर्थिक रीढ़ की हड्डी है। पूरे देश के 80 फीसदी निर्यात होने वाले सामान का आवागमन इसी मार्ग से होता है। लेकिन बंगलादेश को शायद यह बात मालूम नहीं कि चीन हमेशा एक सूदखोर साहूकार की तरह काम करता है। चीन की मंशा खुद को लाभ पहुंचाने के साथ दूसरे देश को अपने कर्ज के जाल में फंसाने की होती है। 

उसने चीन के साथ हाई स्पीड रेल नैटवर्क का जो करार किया था, उसका असल खर्च जानकर बंगलादेश अब इस परियोजना से पीछे हटना चाहता है। वर्ष 2014 में चीन और बंगलादेश के बीच हाई स्पीड रेल का हुआ यह करार बंगलादेश के लिए 93,350 करोड़ टका जितना महंगा पडऩे वाला था, अमरीकी डॉलर में यह लागत 10 अरब की होती। 

ढाका ने ही चीन के चाइना रेलवे कंस्ट्रक्शन कार्पोरेशन को अपने देश की इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए चुना था। बंगलादेश द्वारा दिखाए गए सपने के आधार पर चीन की सी.आर.सी.सी. कंपनी ने इस परियोजना के सर्वे और इसकी व्यावहारिकता पर करोड़ों रुपए खर्च भी कर दिए, लेकिन अब बंगलादेश इस परियोजना से पीछे हट रहा है तो वहीं चीन बंगलादेश पर जोर डाल रहा है कि वह हाई स्पीड रेलवे परियोजना को लेकर आगे बढ़े और इस पर पैसे खर्च करे। शुरूआत से 8 वर्ष बीत जाने के बाद भी इस परियोजना पर अभी कोई काम शुरू नहीं हो सका और हालात बताते हैं कि अगले 5 से 6 वर्ष में भी इस परियोजना पर कोई काम शुरू नहीं हो पाएगा। 

इस रेल परियोजना को लेकर बंगलादेश में चीनी राजदूत ली चिमिंग ने अप्रैल में रेल मंत्री नूरुल इस्लाम सुजान से इस समझौते पर हस्ताक्षर करने का आग्रह भी किया था। लेकिन इस परियोजना की कीमत बंगलादेश की प्रमुख पद्मा नदी पर बने पुल की कीमत 30193 करोड़ टका से 3 गुना अधिक थी। इसलिए इस परियोजना के फंड और कंसल्टेशन के लिए बंगलादेश ने जापान और दक्षिण कोरिया समेत कई दूसरे देशों के साथ भी बातचीत शुरू कर दी, ताकि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत कुछ और परियोजनाएं बंगलादेश में शुरू की जाएं। 

लेकिन शेख हसीना ने इस परियोजना को इसकी लागत के कारण फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है। वहीं बंगलादेश के परिवहन क्षेत्र के कुछ जानकारों ने यहां तक कह दिया कि देश के पास इस समय इतनी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को पूरा करने का सामथ्र्य नहीं है। उधर बंगलादेश के रेलमंत्री नूरुल इस्लाम ने कहा कि इतने महंगे प्रोजैक्ट पर बंगलादेश धीमे-धीमे आगे बढ़ेगा, इसलिए ऐसी परियोजनाओं में अभी और समय लगेगा। 

ढाका से चटगांव तक की दूरी 224 किलोमीटर है, वर्तमान में इस रूट पर रेल यात्रा में अभी 6 घंटे का समय लगता है। अगर यह हाई स्पीड रेल परियोजना पूरी हो जाती है तो ढाका से नारायणगंज, कुमिला फेनी होते हुए चटगांव पहुंचने में महज 55 मिनट लगेंगे। अगर बीच के 2 स्टेशनों पर गाड़ी रुकते हुए जाएगी तो इस यात्रा में 73 मिनट लगेंगे। पाकिस्तान में चलाई जा रही सीपेक परियोजना के बैठने के बाद ढाका-चटगांव रेलवे परियोजना चीन की दूसरी बड़ी गलती होगी। चीन ऐसा बिल्कुल नहीं चाहता इसीलिए वह बंगलादेश पर इस परियोजना पर आगे बढऩे के लिए दबाव बना रहा है। 

लेकिन अब लगता है कि बाकी देशों की तरह बंगलादेश भी अपनी इस गलती को मान रहा है, क्योंकि वहां के रेल मंत्री नूरुल इस्लाम ने हाल ही में बी.एल.डब्ल्यू. और आई.सी.एफ. का दौरा किया था, जिसके बाद भारत से कई रेल इंजन और बोगियां खरीदने के संकेत भी दिए। 

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