नए नहीं हैं हस्तियों की विरासत पर विवाद

Edited By Updated: 17 Oct, 2025 04:18 AM

disputes over celebrity inheritance are not new

भारत में धनाढ्य और प्रसिद्ध लोगों की संपत्ति का बंटवारा अक्सर विवादों के घेरे में रहता है। हाल ही में करिश्मा कपूर और उनके पूर्व पति, उद्योगपति संजय कपूर की संपत्ति को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहे विवाद ने समाज और कानूनी व्यवस्था के कई पहलुओं को...

भारत में धनाढ्य और प्रसिद्ध लोगों की संपत्ति का बंटवारा अक्सर विवादों के घेरे में रहता है। हाल ही में करिश्मा कपूर और उनके पूर्व पति, उद्योगपति संजय कपूर की संपत्ति को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहे विवाद ने समाज और कानूनी व्यवस्था के कई पहलुओं को उजागर किया है। इस संपत्ति विवाद का विश्लेषण करने पर यह साफ होता है कि न सिर्फ कपूर परिवार बल्कि पूरे देश के अनेक धनी परिवारों में यह समस्या आम है और अक्सर इसमें परिवारजनों के निजी रिश्ते और कानूनी पेचीदगियां उलझ जाती हैं।

संजय कपूर की मौत के बाद उनकी संपत्ति जिसका मूल्य लगभग 30,000 करोड़ रुपए आंका जाता है, को लेकर करिश्मा कपूर की बेटी समायरा और बेटे कियान ने अपनी सौतेली मां प्रिया सचदेव कपूर और अन्य पर आरोप लगाया कि वे दोनों बच्चों के अधिकारों को हड़प रही हैं। उन्होंने कोर्ट में याचिका दायर की जिसमें संजय कपूर की अंतिम वसीयत की वैधता को भी चुनौती दी गई है। बच्चों के वकील ने आरोप लगाया कि वसीयत में गंभीर गलतियां हैं तथा उसे संजय के मरने के सात हफ्ते बाद ही प्रस्तुत किया गया। बच्चों का कहना है कि उनके पिता ने उन्हें उनकी हिस्सेदारी का आश्वासन दिया था लेकिन अचानक पेश की गई वसीयत में उनकी संपत्ति का कोई जिक्र नहीं है। दूसरी तरफ, प्रिया सचदेव कपूर की ओर से दावा किया गया है कि समायरा और कियान को पहले ही आर.के. परिवार ट्रस्ट के माध्यम से 1900 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। लेकिन बच्चों के अनुसार उन्हें अभी तक उस धन की कोई भी किस्त नहीं मिली है। इस गंभीर कानूनी लड़ाई में संजय कपूर की मां रानी कपूर ने भी अपनी बहू प्रिया के विरुद्ध अदालत में आरोप लगाए हैं कि वसीयत में गड़बड़ी हुई है और उनकी सहमति के बिना संपत्ति का हस्तांतरण किया जा रहा है।

भारत में संपत्ति विरासत के मुख्यत: दो आधार होते हैं। वसीयतनामा (विल) और उत्तराधिकार कानून (सक्सैशन लॉ)। यदि किसी व्यक्ति ने वैध वसीयत बनाई है, तब संपत्ति उसी के अनुसार बांटी जाती है। अगर वसीयत में कोई गड़बड़ी या विवाद है या अगर वसीयत ही नहीं है तो 1925 का इंडियन सक्सैशन एक्ट लागू होता है। ज्यादातर संपत्ति विवाद इन  स्थितियों में आते हैं-वसीयत की प्रमाणिकता (छेड़छाड़ या जबरन तैयारी) सभी वैध उत्तराधिकारियों को उनका हक न मिलना, वसीयत के कानूनी तकनीकी मुद्दे  (साक्ष्य, गवाह, तिथि या चिकित्सीय स्थिति) या परिवार के भीतर भावनात्मक और सामाजिक टकराव। सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में पारिवारिक संपत्ति विवादों पर फैसले दिए हैं जो भारत में वसीयत और उत्तराधिकार कानून को स्पष्ट करते हैं। इनमें संयुक्त वसीयत की वैधता और उत्तराधिकारियों को उचित हिस्सा देने के दिशा-निर्देश शामिल हैं। कुछ मामलों में अदालतों ने संयुक्त वसीयत को मान्यता देते हुए उत्तराधिकारियों को मुआवजा भी दिया है।

संपत्ति विवाद को सुलझाने के लिए अदालत सबसे पहले वसीयत की प्रमाणिकता की जांच करती है। वसीयत को नियमित रूप से कानूनी तौर पर पंजीकृत होना चाहिए और उसके साक्ष्य होने चाहिएं (गवाहों की उपस्थिति, दस्तावेज की तिथि, संपत्ति का स्पष्ट उल्लेख)। अगर वसीयत वैध साबित होती है तो संपत्ति उसी के अनुसार बांटी जाती है। यदि वसीयत साबित नहीं होती या कोई गलतफहमी होती है, तब अदालत उत्तराधिकार कानून के अनुसार बहनों, बच्चों, पत्नी, माता-पिता आदि को संपत्ति में समान हिस्सा देती है। देश के कई अमीर और बड़े परिवारों में विरासत का विवाद पुराना है। अम्बानी, मोदी, ओबरॉय, कपूर इत्यादि परिवारों में धन और वर्चस्व की लड़ाई कानून और मीडिया के केंद्र में आई है। मुख्य कारण हैं, परिवार में संवाद की कमी और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा, पारिवारिक ट्रस्ट और जटिल शेयरधारिता संरचनाएं, जिस व्यक्ति की सम्पत्ति है, उसकी अंतॢनहित इच्छा स्पष्ट न होना या कानूनी दस्तावेजों की तकनीकी गलतियां तथा खुदगर्जी।

इन घटनाओं में समाज और कानून के लिए कुछ महत्वपूर्ण सबक निहित हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी वसीयत स्पष्ट, पारदर्शी और कानूनी रूप से दर्ज करानी चाहिए। परिवारजनों को संवाद के जरिए विवाद सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए न कि सार्वजनिक रूप से लड़ाई को बढ़ाना चाहिए। अदालतें न्याय देने में निष्पक्ष रहती हैं लेकिन लंबी कानूनी लड़ाइयों से परिवार का नुकसान और समाज के संसाधनों की बर्बादी होती है। बड़े पैमाने पर संपत्ति की पारदर्शिता जरूरी है ताकि भावी पीढ़ी संपत्ति विवादों से बच सके। 

संजय कपूर और करिश्मा कपूर के बच्चों का संपत्ति विवाद इस बात का प्रतीक है कि संपत्ति के बंटवारे का मसला केवल पैसों तक सीमित नहीं बल्कि यह रिश्तों, विश्वसनीयता और सामाजिक पहचान से भी जुड़ा है। भारत में वसीयत और संपत्ति का बंटवारा केवल कानून का सवाल नहीं बल्कि यह परिवार की संस्कृति, संवाद और ईमानदारी का भी प्रतिबिंब है। जिस समाज में पारदॢशता और न्याय को प्राथमिकता मिलेगी, वही अपने भविष्य की पीढिय़ों को सुरक्षित संपत्ति अधिकार दे सकेगा। संपत्ति और वसीयत पर शायद किसी ने खूब लिखा है- ‘‘अगर लिखोगे वसीयत अपनी तो जान पाओगे यह हकीकत। तुम्हारी अपनी ही मिल्कियत में, तुम्हारा हिस्सा कहीं नहीं है।’’-रजनीश कपूर
 

Related Story

    IPL
    Royal Challengers Bengaluru

    190/9

    20.0

    Punjab Kings

    184/7

    20.0

    Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

    RR 9.50
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!