क्या राहुल गांधी को ‘खलनायक’ बनाना चाहती है भाजपा

Edited By ,Updated: 16 Mar, 2023 06:32 AM

does the bjp want to make rahul gandhi a  villain

राहुल गांधी ने लंदन में ऐसा क्या कह दिया कि उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री समेत पूरी भाजपा हमलावर अंदाज में सामने आ गई है।

राहुल गांधी ने लंदन में ऐसा क्या कह दिया कि उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री समेत पूरी भाजपा हमलावर अंदाज में सामने आ गई है। साध्वी प्रज्ञा ने तो राहुल गांधी के देश निकाले की बात कह दी है। हैरानी की बात है कि सोशल मीडिया इस पर बहुत ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है। केजरीवाल, ममता, के.सी.आर. जैसे विपक्षी नेता भी खामोश हैं जो कांग्रेस नेता की आलोचना करने का मौका आमतौर पर छोड़ते नहीं हैं।
फैज साहब का शेर है:
वह बात जिसका सारे फसाने में जिक्र न था, 
वह बात उन्हें बहुत नागवार गुजरी है

यह शेर इसलिए क्योंकि भाजपा राहुल गांधी के उन बयानों का जिक्र कर रही है जो दिए ही नहीं गए या उस भाषा में नहीं दिए गए जैसा कि भाजपा को लग रहा है कि दिए गए हैं। सवाल उठता है कि आखिर राहुल गांधी की घेराबंदी किसी खास नीति-रणनीति का हिस्सा है। क्या जानबूझ कर राहुल गांधी को एंटी हीरो बनाया जा रहा है ताकि हीरो की प्रतिष्ठा पर सवाल नहीं उठें। ऐसे दर्जनों सवाल हैं।

भाजपा अपने हिसाब से अपने सियासी दुश्मन को तय कर रही है और इस वक्त राहुल गांधी को इस रूप में तय किया गया है। इसलिए राहुल गांधी पर हमले किए जा रहे हैं। कुल मिलाकर राहुल गांधी को एंटी हीरो या खलनायक बनाना है जिसका चुनावी मैदान में सियासी रूप से खात्मा  कर नरेन्द्र मोदी हीरो बन जाएं। आखिर अखिल भारतीय स्तर पर मोदी जी को हीरो बनना है तो अखिल भारतीय स्तर पर एक खलनायक भी चाहिए।

अगर ऐसा नहीं होता तो जिस राहुल गांधी को पप्पू कहते कानून मंत्री किरण रिजिजू नहीं थकते उस पप्पू के बयान पर प्रधानमंत्री तक को बोलना पड़ रहा है। अगर भाजपा को लगता है कि राहुल गांधी ने देश के खिलाफ काम किया है तो असम के किसी दूरदराज के गांव के किसी शख्स द्वारा एफ.आई.आर. दर्ज क्यों नहीं करवा दी गई। आखिर हेमंत बिस्वा शर्मा की पुलिस ऐसे मामलों में गजब की तेजी दिखाती है। रातों-रात पवन खेड़ा को गिरफ्तार करने दिल्ली पहुंच जाती है , रातों-रात जिग्नेश मेवाणी को  पकडऩे अहमदाबाद पहुंच जाती है।

यही पुलिस रातों-रात लंदन चली जाती और राहुल गांधी को पकड़ कर ले आती। मामला कोर्ट में चला जाता। किस्सा खत्म हो जाता। कुछ जानकार कह रहे हैं कि भाजपा अडानी , महंगाई , बेरोजगारी जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाना चाहती है। इसलिए राहुल गांधी के बयानों पर बवाल खड़ा किया जा रहा है। कुछ का कहना है कि भाजपा राहुल गांधी को उकसा रही है कि वह कुछ गलतबयानी कर बैठें और उनकी जमकर घेरेबंदी की जा सके।

अभी तक राहुल गांधी ने सिर्फ भाजपा की कमजोर नब्ज पर हाथ रखा है। इस पर ही भाजपा तिलमिला गई है। कुछ का कहना है कि भाजपा को इस बात पर नाराजगी नहीं है कि राहुल गांधी ने लोकतंत्र को खतरे में बताया। नाराजगी इस बात की है कि लंदन में क्यों कहा। लुधियाना में क्यों नहीं कहा। आखिर भारत जी-20 की मेजबानी कर रहा है। अमीर विकसित लोकतांत्रिक देशों के राष्ट्राध्यक्ष भारत आने वाले हैं और राहुल गांधी विश्व गुरु को बदनाम कर रहे हैं। यह बात भाजपा को कैसे पच सकती है।

कुछ कह रहे हैं कि राहुल गांधी पर हमला दरअसल संभावित विपक्षी एकता को तार-तार करना है। भाजपा चाहती है कि राहुल गांधी को इस कदर चर्चा में ले आओ ताकि कांग्रेसियों को लगे कि विपक्ष में जो भी हैं वह राहुल गांधी ही हैं। ऐसे में कांग्रेस विपक्ष के साथ सीटों के तालमेल में ज्यादा सीटों की मांग कर बैठे और मामला गड़बड़ा जाए। कुछ कह रहे हैं कि भाजपा की सोच यह भी है कि राहुल गांधी का सियासी कद इतना बड़ा दिया जाए ताकि विपक्ष में बैठे प्रधानमंत्री पद के दावेदार तिलमिला उठें और विपक्षी छतरी के नीचे आने से हिचकिचाने लगें।

कुछ का कहना है कि भाजपा को राहुल गांधी पर बवाल करना ही था। अगर भाजपा बयानों की आलोचना नहीं करती तो संदेश यही जाता कि राहुल गांधी जो कह रहे हैं  वह सही कह रहे हैं और भारत में लोकतंत्र खतरे में आ गया है। जाहिर है कि इसके लिए मोदी सरकार ही जिम्मेदार है। आलोचना में उपराष्ट्रपति , प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री भी इसलिए शामिल हुए ताकि देश की जनता को बता सकें कि राहुल गांधी के भारत विरोधी बयानों को किस कदर गंभीरता से लिया जा रहा है।

अगर भाजपा आलोचना नहीं करती तो दुनिया की रेटिंग एजैंसियां भारत की रेटिंग में कमी कर देतीं। राहुल गांधी के बयानों की आलोचना इसलिए भी जरूरी थी क्योंकि ऐसा नहीं होता तो राहुल गांधी का हौसला बढ़ता और लंदन के बाद पैरिस, बर्न, म्यूनिख, बर्लिन, रोम, न्यूयॉर्क भाषण देने या वहां की प्रैस से बात करने चले जाते। राहुल गांधी की आलोचना करके भाजपा ने विकसित देशों को संदेश भी दिया है कि राहुल के बयानों को गंभीरता से नहीं लिया जाए बल्कि यह देश देखें कि कैसे भारत जैसा बड़ा बाजार विकसित देशों के लिए पलक पांवड़े बिछा कर बैठा है।

लिहाजा विकसित देश सियासत छोड़ तिजारत पर ध्यान दें। राहुल  गांधी की आलोचना इसलिए भी जरूरी है ताकि  भाजपा अपने कट्टर समर्थकों को संतुष्ट कर सके। ऐसा वोटर महंगाई , बेरोजगारी जैसे विषयों से दूर रहे और राहुल गांधी के देशविरोधी (मोदी विरोधी) बयानों को कोसने में लग जाए। -विजय विद्रोही

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