Edited By ,Updated: 13 Feb, 2020 01:16 AM
महात्मा गांधी की और कितनी बार हत्या करने वाले हैं। ये अब हमें ही ठहराना होगा। गांधी के विचारों से जो सहमत नहीं हैं उन्हें भी अब ये स्वीकार करना होगा कि गांधी की टक्कर का नेता पूरे स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान दूसरा कोई नहीं हुआ। गांधी का स्वतंत्रता...
महात्मा गांधी की और कितनी बार हत्या करने वाले हैं। ये अब हमें ही ठहराना होगा। गांधी के विचारों से जो सहमत नहीं हैं उन्हें भी अब ये स्वीकार करना होगा कि गांधी की टक्कर का नेता पूरे स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान दूसरा कोई नहीं हुआ। गांधी का स्वतंत्रता आंदोलन में बड़ा योगदान था। यह स्वीकार करके नत्थूराम गोडसे ने पहले गांधी के चरण स्पर्श किए और बाद में उन पर गोलियां चलाईं। गोडसे के प्रेमियों को गांधी पर असभ्य टिप्पणी करते समय गोडसे की सभ्यता भी स्वीकार करनी चाहिए।
कर्नाटक के भाजपाई नेता अनंत कुमार हेगड़े ने घोषित किया है कि ‘गांधी अंग्रेजों के एजैंट थे और उनका स्वतंत्रता आंदोलन प्रायोजित था।’ यह बयान विचलित करने वाला है। भोपाल से भाजपाई सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ने भी बीच के दौर में गांधी पर थूकने की कोशिश की थी व गोडसे उनके आदर्श हैं, ऐसा कहा था। लेकिन गांधी के संबंध में हेगड़े और साध्वी प्रज्ञा के विचार उनके निजी होने की घोषणा भाजपा ने की है। बीच के दौर में महाराष्ट्र में गोडसे की पुण्यतिथि मनाई गई तो उत्तर प्रदेश में गांधी की प्रतिमा पर गोलियां बरसाकर गोडसे को श्रद्धांजलि दी गई। हिंदुस्तान में गांधी जन्मे, इसकी बड़ी कीमत वह हत्या के 70 वर्षों बाद भी चुका रहे हैं।
पाकिस्तान फिर लाओ!
गांधी जी को समझना हेगड़े जैसों के लिए संभव नहीं है। हिंदुत्व का विचार सभी को मान्य है लेकिन तालिबानी पद्धति वाला हिंदुत्व देश को अफगानिस्तान बना देगा। गोडसे को श्रद्धांजलि देने के लिए गांधी जी को गाली देना जरूरी नहीं है। गांधी की प्रतिमा पर गोलियां बरसाकर विकृत आनंद पाने की आवश्यकता नहीं है। देश का विभाजन हुआ, ऐसा जिन्हें लगता है उन्हें पार्टी की बैठक में मोदी और शाह को कहना चाहिए कि तोड़ा गया पाकिस्तान वापस जीत लें। अखंड हिंदुस्तान का सपना साकार करें और उस अखंड हिंदुस्तान के प्रतीक के रूप में लाहौर, कराची, इस्लामाबाद में वीर सावरकर का इतना बड़ा पुतला स्थापित करें कि दुनिया की आंखें चुंधिया जाएं। गोडसे ने अखंड हिंदुस्तान के ध्येय के लिए गांधी पर गोलियां चलाईं। उस अखंड हिंदुस्तान का निर्माण करें, ऐसा करने का साहस किसी में है क्या? वर्ष 1931 में महात्मा गांधी गोलमेज परिषद के लिए इंगलैंड गए थे।
एक पत्रकार परिषद के दौरान स्वतंत्र हिंदुस्तान में किस तरह की राज व्यवस्था व संविधान की आपकी कल्पना है, इस पर गांधी ने कहा था, ‘‘हिंदुस्तान में हर तरह की गुलामी और दैन्य अवस्था से मुक्त करने वाला तथा आवश्यकता पडऩे पर पाप करने का अधिकार भी दिलाने वाले संविधान का निर्माण होगा। ऐसा मैं हरसंभव प्रयत्न करूंगा। अति दरिद्र व्यक्ति को भी ‘यह मेरा देश है और उसका भविष्य निर्धारित करने में मेरे शब्दों का भी महत्व है। ऐसा महसूस होगा, ऐसे हिंदुस्तान की मुझे रचना करनी है।’ ऐसा गांधी जी ने दावे के साथ कहा था, वह भी अंग्रेजों की भूमि पर। गांधी जी की यथेच्छ बदनामी करना, उनके प्रति जानबूझ कर आशंका जताना, चरित्र पर कीचड़ उछालना, उनके पुतले तोडऩा, पुतले पर गोलियां बरसाना, ये पाप है। लेकिन हेगड़े और प्रज्ञा को यह पाप करने की आजादी और अधिकार गांधी के कारण ही प्राप्त हुआ, इसे याद रखना चाहिए।
संघर्ष की धार
गांधी जी का जीवन अन्याय के खिलाफ लडऩे में व्यतीत हुआ। 1947 में स्वतंत्रता मिलने तक उनका अधिकतर समय स्वतंत्रता आंदोलन तैयार करने और कारावास में ही बीता। आजादी के 5 महीने बाद उनकी हत्या हो गई। गांधी जी को सत्ता का मोह नहीं था। उनका जीवन समर्पित था। गांधी जी को शासक बनकर सत्तासुख भोगने की इच्छा नहीं थी। अपने समर्पित जीवन से उन्होंने जनता को कब का जीत लिया था। गांधी जी के जीवन का सार व कार्यपद्धति की विशेषता उनकी ‘अहिंसा’ में थी। परन्तु खेद की बात ऐसी है कि जनता वास्तविक अर्थों में अहिंसा भक्त बिल्कुल भी नहीं बनी। स्वराज्य के पहले वर्ष में लाखों लोगों की हत्या और तबाही को हमने मौन रहकर देखा तथा अहिंसा के मुख्य सेवक गांधी जी का कत्ल भी इस देश में हुआ। गांधी जी जैसे महान व्यक्ति ने इस देश में जन्म लिया लेकिन उनके गुणों का पूरा सदुपयोग हम नहीं कर सके। गांधी जी में देशभक्ति और ईश्वरभक्ति इन दोनों गुणों का सुंदर मिश्रण था। एक बेहद महत्वपूर्ण योजना उन्होंने अपने आखिरी दिनों में व्यक्त की थी। उनके राजनीतिक इच्छा-पत्र को लास्ट विल एंड टैस्टामैंट कहते हैं।
प्रभु श्रीराम खुद पर हुए अन्याय के खिलाफ लड़े। उस राम का मंदिर हम बना रहे हैं लेकिन गांधी का संघर्ष भी अन्याय के खिलाफ था। उसके लिए वे लड़े और अपनी जान गंवाई। गांधी का जीवन भी अंत तक ‘राममय’ था। इसे आधुनिक रामभक्तों को समझना चाहिए। गांधी को हम रोज मारते हैं। मौलाना अबुल कलाम आजाद ने अत्यंत व्यथित होकर कहा था, ‘हर हिंदी भाषी के हाथों पर गांधी जी के खून के दाग हैं।’
गांधी जी के कारण देश टूटा, ऐसा जिन्हें लगता है वे उसे पुन: अखंड बना दें। ऐसा करने से उन्हें किसी ने रोका नहीं है। वहां पाकिस्तान में बैरिस्टर जिन्ना कब्र में शांति से विश्राम कर रहे हैं। पाकिस्तान स्पष्ट रूप से ‘नर्क’ बन गया है लेकिन इसका दोष कोई जिन्ना के माथे पर नहीं मढ़ता। परन्तु गांधी-नेहरू ने एक आधुनिक हिंदुस्तान का निर्माण किया, उन्हें रोज मारा जाता है। ये भी एक आजादी ही है। हिंदुस्तान की अवस्था पाकिस्तान जैसी नहीं हुई, इसका श्रेय गांधी-नेहरू व पटेल जैसे कांग्रेसी नेताओं को जाता है। उन पर ‘कीचड़ उछालने का पाप’ जो लोग कर रहे हैं। यह ‘पाप’ करने की आजादी भी गांधी जी ने ही दिलाई, इतना तो ध्यान रखें।