‘चंद अध्यापक-अध्यापिकाओं द्वारा’छात्र-छात्राओं पर ‘अमानवीय अत्याचार!

Edited By Updated: 17 Oct, 2025 04:08 AM

inhuman atrocities on students by a few teachers

जीवन में माता-पिता के बाद अध्यापक का ही सर्वोच्च स्थान माना गया है। वही बच्चों को सही शिक्षा देकर अज्ञानी से ज्ञानवान बनाता है, परंतु आज चंद अध्यापक-अध्यापिकाओं द्वारा अपने आदर्शों को भूल छोटी आयु से लेकर बड़ी आयु तक के छात्र-छात्राओं पर अमानवीय...

जीवन में माता-पिता के बाद अध्यापक का ही सर्वोच्च स्थान माना गया है। वही बच्चों को सही शिक्षा देकर अज्ञानी से ज्ञानवान बनाता है, परंतु आज चंद अध्यापक-अध्यापिकाओं द्वारा अपने आदर्शों को भूल छोटी आयु से लेकर बड़ी आयु तक के छात्र-छात्राओं पर अमानवीय अत्याचार और उनका यौन उत्पीडऩ तक करने के साथ-साथ नैतिकता को भी तार-तार किया जा रहा है। यहां निम्न में दर्ज हैं ऐसी ही चंद ताजा घटनाएं :

* 29 मई को ‘रतिया’ (हरियाणा) के गांव ‘लाली’ में एक प्राइमरी स्कूल के जे.बी.टी. अध्यापक ने होमवर्क न करने पर पांचवीं कक्षा की एक छात्रा को इतनी बेरहमी से पीटा कि उसका एक दांत टूट गया और उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा।
* 23 जुलाई को ‘अशोक नगर’ (मध्य प्रदेश) के एक स्कूल अध्यापक ने 12वीं कक्षा के एक छात्र को पीट-पीट कर लहुलूहान कर दिया। उसका दोष यह था कि वह कक्षा में अपने किसी साथी से बात कर रहा था। घटना के तुरंत बाद छात्र को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया।
* 29 जुलाई को ‘नवी मुम्बई’ (महाराष्ट्र) के ‘कोपरखैर’ में एक नाबालिग छात्र को सोशल मीडिया पर अश्लील वीडियो काल करने के आरोप में एक 35 वर्षीय अध्यापिका को गिरफ्तार किया गया। 

* 8 अगस्त को ‘लखनऊ’ (उत्तर प्रदेश) के एक प्राइवेट स्कूल की सातवीं कक्षा की छात्रा ने गणित के अध्यापक पर उसे गलत तरीके से छूने और वाशरूम तक उसका पीछा करने के आरोप में शिकायत दर्ज करवाई।
* 15 सितम्बर को ‘गढ़वा’ (झारखंड) के एक स्कूल की पिं्रसीपल ने  जूतों के स्थान पर चप्पल पहनकर स्कूल आने पर ‘दीया कुमारी’ नामक छात्रा को इतने जोर से थप्पड़ मारा कि वह गंभीर रूप से बीमार हो गई और बाद में इलाज के दौरान उसकी एक अस्पताल में मौत हो गई।
* 10 अक्तूबर को ‘गोहाना’ (हरियाणा) के गांव ‘रिढाना’ के स्कूल में होमवर्क न करने पर पिं्रसीपल द्वारा पांचवीं कक्षा की एक छात्रा से पोंछा लगवाने के मामले में पुलिस ने केस दर्ज किया है। पिं्रसीपल ने बच्ची को चेतावनी दी थी कि होमवर्क न करने पर उसके बाल मुंडवा दिए जाएंगे। इससे वह स्कूल जाने से डरने लगी

* 14 अक्तूबर को ‘निवाड़ी’ (मध्य प्रदेश) के ‘पृथ्वीपुर’ स्थित ‘सेंट अलफोंसा स्कूल’ के दसवीं कक्षा के छात्र ‘साहिल’ द्वारा स्कूल में एक पटाखा फोडऩे के दंडस्वरूप स्कूल के प्रबंधन ने उसे 15 दिनों के लिए स्कूल से निकाल दिया जिससे आहत होकर छात्र ने आत्महत्या कर ली।
* 14 अक्तूबर को ही ‘पटियाला’ (पंजाब) के एक स्कूल में चौथी कक्षा की 9 वर्षीय छात्रा से पी.टी.आई. अध्यापक द्वारा बलात्कार करने का मामला सामने आने पर आरोपी अध्यापक के विरुद्ध केस दर्ज करके उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
* 14 अक्तूबर को ही ‘आगरा सदर’ (उत्तर प्रदेश) के एक स्कूल की 14 वर्षीय छात्रा से अश्लील हरकतें करने, वीडियो काल तथा अश्लील वीडियो भेजने और विरोध करने पर उसके परिवार को जान से मारने की धमकी देने के आरोप में पुलिस ने अध्यापक ‘विवेक चौहान’ को गिरफ्तार कर लिया। ये तो अध्यापक-अध्यापिकाओं द्वारा छात्र-छात्राओं पर किए जाने वाले अत्याचारों की चंद घटनाएं हैं जो प्रकाश में आई हैं। इनके अलावा भी न जाने कितनी घटनाएं हुई होंगी जो प्रकाश में नहीं आ पाईं। 

अध्यापक-अध्यापिकाओं द्वारा छात्र-छात्राओं से मारपीट और यौन उत्पीडऩ इस आदर्श व्यवसाय पर घिनौना धब्बा है। अत: ऐसा करने वाले अध्यापक-अध्यापिकाओं को तुरंत कठोरतम और शिक्षाप्रद सजा दी जानी चाहिए ताकि यह दुष्चक्र रुके और शिक्षा संस्थानों में छात्र-छात्राओं के प्राण और इज्जत सुरक्षित रह सकें।—विजय कुमार 

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