क्या अपना राजनीतिक आधार खो रहे देवेंद्र फडऩवीस

Edited By ,Updated: 19 Mar, 2023 06:17 AM

is devendra fadnavis losing his political base

महाराष्ट्र विधानसभा (नवम्बर 2019) में मुख्यमंत्री के रूप में देवेंद्र फडऩवीस का आखिरी भाषण उनके द्वारा लिखी गई एक कविता के साथ समाप्त हुआ जिसमें उन्होंने पढ़ा कि, ‘मी पुन्हा येइन’ (मैं वापस आऊंगा)।

महाराष्ट्र  विधानसभा (नवम्बर 2019) में मुख्यमंत्री के रूप में देवेंद्र फडऩवीस का आखिरी भाषण उनके द्वारा लिखी गई एक कविता के साथ समाप्त हुआ जिसमें उन्होंने पढ़ा कि, ‘मी पुन्हा येइन’ (मैं वापस आऊंगा)। इससे महाराष्ट्र के राजनीतिक हलकों में बहुत खुशी हुई। जितेंद्र आव्हाड ने एक टिकटॉक वीडियो के माध्यम से अपनी खुद की पोस्ट स्क्रिप्ट जोड़ दी। जिसमें मुख्यमंत्री की ‘मी पुन्हा येइन’ की घोषणा की गई और कैमरे के सामने खड़ा एक उबा हुआ व्यक्ति कह रहा था, ‘‘कुछ चूना लाओ। जब तुम वापस आओगे।’’

2019 की शरद ऋतु ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक महत्वूपर्ण मोड़ दिया। 36 दिवसीय नाटक जिसके तहत अंतत: उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित किया गया। अजीत पवार का दलबदल हुआ और मुख्यमंत्री के रूप में फडऩवीस का इस्तीफा। विपक्ष ने एक संक्षिप्त अंतराल के बाद और राज्यपाल बी.एस. कौशियारी के सक्रिय समर्थन के साथ फडऩवीस वापस लौट आए लेकिन वित्त के प्रभारी उप-मुख्यमंत्री के रूप में। ऑटो ड्राइवर से मुख्यमंत्री बने एकनाथ शिंदे को फडऩवीस को रिपोर्ट करनी थी। जब रिपोर्टर फडऩवीस से मिले तो उन्होंने उनसे पूछा कि क्या वर्तमान भूमिका से वे खुश हैं तो उनका जवाब सीधा-सादा ‘न’ में था। 

तब से चीजें केवल बद से बदतर होती चली गईं। मुख्यमंत्री बनाए जाने के कुछ ही हफ्तों के भीतर एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र में एक निकाय की स्थापना की। इंस्टीच्यूशन फॉर ट्रांसफोर्मेशन केंद्र के नीति आयोग की तर्ज पर एक राज्य निकाय है। फडऩवीस को सह-अध्यक्ष बनाया गया। अगर शिंदे को वाइस चेयरमैन (कैबिनेट रैंक के साथ) के रूप में नामित नहीं किया गया होता तो यह निर्णय अपरिहार्य होता। जब महाराष्ट्र विकास आघाड़ी (एम.वी.ए.) सत्ता में थी और शिंदे शहरी विकास मंत्री थे तो मुम्बई भाजपा प्रमुख  आशीष शेलार ने अजय अशर (अशर समूह प्रमुख) और शिंदे के बीच निकटता के बारे में विधानसभा में बात की थी।

यह भाषण अभी भी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है। भाजपा के नेता जो सवाल निजी तौर पर पूछ रहे हैं वही सवाल कांग्रेस के नेता सार्वजनिक रूप से पूछ रहे हैं : देवेंद्र फडऩवीस जो तब तक विपक्ष के नेता थे, शिंदे और अशर के बीच निकटता पर भी उन्होंने आपत्ति जताई थी। शिंदे फडऩवीस सरकार एक ही व्यक्ति को इतने महत्वपूर्ण कार्यालय में कैसे नियुक्त कर सकती है। यह बात कांग्रेसी नेता नाना पटोले ने पूछी। देवेंद्र फडऩवीस और उनकी फोटोजनिक पत्नी अमृता अन्य कारणों से भी चर्चा में है।

विधायकों ने विधानसभा में उनके असाधारण भाषण को चुपचाप सुना जिसमें बताया गया था कि कैसे उनकी पत्नी को एक फैशन डिजाइनर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए मजबूर किया गया था जिसके पिता सट्टेबाज हैं और वर्तमान में भूमिगत हैं। लगभग 2 वर्षों की अवधि में इस युवती को फडऩवीस के घर में आसानी से प्रवेश करने की अनुमति दी गई थी, इस अनुरोध के साथ कि श्रीमती फडऩवीस को माडल जूते, कपड़े और आभूषण चाहिएं। परिवार अब दावा करता है कि इस रिश्ते में अब खटास आ गई है।

जबरन वसूली की मांग, धमकी, ब्लैकमेङ्क्षलग और बदतर हो गई है। बहुत-सी बातें हैं जो जुड़ती नहीं हैं। डिजाइनर अब जेल में है। महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव करीब एक साल पहले होने वाले थे, पिछली सरकार ने उन्हें टालने के लिए तरह-तरह के बहाने बनाए। यह सरकार जल्द ही उन्हें आदेश देने का कोई संकेत नहीं दिखाती है। पड़ोसी गुजरात में फॉक्सकॉन परियोजना के दल बदल ने महाराष्ट्र सरकार की प्रतिष्ठा को और नुक्सान पहुंचाया है।

एम.वी.ए. पार्टनर 16 विधायकों के दल-बदल  पर सुप्रीमकोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहे हैं जिससे शिवसेना विभाजित हो गई थी और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई। शिंदे सरकार 43 मंत्रियों तक की नियुक्ति कर सकती है। अब इसमें केवल 20 हैं क्योंकि सभी दबावों और ङ्क्षखचावों को समायोजित नहीं किया जा सकता है। गठबंधन 12 लोगों को विधान परिषद के लिए मनोनीत भी कर सकता है लेकिन कांग्रेस के नए दल बदलुओं के साथ-साथ लम्बे समय से आर.एस.एस. के कार्यकत्र्ताओं के दावे के साथ बहुत अधिक अंतर्कलह है।

हालांकि इस संकट से सबसे बड़ा लाभ एकनाथ शिंदे को हुआ है जो केवल महाराष्ट्र के शीर्ष पद को पाने का सपना देख सकते थे और सबसे बड़ा नुक्सान देवेंद्र फडऩवीस को हुआ। उन्हें हमेशा से एक स्वच्छ और बेदाग छवि के नेता के रूप में जाना जाता  था जिन्होंने महाराष्ट्र में रहने के लिए केंद्र में अपने स्थानांतरण को ठुकरा दिया था। आज अचानक उनके विरोधी फिर से सामने आ रहे हैं। ऐसे विरोधियों में विनोद तावड़े और राधा किशन विखे पाटिल हैं जोकि कुछ साल पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे।

विखे एक लो प्रोफाइल नेता हैं और एक मराठा हैं। शिंदे के उत्तराधिकारी फडऩवीस होने चाहिएं मगर विखे पाटिल का नाम प्रचलन में है। फडऩवीस कैसे खोया हुआ आधार हासिल करते हैं यह देखना बाकी है उन्होंने भाजपा की सत्ता में वापसी सुनिश्चित करने के लिए सब कुछ दाव पर लगा दिया। अब फडऩवीस बहुत कुछ खोने के लिए खड़े हैं खासकर अपनी प्रतिष्ठा। -आदिति फडणीस (साभार बी.एस.)

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