बेरोजगारी, महंगाई, कारोबार की बदहाली का हम हल खोजें

Edited By Updated: 15 Oct, 2022 05:27 AM

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जिस समय बेरोजगारी दशकों का रिकॉर्ड तोड़ चुकी है, महंगाई लगभग सरकार के नियंत्रण से बाहर है और देश आर्थिक एवं सामाजिक संकट के मुहाने पर खड़ा है, उस समय देश में इन गंभीर संकटों पर कोई चर्चा नहीं हो रही है।

जिस समय बेरोजगारी दशकों का रिकॉर्ड तोड़ चुकी है, महंगाई लगभग सरकार के नियंत्रण से बाहर है और देश आर्थिक एवं सामाजिक संकट के मुहाने पर खड़ा है, उस समय देश में इन गंभीर संकटों पर कोई चर्चा नहीं हो रही है। विपक्ष ने जब इन मुद्दों को संसद में उठाने की कोशिश की तो उन्हें बोलने से रोक दिया गया। लोकतंत्र में जितनी संस्थाएं सरकार पर अंकुश लगाती हैं या जवाबदेह बनाती हैं, वे सभी आज बंधक बना ली गई हैं। मीडिया का बड़ा वर्ग आज इतने दबाव में है कि वह विपक्ष के साथ-साथ जनता की आवाज उठाने से भी डरता है।

पूरा तंत्र इस तरह बना दिया गया है कि सबके हिस्से का उजाला सिर्फ एक चेहरे पर पड़ता रहे। यही वे परिस्थितियां हैं जिन्होंने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की पटकथा लिखी। विपक्ष के पास अब इसके सिवा कोई चारा नहीं रह गया था कि देश में जो हो रहा है, उसे जनता के बीच जाकर जनता को बताया जाए क्योंकि संकट जितना दिख रहा है, उससे कहीं ज्यादा बड़ा है। हाल ही में आंकड़े जारी हुए कि 2021 में बेरोजगारी की वजह से देश में 11,724 लोगों ने आत्महत्या की। 2020 की तुलना में यह संख्या 26प्रतिशत ज्यादा है।

एक साल में बेरोजगारी से आत्महत्या करने वालों की संख्या में एक चौथाई वृद्धि हैरान करने वाली है। भारत दुनिया का सबसे युवा देश है। युवा आबादी ही हमारी ताकत है लेकिन हमारी नीतिगत दुर्बलता इतनी बड़ी युवा आबादी के हौसलों को उड़ान देने की बजाय उन्हें तोडऩे का काम कर रही है। सालाना 2 करोड़ रोजगार का वादा करके सत्ता में आई भाजपा सरकार ने लोकसभा चुनाव-2019 के पहले बेरोजगारी के आंकड़ों को प्रकाशित नहीं होने दिया। हालांकि, चुनाव के बाद यह बाहर आया और पता चला कि देश पिछले 45 सालों में सबसे ज़्यादा बेरोजगारी से जूझ रहा है।

सैंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के मुताबिक अकेले नोटबंदी ने 50 लाख रोजगार छीन लिए। हाल ही में सरकार ने संसद को सूचित किया कि पिछले 8 सालों में 22 करोड़ लोगों ने सरकारी नौकरियां मांगी, लेकिन नौकरियां मिलीं मात्र 7 लाख लोगों को। मतलब सरकार मात्र 0.32 प्रतिशत लोगों को नौकरियां दे पाई। सेना में लाई गई 4 साल की अग्निवीर भर्ती ने युवाओं के हौसले तोड़ दिए। सरकार एक तरफ मौजूदा नौकरियों में कटौती कर रही है और दूसरी तरफ नौकरी देने वाले संस्थानों को बेच रही है।

बेरोजगारों की फेहरिस्त में आज सिर्फ पढ़े-लिखे युवा ही नहीं हैं, बल्कि इसकी मार किसानों, मजदूरों, छोटे व्यापारियों, आदिवासियों, दलितों, कमजोर तबकों पर भी पड़ रही है। नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि 2021 में 42,000 दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या कर ली जिसका मुख्य कारण बेरोजगारी, आर्थिक तंगी और कर्ज है। आज हरियाणा जैसे समृद्ध राज्य की बेरोजगारी दर पूरे देश में सबसे ज्यादा है। राज्य के सरकारी विभागों में 41 प्रतिशत पद खाली हैं। इसी तरह जम्मू कश्मीर, पंजाब और हिमाचल प्रदेश भी उच्च बेरोजगारी दर वाले राज्यों में हैं। दूसरा बड़ा संकट है-महंगाई।

पिछले 9 महीनों से महंगाई सरकार के नियंत्रण से बाहर है। महंगाई के ताजा आंकड़े कहते हैं कि अगस्त में 7 प्रतिशत रही महंगाई दर सितंबर में बढ़कर 5 महीने के उच्च स्तर- 7.41 प्रतिशत पर पहुंच गई। अनाज, दालें, सब्जियां, दूध समेत सारी जरूरी चीजें लगातार महंगी होती जा रही हैं। 2019 की तुलना में आज लोगों को सरसों तेल के दाम 68 प्रतिशत, रसोईगैस के दाम 113 प्रतिशत, पैट्रोल के दाम 33 प्रतिशत और डीजल के दाम 36प्रतिशत ज्यादा चुकाने पड़ रहे हैं। आम लोगों व रोज कमाने खाने वालों के सामने रोजी-रोटी का अभूतपूर्व संकट है।

सरकार लोगों को राहत देने की जगह बुनियादी चीजों पर टैक्स वसूल रही है। CMIE के मुताबिक, 23 करोड़ भारतीय गरीबी रेखा के नीचे चले गए। अहम सवाल यह है कि महंगाई, बेरोजगारी व गिरती अर्थव्यवस्था के इस घनघोर संकट को क्या केंद्र सरकार गंभीरता से ले रही है? इसकी एक बानगी हम हाल ही में संसद में देख चुके हैं जब विपक्ष के दबाव के बाद महंगाई पर चर्चा हुई। इस चर्चा में सरकार ने साफ कहा कि देश में महंगाई है ही नहीं। महंगाई के मुद्दे को नकारते हुए सरकार के मंत्रियों ने अपमानजनक लहजे में कहा कि वे 80 करोड़ लोगों को फ्री-फंड का राशन दे रहे हैं।

प्रधानमंत्री अपने भाषणों में महंगाई, बेरोजगारी पर एक शब्द नहीं बोलते। मीडिया में लगभग 90 प्रतिशत बहसें बेरोजगारी, महंगाई जैसे मुद्दों को छूती भी नहीं। राजनीति में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, मानव विकास, उन्नत खेती, खुशहाली, तकनीक जैसे अहम विषयों पर ठोस बात कब होगी? इसके लिए जरूरी है कि हम भारत की सबसे बड़ी ताकत का इस्तेमाल करें। एकजुटता हमारे देश की सबसे बड़ी ताकत है। एकजुटता के दम पर ही हमारे देश की मजबूत नींव पड़ी और हमने सुई से लेकर जहाज तक बनाने का सामथ्र्य हासिल किया। भारत जोड़ो यात्रा भारत की एकजुटता के आह्वान का महायज्ञ है। कांग्रेस जनता से सीधे संवाद करके कह रही है कि आइए एकजुट होकर बेरोजगारी, महंगाई, कारोबार की बदहाली का हल खोजें।-संदीप सिंह (लेखक कांग्रेस से जुड़े हैं और जे.एन.यू. छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष हैं।)

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