इस्लामः अरबों की नकल जरुरी नहीं

Edited By ,Updated: 09 Mar, 2021 11:28 AM

not necessary to copy arab countries

स्विटजरलैंड ताजातरीन देश है, जिसने बुर्के पर प्रतिबंध लगा दिया है। दुनिया में सिर्फ हिंदू औरतें पर्दा करती हैं और मुस्लिम औरतें बुर्का पहनती हैं। हिंदुओं में पर्दा अब भी वे ही औरतें ज्यादातर करती हैं, जो बेपढ़ी-लिखी हैं या गरीब हैं या गांवों में रहती...

स्विटजरलैंड ताजातरीन देश है, जिसने बुर्के पर प्रतिबंध लगा दिया है। दुनिया में सिर्फ हिंदू औरतें पर्दा करती हैं और मुस्लिम औरतें बुर्का पहनती हैं। हिंदुओं में पर्दा अब भी वे ही औरतें ज्यादातर करती हैं, जो बेपढ़ी-लिखी हैं या गरीब हैं या गांवों में रहती हैं लेकिन मुस्लिम देशों में मैंने देखा है कि विश्वविद्यालयों में जो महिला प्रोफेसर मेरे साथ पढ़ाती थीं, वे भी बुर्का पहन करके आती थीं। बुर्का पहनकर ही वे कार भी चलाती थीं। अब इस बुर्के पर प्रतिबंध की हवा दुनिया भर में फैलती जा रही है। दुनिया के 18 देशों में बुर्के पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इन 18 देशों में यूरोपीय देश तो हैं ही, कम से कम आधा दर्जन इस्लामी देश भी हैं, जिनमें तुर्की, मोरक्को, उजबेकिस्तान, ताजिकिस्तान, ट्यूनीसिया और चाद जैसे राष्ट्र भी शामिल हैं।

 

यहां सवाल यही उठता है कि आखिर इस्लामी देशों ने भी बुर्के पर प्रतिबंध क्यों लगाया ? इसका तात्कालिक कारण तो यह है कि बुर्का पहनकर कई आदमी जघन्य अपराध करते हैं। वे अपनी पहचान छिपा लेते हैं और अचानक हमला बोल देते हैं। वे बुर्के में छोटे-छोटे हथियार भी छिपा लेते हैं। इन अपराधियों को पकड़ पाना भी मुश्किल हो जाता है। यही बात यूरोपीय देशों में भी हुए कई आतंकी हमलों में भी देखी गई। यूरोपीय देश अपने मुस्लिम अल्पसंख्यकों की कई आदतों से परेशान हैं। उन्होंने उनके बुर्के और टोपी वगैरह पर ही प्रतिबंध नहीं लगाए हैं, बल्कि उनकी मस्जिदों, मदरसों और मीनारों पर तरह-तरह की बंदिशें कायम कर दी हैं। इन बंदिशों को वहां के कुछ मुस्लिम संगठनों ने उचित मानकर स्वीकार कर लिया है लेकिन कई अतिवादी मुस्लिमों ने उनकी कड़ी भर्त्सना भी की है। उनका कहना है कि यह कट्टर ईसाई पादरियों की इस्लाम-विरोधी साजिश है।


इस दृष्टिकोण का समर्थन पाकिस्तान, सउदी अरब और मलेशिया— जैसे देशों के नेताओं ने भी किया है। उनका तर्क है कि पूरे स्विटजरलैंड में कुल 30 मुस्लिम औरतें ऐसी हैं, जो बुर्का पहनती हैं। उन पर रोक लगाने के लिए कानून की क्या जरुरत है ? उनका सोच यह भी है कि इस प्रतिबंध का बुरा असर स्विस पर्यटन-व्यवसाय पर भी पड़ेगा, क्योंकि मालदार मुस्लिम देशों की औरतें वहां आने से अब परहेज़ करेंगी। वे मानते हैं कि यह बुर्का-विरोधी नहीं, इस्लाम-विरोधी कदम है लेकिन यह मौका है जबकि दुनिया के मुसलमान सोचें कि वास्तव में इस्लाम क्या है और वे कौनसी बाते हैं, जो बुनियादी हैं और कौनसी सतही हैं? इस्लाम की सबसे बुनियादी बात यह है कि ईश्वर सर्वव्यापक है। वह निर्गुण निराकार है।

 

 पैगंबर मुहम्मद ने यह क्रांतिकारी संदेश देकर अंधेरे से घिरे अरब जगत में रोशनी फैला दी थी। बस इस एक बात को आप पूरी तरह से पकड़े रहें तो आप सच्चे मुसलमान होंगे। शेष सारे रीति-रिवाज, खान-पान, पोषाख, भाषा आदि तो देश-काल के मुताबिक बदलते रहना चाहिए। अरबों के यहां कई अदभुत परंपराएं हैं लेकिन अरबों की नकल करना ही मुसलमान होना नहीं है। पैगंबर मुहम्मद साहब के प्रति अखंड भक्तिभाव रखना अपनी जगह उचित है लेकिन डेढ़ हजार साल पुराने अरबी या भारतीय कानून-कायदों, रीति-रिवाजों और परंपराओं से आंख मींचकर चिपके रहना कहां तक ठीक है ? उनके खिलाफ कानून लाने की जरुरत ही क्यों पड़े ? उन्हें तो हमें खुद ही बदलते रहना चाहिए। (डॉ. वेदप्रताप वैदिक)

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!