योगी के हिन्दुत्व मुद्दे पर घिरा विपक्ष

Edited By ,Updated: 20 Feb, 2024 05:54 AM

opposition surrounded on yogi s hindutva issue

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा और फिर वाराणसी में ज्ञानवापी के तहखाने में पूजा का अधिकार मिलने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिन्दुत्व के मुद्दे को और धार देना शुरू कर दिया है।

अयोध्या में  रामलला की प्राण प्रतिष्ठा और फिर वाराणसी में ज्ञानवापी के तहखाने में पूजा का अधिकार मिलने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिन्दुत्व के मुद्दे को और धार देना शुरू कर दिया है। उन्होंने विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर ‘कृष्ण, महाभारत, कौरव, नंदी जैसे भारतीय संस्कृति के प्रतीकों के जरिए अपने हिन्दुत्व की धार को और पैना किया तो विपक्ष को इसकी काट ढूंढना मुश्किल हो गया।

2017 के पहले उत्तर प्रदेश में जिन लोगों ने 4-4 बार प्रदेश में शासन किया, लंबे समय तक सत्ता पर विराजमान रहे उन्होंने यू.पी. के लोगों के सामने पहचान का संकट खड़ा कर दिया। यहां का नौजवान पहचान छिपाने के लिए मजबूर था। उसे यू.पी. से बाहर हेय दृष्टि से देखा जाता था। यहां तो नौकरी नहीं थी, यू.पी. से बाहर भी नहीं मिलती थी। किराए के कमरे तो दूर होटल और धर्मशालाओं में भी जगह नहीं मिलती थी।

आज उत्तर प्रदेश ने 22 जनवरी 2024 की घटना को भी देखा है। पूरी दुनिया के अन्दर हर वह व्यक्ति जो न्याय का पक्षधर है, गौरवान्वित था। हर  धर्मावलंबी की आंखों में खुशी के आंसू थे। योगी ने कहा कि अयोध्या को लेकर हर किसी के मन में संतोष था कि जो हुआ है अच्छा हुआ है। अविस्मरणीय क्षण था वह और हर व्यक्ति गौरव की अनुभूति कर रहा था क्योंकि 500 वर्षों के लंबे संघर्ष के बाद सर्वानुमति के साथ उसके समाधान का रास्ता निकला और आज रामलला के भव्य मंदिर का निर्माण न सिर्फ प्रशस्त हुआ बल्कि रामलला वहां स्थापित हुए।

अयोध्या में जो हुआ वह पहले भी हो सकता था। विकास हो सकता था, सड़कें चौड़ी हो सकती थीं, एयरपोर्ट बन सकता था। मथुरा-काशी-वृंदावन के विकास को अवरुद्ध कर दिया गया। लेकिन हमारी आस्था थी नीति साफ थी। नीयत भी स्पष्ट थी। हम अयोध्या-काशी तो गए ही, नोएडा और बिजनौर भी गए। योगी ने कहा कि मैं अयोध्या, काशी गया क्योंकि हमारी आस्था थी। नोएडा, बिजनौर इसलिए गया क्योंकि वहां के बारे में भ्रांति थी कि जो मुख्यमंत्री वहां गया वह दोबारा नहीं आया,  लेकिन मैं गया। मैंने कहा जो कल  होना है वह आज हो जाए लेकिन मैं जरूर जाऊंगा क्योंकि नोएडा, बिजनौर उत्तर प्रदेश का हिस्सा हैं।

विपक्ष पर हमला बोलते हुए योगी ने कहा कि कुछ लोगोंं ने निहित स्वार्थों के लिए अयोध्या को युद्धभूमि के रूप में बदल दिया था। अयोध्या में तब कफ्र्यू का सन्नाटा था। आज अयोध्या ‘मंगल भवन अमंगल हारी’ की ध्वनि से गुंजायमान हो रही है। तब सरकार ने अयोध्या की उपेक्षा की थी। अब सारा देश हमसे उम्मीद रखता है। अयोध्या आज सबको आमंत्रित करती है। हम सबको वहां जाना चाहिए। पूरा देश वहां आ रहा है और पूरी दुनिया आना चाहती है।

अखिलेश पर तंज  कसते हुए योगी ने कहा कि राज्यपाल ने भाषण की शुरूआत भगवान राम से की थी, लेकिन नेता प्रतिपक्ष ने एक भी शब्द उस पर नहीं बोला। उन्हें आज भी वोट की ङ्क्षचता है और यह वोट बैंक की चिंता बड़ी खतरनाक है। वोट बैंक के लिए हम किस स्तर पर जाकर जनविश्वास के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं कि राज्यपाल के भाषण में प्रयोग किए गए शब्दों का प्रयोग भी हम नहीं कर पाए। 

उत्तर प्रदेश विधान सभा में योगी आदित्यनाथ ने राम मंदिर के मुद्दे पर बोलते हुए इशारों-इशारों में मथुरा और काशी का मुद्दा भी छेड़ दिया। उन्होंने कहा कि भारत के अंदर लोक आस्था का अपमान हो और बहुसंख्यक समुदाय गिड़गिड़ाए, ऐसा दुनिया में कहीं नहीं हुआ। जो काम अब हो रहा है वह काम आजाद भारत में पहले होना चाहिए था। 1947 में ही हो जाना चाहिए था। अयोध्या-काशी और मथुरा की ओर इशारा करते हुए योगी ने कहा, ‘हमने तो केवल तीन जगहें मांगी हैं। अन्य जगहों के बारे में कोई मुद्दा नहीं था।

विदेशी आक्रांताओं ने केवल इस देश के अंदर धन-दौलत ही नहीं लूटा था इस देश की आस्था को भी रौंदने का काम किया था। आजादी के बाद उन आक्रांताओं को महिमा मंडित करने का कुत्सित कार्य किया गया। विपक्षी नेताओं के पास उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्य नाथ के इन सवालों का कोई जवाब नहीं है। विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने राम मंदिर पर समय-समय पर दिए बयानों से भाजपा को यह मौका दिया है। राम मंदिर के निर्माण की जन आकांक्षाओं को समझने में विपक्षी नेता विफल रहे हैं।

मंदिर के निर्माण के बारे में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बसपा की भूमिका शुरू से ही नकारात्मक रही है। वे अपनी तथाकथित सैकुलर छवि को चमकाने के मोह में इतना डूबे रहे कि आम जनमानस की भावनाओं को समझ ही नहीं  सके। इतना ही नहीं, जब समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव को अयोध्या में राम मन्दिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आने का निमंत्रण पत्र गया तो उन्होंने उसे लेने से ही इंकार कर दिया। उनके एक चहेते बड़बोले नेता ने प्राण प्रतिष्ठा का ही मजाक उड़ा दिया। 

प्रमोद कृष्णम को छोड़कर कोई बड़ा कांग्रेसी नेता इस समारोह में नहीं गया। कोई मन्दिर की जगह अस्पताल बनवाने की बात कर रहा था तो किसी ने कहा कि क्या राम मन्दिर बन जाने से बेरोजगारी दूर हो जाएगी? पर आज कोई भी अयोध्या जाकर यह देख सकता है कि किस तरह से अयोध्या ही नहीं इसके आसपास के क्षेत्रों के साथ-साथ पूरे प्रदेश और देश की अर्थव्यवस्था बदल रही है।

आज अयोध्या में राम मन्दिर बनने के ही कारण वह पूरी दुनिया का एक बड़ा पर्यटन स्थल भी बन गया है। पूरी अयोध्या का कायाकल्प हो गया है। वहां के छोटे-बड़े दुकानदारों, होटलों के ही नहीं बल्कि आम आदमी, रिक्शा व टैक्सी चालकों की आर्थिक दशा में भी सुधार हो रहा है। हर जगह रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं। विपक्षी दलों के नेताओं की बेचैनी अब साफ-साफ दिखाई दे रही है। दल टूट रहे हैं और हताश एवं निराश दलों के नेताआें को कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है। 

बेचैनी इतनी ज्यादा है कि कुछ नेता तो प्रदेश में अराजकता फैलाने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। बरेली और हल्द्वानी की हिंसा में उनके क्रियाकलापों की जांच चल रही है। विपक्षी नेताआें को यह समझ में नहीं आ रहा कि वे चुनाव का मुद्दा क्या बनाएं। बस वे बेरोजगारी और महंगाई की बात कर रहे हैं। इसे हर चुनाव में विपक्षी दल मुद्दा बनाते रहे हैं। पर जनता भी यह समझ रही है कि दुनिया में कोई ऐसी सरकार नहीं है जो सबको रोजगार दे सके।

रही बात महंगाई की तो वह आबादी बढऩे के साथ-साथ बढ़ रही है लेकिन विपक्षी नेता तो जनसंख्या नियंत्रण कानून के खिलाफ ही बोलते रहे हैं। दुनिया के तमाम देशों के मुकाबले भारत में महंगाई कम ही है। पाकिस्तान, श्रीलंका सहित तमाम देशों में महंगाई भारत की अपेक्षा बहुत ज्यादा है। कुल मिलाकर महंगाई और बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर विपक्ष चुनाव नहीं जीत सकता है। इसके लिए उसे नए मुद्दों की तलाश करनी होगी। -निरंकार सिंह

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