दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी में हो सकता है सत्ता का ‘खेला’

Edited By ,Updated: 29 Oct, 2021 04:44 AM

power may be  played  in delhi gurdwara committee

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के आम चुनाव को 2 महीने बीतने के बाद भी कमेटी प्रबंध कौन चलाएगा, सत्ता की चाबी किसके हाथ मिलेगी, यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा। बहुमत शिरोमणि अकाली दल (बादल) को मिला हुआ है लेकिन एक चेहरे को

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के आम चुनाव को 2 महीने बीतने के बाद भी कमेटी प्रबंध कौन चलाएगा, सत्ता की चाबी किसके हाथ मिलेगी, यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा। बहुमत शिरोमणि अकाली दल (बादल) को मिला हुआ है लेकिन एक चेहरे को लेकर अड़ी पार्टी फैसला नहीं ले पा रही। 

यही कारण है कि सब कुछ होने के बाद भी ‘सरकार’ अभी तक नहीं बन सकी। इसका फायदा अब एकजुट विपक्ष लेने को आतुर है और वह धीरे-धीरे अपने मिशन की ओर आगे बढ़ रहा है। उनके सदस्यों की संख्या भी पहले से ज्यादा हो गई है। सिंह सभा कोटे की लॉटरी से निकलने वाली 2 सीटों में से एक सीट पर सदस्य नामजद का चुनाव भी हो चुका है, जबकि एक सीट अभी भी खाली है। गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा कृष्णा नगर सफदरजंग एंक्लेव के अध्यक्ष महिंद्र सिंह ने सदस्य निर्वाचित होने के बाद ही परमजीत सिंह सरना की अगुवाई वाली शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) को समर्थन देने का ऐलान भी कर दिया। 

उधर, अकाली दल बादल के द्वारा चेहरा न बदलने के फैसले ने पार्टी के नव-निर्वाचित सदस्यों को भी अधर में लटका दिया है। हालांकि, कमेटी के कार्यवाहक अध्यक्ष मनजिंद्र सिंह सिरसा ने सदस्यों को एकजुट रखने में पूरी ताकत लगा रखी है, उनको तरह-तरह के प्रलोभन भी दे रहे हैं,  बावजूद इसके कुछ सदस्य अब वफादारी तोडऩे का मन बना रहे हैं। सियासी जानकार भी कहने लगे हैं कि समय रहते शिरोमणि अकाली दल अगर अपनी जिद छोड़ कर जल्दी कोई फैसला नहीं लेता तो वह दिन दूर नहीं जब अकालियों की बजाय सत्ता पर विपक्षी दल (सरना बंधु) के लोग काबिज हो जाएं। इसे लेकर कवायद भी तेज हो गई है। शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना पहले ही कह चुके हैं कि वह सत्ता की ओर बढ़ रहे हैं और बहुत जल्द ‘सरकार’ बनाएंगे। 

कमेटी की निगरानी के लिए नियुक्त हो सरकारी रिसीवर : शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल को पत्र लिखकर नई कमेटी का गठन होने तक आर्थिक निगरानी के लिए एक रिसीवर नियुक्त करने की मांग की है। सरना के मुताबिक कार्यवाहक प्रबंधन को सिर्फ रोजमर्रा के खर्चों की निगरानी करने का अधिकार होता है लेकिन वर्तमान  में लाखों रुपए की खरीद-फरोख्त की जा रही है। यहां तक कि दो गाडिय़ां खरीदी गई हैं और 2 अन्य गाडिय़ों के लिए आर्डर दिया गया है। 

उपराज्यपाल को लिखे पत्र में सरना ने आरोप लगाया है कि वर्तमान प्रबंधन का काम देख रहे पदाधिकारी खुलेआम गुरु की गोलक का दुरुपयोग कर रहे हैं, लिहाजा तत्काल प्रभाव से रिसीवर नियुक्त किया जाना चाहिए। बकौल सरना, 2 साल से एग्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक भी नहीं बुलाई गई और बिना बैठक में पास किए कोई भी बड़ा फैसला नहीं लिया जा सकता। सरना ने अंदेशा जताया कि वर्तमान कमेटी शिरोमणि अकाली दल (बादल) को  राजनीतिक लाभ पहुंचा रही है, जिसे तत्काल प्रभाव से रोकने की जरूरत है। 

सरना की चिट्ठी को धार्मिक रंग देने की कोशिश : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की आर्थिक निगरानी के लिए रिसीवर नियुक्त करने की मांग पर सत्ताधारी दल भड़क उठा है। कमेटी के आम चुनाव हार चुके कार्यवाहक अध्यक्ष मनजिंद्र सिंह सिरसा ने दिल्ली में बुलाए पंथक सम्मेलन में सरना की इस चिट्ठी को धार्मिक रंग देने की पूरी कोशिश की। सिरसा ने बाकायदा चिट्ठी पढ़ कर सुनाई। 

उन्होंने कहा कि सिख कौम ने अनेक शहादतें देकर और हजारों सिखों ने जेल काट कर गुरुद्वारा प्रबंधों में नरैणु महंत का कब्जा समाप्त करवाया तथा परमजीत सिंह सरना पुन: गुरुधामों और गुरुद्वारा प्रबंध पर सरकार का कब्जा करवाना चाहते हैं। सिरसा ने सरना को नरैणु महंत की संज्ञा दी। साथ ही उन्होंने स्पष्ट चेतावनी भी दे डाली कि सिख कौम किसी भी प्रकार की शहादत देने के लिए तैयार है पर गुरुधामों पर सरकार का कब्जा किसी भी हालत में नहीं होने दिया जाएगा। सिरसा का कहना है कि कमेटी प्रबंध में दखल देने के लिए किसी सरकारी अधिकारी को गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब के गेट से अंदर नहीं आने देंगे। इसके लिए चाहे जितनी भी कुर्बानी देनी पड़े। 

पहले भी नियुक्त हो चुके हैं रिसीवर : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में पहले भी निगरानी के लिए सरकारी रिसीवर नियुक्त हो चुके हैं। सियासी जानकारों के मुताबिक वर्ष 2006 में हरविंद्र सिंह सरना के कार्यकाल में अदालत के हस्तक्षेप पर रिसीवर नियुक्त किया गया था। उस वक्त तत्कालीन सैशन जज को 6 महीने के लिए लगाया गया था। वह कमेटी की हर बड़ी कार्यप्रणाली पर निगरानी रखते थे और आर्थिक हिसाब भी लेते रहे। रिसीवर नियुक्त करने की पहल शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने ही उस वक्त की थी और बाकायदा चुनाव को कोर्ट में चैलेंज किया गया था। हरविंद्र सिंह सरना खुद इस बात की पुष्टि करते हैं। 

वह कहते हैं कि रिसीवर स्थायी रूप से नियुक्त कर देना चाहिए। इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा एक बार कमेटी चलाने के लिए प्राईवेट बोर्ड बनाया गया था, जिसकी कमान रैनबैक्सी के मालिक को सौंपी गई थी। इसके बोर्ड में दिल्ली के प्रमुख सिखों को शामिल किया गया था। 

और अंत में... नई कमेटी को लेकर सत्ताधारी दल के भीतर अब विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं। हुक्मरान सुखबीर सिंह बादल तक यह बात पहुंचाई जा रही है कि अगर फैसले लेने में देरी हो गई तो दिल्ली में बड़ा ‘खेला’ हो सकता है।-दिल्ली की सिख सियासत सुनील पांडेय
 

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!