स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति : सांसद मोबाइल स्वास्थ्य सेवा

Edited By Updated: 16 Apr, 2022 05:05 AM

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चंडीगढ़ पी.जी.आई., हिमाचल, हरियाणा पंजाब से शायद ही कोई ऐसा घर होगा जिसका जीवन में शायद ही कभी इससे पाला न पड़ा हो। अपने 42 वर्षों के करियर में मैंने यहां लोगों का हुजूम देखा ..

चंडीगढ़ पी.जी.आई., हिमाचल, हरियाणा पंजाब से शायद ही कोई ऐसा घर होगा जिसका जीवन में शायद ही कभी इससे पाला न पड़ा हो। अपने 42 वर्षों के करियर में मैंने यहां लोगों का हुजूम देखा है, दूर-दूर से यहां लोगों को आते और स्वजनों के इलाज के लिए चक्कर लगाते देखा है। कभी-कभी मैं यह सोचता था कि कितना अच्छा होता यदि इन्हें अपने घर के आस-पास उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सेवा मिल पाती हो तो यदि कोई गंभीर बीमारी न सामने आती तो लोग बाग इतनी दूर से यहां आने से बच सकते थे। 

यदि अच्छी जांच सुविधा अपने शहर अपने गांव में मिल पाती तो बीमारी को शुरूआती स्तर पर ही निपटाया जा सकता, तो इतनी भागदौड़ से लोग बच सकते थे। इसके दो फायदे हैं, अव्वल तो मरीज की गाढ़ी मेहनत की कमाई इसकी जमापूंजी जांच इलाज पर खर्च होने से बचती दूसरा उनके समय की ऊर्जा की बचत होती, मानसिक तनाव से निजात मिलती। बदलाव एक दिन में नहीं आता, यह सतत चलने वाली प्रक्रिया है और बात जब गरीब कल्याण की हो, उनके उत्थान की हो, समाधान की हो तो कुछ नूतन और अभिनव की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है। देश के अग्रणी राजनीतिक विचारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने कहा था कि पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति का उत्थान ही वास्तविक लोकतंत्र है। 

देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र व राज्यों की भाजपा सरकारें इसी विचार को चरितार्थ करने में दिन-रात जुटी हैं। संघीय व्यवस्था में एक सांसद यदि चाह ले तो वह अपने क्षेत्र की तस्वीर बदल सकता है, यह मेरा शुरू से मानना है। इसके लिए संसाधन की  ज्यादा आवश्यक रचनात्मक सोच है। यदि सांसद अच्छी सोच का है तो वह क्षेत्र की समस्या को समझता है और उसके निदान का रास्ता भी बनाता है। 

मेरे सवालों का जवाब और मेरी तलाश हिमाचल के हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में चल रहे एक कार्यक्रम पर जाकर खत्म हुई। ज्ञात हुआ कि हिमाचल के हमीरपुर के सांसद अनुराग ठाकुर ने अपने लोकसभा क्षेत्र में सांसद मोबाइल स्वास्थ्य नाम से योजना शुरू की, और एक छोटे से पहाड़ी क्षेत्र से प्रारंभ की गई यह योजना आज कैसे एक मौन स्वास्थ्य क्रांति का रूप लेती जा रही है यह एक बड़ा दिलचस्प अनुभव है। 

हिमाचल में जनसुविधाओं की बहुत जरूरत है। स्वास्थ्य सुविधा यहां की मूल आवश्यकताओं में है। विगत दिनों की बात है कि किसी कार्यवश हिमाचल प्रवास पर था। ऊना के पास एक गांव से गुजर रहा तो देखा कि एक एंबुलैंस जैसी एक गाड़ी के पास लोगों की भीड़ जमा है, पेशे से डाक्टर हूं तो कौतूहल जगा कि यहां इतनी भीड़ क्यों है। नजदीक से देखने की जिज्ञासा उठी, पहुंचा तो देखा कि यह एम्बुलैंस नहीं कुछ और ही है। यह एक चलता-फिरता अस्पताल था जहां लोगों को जांच, उपचार, सलाह और दवा उपलब्ध कराया जा रहा था, वह भी बिल्कुल मुफ्त। 

इसके बारे में ज्यादा जानने की कोशिश की तो मोबाइल मैडीकल यूनिट में मौजूद डाक्टर को अपना परिचय दिया और इस योजना के बारे में सवाल-जवाब शुरू कर दिए। इतने कम समय में कोई योजना कितनी लोकप्रिय हो सकती है यह जानकर मैं आश्चर्यचकित था। मैंने आसपास के लोगों से बात की, सांसद मोबाइल स्वास्थ्य सेवा के बारे में उनकी राय जानी और तय किया कि मुझे इसके बारे में सब कुछ जानना है। यह ठानकर मैं वापस चंडीगढ़ आ गया और इस योजना पर अपनी शोध की शुरूआत कर दी। 

सांसद श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने लोगों की इस जरूरत को बहुत करीब से महसूस किया होगा, तभी उन्होंने हमीरपुर क्षेत्र में ऐसी स्वास्थ्य सुविधा की शुरूआत की, जिसकी परिकल्पना भी नहीं की जा सकती। अपने लम्बे कार्यकाल में मैंने बहुत प्रवास किए और पहाड़ी क्षेत्र से समस्याएं और चुनौतियां क्या हैं इससे मैं भली-भांति परिचित हूं। समतल क्षेत्रों में अपेक्षाकृत पहाड़ी क्षेत्रों में इसी दुर्गमता के चलते योजनाओं का क्रियान्वयन थोड़ा चुनौतीपूर्ण होता है। ऐसे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का पूरा-पूरा दिन निकल जाता है, शहर मुख्यालय तक आने और घर लौटने में। मजदूरी करने वाले परिवारों में एक दिन की कमाई न आए तो शाम में कई बार घर चूल्हा भी नहीं जलता। 

ऐसा चुनौतीपूर्ण जीवन जी रहे सुदूर देहात क्षेत्र के लोगों के जीवन में स्वास्थ्य से जुड़ी चिंताएं अक्सर अपेक्षित ही रह जाती हैं। ऐसे में यह सांसद मोबाइल स्वास्थ्य ‘अस्पताल’ योजना किसी वरदान से कम नहीं है। मात्र चार वर्ष के कालखंड में 6,22,354 किलोमीटर का चक्कर काटकर करीब 7,151,32 लोगों को उनके घर द्वार पर मुफ्त जांच, सलाह और उपचार करना न सिर्फ एक उपलब्धि है बल्कि यह जहां चाह है, वहां राह है कहावत को चरितार्थ भी करता है। 

सांसद मोबाइल स्वास्थ्य सेवा की वैनों में डाक्टर, नर्स, ड्राइवर तैनात होते हैं। वैन में डायग्रोस्टिक सैंटर और पैथोलॉजी लैब भी है। इसमें लिपिड प्रोफाइल, एल.एफ.टी.,के.एफ.टी., शूगर ग्लूकोस हैपेटाइटिस बी हैपेटाइटिस सी, जैसे अलग-अलग 40 टैस्ट की सुविधा और उनकी दवाएं भी मौजूद रहती हैं। कोरोना के दौरान इन मोबाइल यूनिट से कोविड-19 का टैस्ट भी किया गया। इन मोबाइल यूनिट के 65 फीसदी लाभार्थी महिलाएं और बुजुर्ग हैं। मोबाइल यूनिट पर जो कर्मचारी तैनात किए गए हैं उनमें 50 फीसदी स्वास्थ्य कर्मचारी महिलाएं हैं। महिला सशक्तिकरण यहां बातों में नहीं बल्कि धरातल पर है। 

3 मोबाइल मैडीकल यूनिट से शुरू हुए अस्पताल के बेड़े में 32 गाडिय़ां जुड़ चुकी हैं। पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन के अवसर पर श्री ठाकुर ने 15 मोबाइल मैडीकल यूनिट वैन हमीरपुर में पहले से चल रहे 17 मैडीकल वैन के बेड़े और जोड़ दिए। अनुराग ठाकुर का दावा है कि 2026 तक वे इन 32 मोबाइल यूनिट के माध्यम से 21 लाख लोगों तक मुफ्त में जांच और दवा की सुविधा उपलब्ध कराएंगे। 

कोविड में मोबाइल स्वास्थ्य सेवा लोगों के लिए वरदान साबित हुई। ऐसे तो देश भर में फ्री मैडीकल कैंप लगाने वालों की कोई कमी नहीं है। ऐसे पोस्टर और बैनर जिला मुख्यालयों और कस्बों में दिख जाते हैं लेकिन ऐसे कैंपों का मकसद आमतौर पर अपने लिए ग्राहक बनाना ही होता है लेकिन मोबाइल स्वास्थ्य सेवा किसी को ग्राहक बनाने के लिए नहीं चलाया जा रहा। सेवा वैन के माध्यम से लगाए जा रहे फ्री मैडीकल कैंप हिमाचल के गरीब ग्रामीण परिवेश से आने वाले मरीजों के लिए वरदान साबित हुए हैं।-डा. जगत राम(पूर्व डायरैक्टर पी.जी.आई.)

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