Edited By ,Updated: 13 Oct, 2025 02:59 AM

डोनाल्ड ट्रम्प को अपनी गाज़ा शांति योजना को आगे बढ़ाने की क्या जरूरत थी,चाहे जरूरत पडऩे पर बेईमानी से ही क्यों न किया जाए? नोबेल शांति पुरस्कार के लिए अपनी उत्सुकता में, ट्रम्प ने छल-कपट और सीधे-सीधे धूर्तता का सहारा लिया। नोबेल पुरस्कार के लिए उनकी...
डोनाल्ड ट्रम्प को अपनी गाज़ा शांति योजना को आगे बढ़ाने की क्या जरूरत थी,चाहे जरूरत पडऩे पर बेईमानी से ही क्यों न किया जाए? नोबेल शांति पुरस्कार के लिए अपनी उत्सुकता में, ट्रम्प ने छल-कपट और सीधे-सीधे धूर्तता का सहारा लिया। नोबेल पुरस्कार के लिए उनकी लालसा से भी ज्यादा दबाव वैश्विक जनमत का था जो लाइव टी.वी. पर इसराईल की अकथनीय क्रूरता, गाजा के नरसंहार, के साथ अमरीका के सहयोग की निंदा करता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन, मिस्र, तुर्की और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर तैयार की गई एक शांति योजना पर ट्रम्प और नेतन्याहू ने व्हाइट हाऊस में आगे चर्चा की। दोहा में एक समानांतर बैठक में, कतर के प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान, अल थानी और हमास के नेता 20 बिंदुओं पर बारीकी से विचार कर रहे थे। इस समय व्हाइट हाऊस में नेतन्याहू और कतरियों के साथ 20 सूत्री योजना का मूल पाठ एक ही था।
फिर नेतन्याहू, स्टीव विटकॉफ, जेरेड कुशनर, जायोनी तिकड़ी एक बैठक में शामिल हुए। पाठ को नेतन्याहू के पक्ष में पूरी तरह से बदल दिया गया, जिससे उन्हें इसराईल वापसी की यात्रा पर एक वीडियो में शेखी बघारने का मौका मिला। इसराईल टैलीविजन के दर्शकों के लिए हिब्रू में दिए गए एक बयान में उन्होंने कहा, ‘‘इस पर कौन विश्वास करता?’’ उन्होंने विजयी भाव से कहा, ‘‘आखिरकार लोग लगातार कह रहे हैं आपको हमास की शर्तें माननी होंगी, सभी (आई.डी.एफ.) को (गाजा से) बाहर निकालना होगा। आई.डी.एफ. को हट जाना चाहिए, हमास फिर से उभर सकता है और वह पट्टी पर फिर से कब्जा भी कर सकता है।’’ फिर उन्होंने भड़कते हुए कहा, ‘‘बिल्कुल नहीं। ऐसा नहीं हो रहा है।’’ उनसे पूछा गया कि क्या वह फिलिस्तीनी राज्य के लिए सहमत हैं? ‘‘बिल्कुल नहीं। यह बयान में नहीं लिखा है, लेकिन एक बात हमने जरूर कही थी कि हम फिलिस्तीनी राज्य का कड़ा विरोध करेंगे।’’
धोखे से की गई यह कूटनीति एक खास मकसद के लिए है। इसराईल और अमरीका दोनों को समान रूप से जो बहिष्कृत दर्जा मिला हुआ है, उसे किसी न किसी तरह से खत्म करना होगा। मुख्यधारा के मीडिया को यह कहानी गढऩी होगी कि नेतन्याहू 20 सूत्री समझौते को लागू करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हमास इसमें बाधा डाल रहा है। मिस्र में एक अनुवर्ती बैठक, जिसकी कई उम्मीदें हैं, हो रही है। फिलिस्तीनियों के लिए सौभाग्य की बात है कि इस मीडिया की विश्वसनीयता सत्ता प्रतिष्ठान की सेवा में लगातार बने रहने के कारण अपने सबसे निचले स्तर पर है। इस योजना में एक ‘शांति बोर्ड’ बनाने का विचार है, जिसके अध्यक्ष ट्रम्प होंगे। उन्होंने एक और बात कही कि उनके पास हर समय सक्रिय रहने का समय नहीं हो सकता। यही वजह है कि पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर इस ‘बोर्ड’ में शामिल होंगे।
इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि ट्रम्प की योजना सफल होगी, लेकिन इससे यह संकेत मिलता है कि यह योजना दक्षिणपंथी जायोनीवादियों की स्वीकार्यता के लिए तैयार की गई है। ईरान के सर्वोच्च नेता के कार्यालय की प्रतिक्रिया बिल्कुल सही है। यह योजना नेतन्याहू को वह देती है जो वे युद्ध के मैदान में हासिल नहीं कर सके-बंधकों की वापसी और हमास का अंत।
विडंबना यह है कि इस व्याख्या के बावजूद, यह योजना बेन ग्विर-स्मोथेरिक की जोड़ी को स्वीकार्य नहीं है जो चाहते हैं कि फिलिस्तीनी गायब हो जाएं या दूसरे देशों में बस जाएं। हालांकि यह योजना नेतन्याहू को वह सब कुछ देती है जिसकी वह उम्मीद कर सकते थे, फिर भी इसराईल के दक्षिणपंथी, अति दक्षिणपंथी और अति-अति दक्षिणपंथी विचारधाराओं में एक बड़ा अंतर है जो बाइबिल में वर्णित वृहत्तर इसराईल की योजना से कम कुछ भी स्वीकार किए जाने पर नाराजगी जताने में सक्षम है। फिलिस्तीनियों को अपने भविष्य से जुड़े मामलों में टोनी ब्लेयर को शामिल किए जाने पर आश्चर्य व्यक्त करने के लिए माफ किया जा सकता है। ट्रम्प को दुनिया के कोने-कोने में टोनी ब्लेयर से ज्यादा तिरस्कृत कोई पश्चिमी नेता ढूंढने के लिए खोज करनी होगी जो जायोनीवादियों के असाधारण पसंदीदा हैं। ब्लेयर की प्रसिद्धि का एक और दावा चिलकॉट रिपोर्ट द्वारा उन्हें दी गई फटकार है। सर जेम्स चिलकॉट ने 6 साल की जांच के बाद, 2003 में ईराक युद्ध में शामिल होने के लिए ब्रिटिश जनता को गुमराह करने के लिए ब्लेयर को शर्मिंदा किया। मुझे याद है कि धोखाधड़ी करते पकड़े जाने पर वह खूब रोए थे।
बाद में गाजा प्रशासन का निजीकरण करने का विचार कोई नई मिसाल नहीं है।
अफगानिस्तान में युद्ध के निजीकरण की योजना 2017 में ब्लैकवाटर के संस्थापक एरिक प्रिंस द्वारा तैयार की गई थी जो भाड़े के सैनिकों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा केंद्र है। ट्रम्प के पहले प्रशासन में, उनके चीफ ऑफ स्टाफ स्टीव बैनन ने व्हाइट हाऊस को 100 पृष्ठ का एक प्रोजैक्ट भेजा था जिसमें सुझाव दिया गया था कि अमरीका को अफगानिस्तान की जिम्मेदारी निजी हाथों में सौंप देनी चाहिए। अगर हमास बंधकों को वापस कर देता है तो अविश्वसनीय विरोधियों से निपटने के लिए उसके पास क्या ताकत बचेगी? अगला दाव इस तरह से खेलना होगा कि 2 साल तक नरसंहार सहकर फिलिस्तीनियों ने जो वैश्विक सहानुभूति अर्जित की है, उसे बरकरार रखा जा सके। नशे में धुत्त दुनिया 2 साल से लगातार चल रहे इसराईली नरसंहार से जाग उठी है। यहां तक कि एक जायोनी समर्थक, विदेश मंत्री मार्को रुबियो को भी सच उगलना पड़ा, जो ट्रम्प के आसपास के जायोनीवादियों को नागवार लगा। इसराईल अब अमरीका में पसंद नहीं किया जाता। अमरीका में महान इसराईली लॉबी शायद एक साथ इकट्ठा होकर विचारों की गहरी परतों में डूब जाएगी।-सईद नकवी