मोदी ने ट्रम्प की प्रशंसा करने के लिए क्यों दिखाई इतनी बेचैनी

Edited By Updated: 12 Oct, 2025 03:21 AM

why did modi show such desperation to praise trump

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 4 दिनों के अंतराल में एक बार नहीं बल्कि 2 बार किसी व्यक्ति की प्रशंसा करना असामान्य था लेकिन उन्होंने ऐसा किया। प्रशंसा का विषय राष्ट्रपति डोनाल्ड  जे. ट्रम्प थे। विषय 20-सूत्रीय ‘शांति योजना’ थी, जिसे  ट्रम्प ने...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 4 दिनों के अंतराल में एक बार नहीं बल्कि 2 बार किसी व्यक्ति की प्रशंसा करना असामान्य था लेकिन उन्होंने ऐसा किया। प्रशंसा का विषय राष्ट्रपति डोनाल्ड  जे. ट्रम्प थे। विषय 20-सूत्रीय ‘शांति योजना’ थी, जिसे  ट्रम्प ने ‘इसराईल और हमास के बीच युद्ध को समाप्त करने’ के लिए प्रस्तावित किया था।

30 सितम्बर, 2025 को, मोदी ने इसे ‘गाजा संघर्ष को समाप्त करने की एक व्यापक योजना’ बताया। यह फिलिस्तीनी और इसराईली लोगों के साथ-साथ व्यापक पश्चिम एशियाई क्षेत्र के लिए दीर्घकालिक और स्थायी शांति, सुरक्षा और विकास का एक व्यवहार्य मार्ग प्रदान करती है।’ मोदी ने 7 भाषाओं -अरबी, चीनी, अंग्रेजी, फ्रैंच, रूसी और स्पेनिश, साथ ही हिब्रू और निश्चित रूप से हिंदी में बयान जारी करने का असाधारण कदम भी उठाया। 4 अक्तूबर को, मोदी ने कहा, ‘‘गाजा में शांति प्रयासों में निर्णायक प्रगति के लिए हम राष्ट्रपति ट्रम्प के नेतृत्व का स्वागत करते हैं।’’

जब मैं यह लिख रहा हूं, हमास और इसराईल योजना के पहले चरण पर सहमत हो गए हैं। हमास बंधकों को रिहा करेगा और इसराईल युद्धविराम करेगा,यह स्पष्ट नहीं है कि कब  लेकिन जल्द ही होगा। जश्न के कारण गाजा और इसराईल दोनों जगहों पर लोग सड़कों पर उतर आए। हमास ने अभी तक योजना के कई पहलुओं को स्वीकार नहीं किया है, खासकर किसी बाहरी प्राधिकरण को नियंत्रण सौंपने के मामले में। 

अशुभ शुरुआत: स्वाभाविक रूप से, यह सवाल उठ रहा है कि  मोदी ने  ट्रम्प की प्रशंसा करने और उन्हें खुश करने के लिए इतनी बेचैनी क्यों दिखाई, जबकि ट्रम्प ने 20 जनवरी, 2025 को पदभार ग्रहण करने के बाद से भारत को केवल चोट पहुंचाई और अपमानित किया है। राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले कार्यकाल (2017-2021)में, ट्रम्प ने स्टील  (25 प्रतिशत) और एल्युमीनियम (10 प्रतिशत) पर टैरिफ  लगाकर भारत और अन्य देशों को निशाना बनाया और भारत को मिलने वाले जी.एस.पी. लाभों को समाप्त कर दिया। 2020 में, उन्होंने भारतीयों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कई वीजा श्रेणियों, खासकर एच.-1बी को निलंबित कर दिया। फिर भी, 22 सितम्बर, 2019 को टैक्सास के ह्यूस्टन में एक रैली में  मोदी ने कुख्यात घोषणा की, ‘‘अबकी बार-ट्रम्प सरकार’’।

अपने दूसरे कार्यकाल के 9 महीनों में ट्रम्प ने भारत (और ब्राजील) पर सबसे ज्यादा टैरिफ लगाए हैं, जिससे भारत का अमरीका को स्टील, एल्युमीनियम, कपड़ा, रत्न और आभूषण, समुद्री भोजन, दवाइयां, जूते, फर्नीचर, कार और खिलौनों का निर्यात लगभग ठप्प हो गया है। उन्होंने भारत पर रूसी तेल खरीदकर ‘यूक्रेन के खिलाफ  युद्ध को वित्त पोषित करने’ का आरोप लगाया और भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ  लगा दिया। उनके करीबी सहयोगी, सीनेटर ङ्क्षलडसे ग्राहम ने भारत से कहा कि अगर भारत रूसी तेल खरीदना जारी रखता है तो अमरीका ‘तुम्हें और तुम्हारी अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर देगा’।  

ट्रम्प ने भारत को ‘टैरिफ किंग’ कहा और उनके व्यापार सलाहकार  पीटर नवारो ने तो इससे भी बदतर कहा। भारत-रूस संबंधों की आलोचना करते हुए उन्होंने दोनों को ‘मृत अर्थव्यवस्थाएं’ कहा। उन्होंने एच-1बी वीजा के आवेदनों पर 1,00,000 अमरीकी डॉलर का भारी-भरकम शुल्क भी लगा दिया और छात्र एवं जीवनसाथी वीजा जारी करने के नियम कड़े कर दिए। फरवरी-मई 2025 में  कथित तौर पर अवैध अप्रवासी 1000 से ज्यादा भारतीयों को हथकड़ी और पैरों में जंजीरें लगाकर सैन्य विमानों से भारत भेज दिया गया।

ट्रम्प पाकिस्तान के पक्ष में: पहलगाम और भारत द्वारा इस उदारता का विरोध करने के बावजूद, मई-जून 2025 में पाकिस्तान को आई.एम.एफ. (1 अरब डॉलर), ए.डी.बी. (80 करोड़ डॉलर) और विश्व बैंक (40 अरब डॉलर) से अरबों डॉलर की सहायता मिली, जिसमें अमरीका का भी महत्वपूर्ण सहयोग था। भारत के इंकार के बावजूद, ट्रम्प ने दावा किया कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान युद्ध को समाप्त करने के लिए मध्यस्थता की थी  और अब भी यही दावा कर रहे हैं। जनवरी, 2025 के बाद से अमरीका ने ऐसा एक भी काम नहीं किया है जिसे भारत के लिए मैत्रीपूर्ण कहा जा सके। 

एक सपने का कत्ल : दिलचस्प सवाल यह है कि भारत के प्रधानमंत्री ने इसराईल समर्थित ‘शांति योजना’ का लाभ उठाते हुए   ट्रम्प की प्रशंसा क्यों की, जिससे फिलिस्तीनी निराश हैं। ङ्क्षबदू 19 कहता है: ‘जब गाजा पुनर्विकास आगे बढ़ता है और जब पी.ए . सुधार कार्यक्रम ईमानदारी से लागू होता है  तो फिलिस्तीनी आत्मनिर्णय और राज्य के दर्जे के लिए एक विश्वसनीय मार्ग के लिए परिस्थितियां अंतत: तैयार हो सकती हैं’ (मेरा जोर)।

मेरे विचार से, युद्ध अंतत: रुक सकता है, बंधकों (या उनके अवशेषों) को जल्द ही रिहा किया जा सकता है  और गाजा के असहाय निवासियों तक मानवीय सहायता पहुंच सकती है  लेकिन गाजा स्वयं एक ‘गैर-राजनीतिक समिति’ के अधीन एक आभासी उपनिवेश बन जाएगा, जिसकी देखरेख ट्रम्प और ब्लेयर जैसे लोगों वाले ‘शांति बोर्ड’ द्वारा की जाएगी। फिलिस्तीनी राज्य का सपना लगभग मर चुका है।
जाहिर है, तमाम व्यर्थ के दावों के बावजूद, प्रधानमंत्री को यह एहसास हो गया है कि दुनिया में भारत के बहुत कम दोस्त हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था अपने आसपास चल रहे तूफानों का सामना करने के लिए पर्याप्त लचीली नहीं है। चापलूसी, चतुर कूटनीति और ठोस व्यापार एवं निवेश नीतियों का विकल्प नहीं है।-पी. चिदम्बरम

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