क्या पैंशन और 1500 रुपयों के भरोसे आपसी फूट को छुपाएगा ‘हाथ’

Edited By ,Updated: 21 Mar, 2024 05:52 AM

will  haath  hide mutual differences with the help of pension and rs 1500

हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2024, 18वीं लोकसभा के चुनावों में प्रदेश की असैम्बली का प्रभाव राज्य के इतिहास में पहली बार देखने को मिल रहा है। राज्य के सदन में उत्पन्न विधायकों के निष्कासन की विभिन्न स्थिति ने केन्द्र के राम मंदिर, सी.ए.ए. व वूमन रिजर्वेशन...

हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2024, 18वीं लोकसभा के चुनावों में प्रदेश की असैम्बली का प्रभाव राज्य के इतिहास में पहली बार देखने को मिल रहा है। राज्य के सदन में उत्पन्न विधायकों के निष्कासन की विभिन्न स्थिति ने केन्द्र के राम मंदिर, सी.ए.ए. व वूमन रिजर्वेशन जैसे बाणों को भी कुंद कर दिया। हालांकि हिमाचल छोटा-सा प्रदेश है। जहां की आबादी महज 72 लाख के करीब है और केवल 4 लोकसभा सीटें ही हैं, लेकिन एन.डी.ए. के संख्या बल को भले ही हिमाचल से कोई फर्क न पड़ेे परन्तु भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के प्रदेश में कांग्रेस की सरकार का पूर्ण बहुमत में होना और विधानसभा की निष्कासन के बावजूद बने रहना, भाजपा का दिल छलनी कर रहा है। लोकसभा की मार्फत, विधानसभा की जीत का रास्ता बाखूबी ढूंढा भी जा रहा है। 

भले ही भाजपा अपने पत्ते इस मामले में न खोले लेकिन जिस तरह पार्टी का कांग्रेस के प्रति आक्रामक रुख है, उससे जाहिर है कि तीर मछली की आंख की ओर कर दिया गया है। कांग्रेस के 2 तुरुप-पहला पैंशन और दूसरा महिलाओं को 1500 रुपए ऐसे हैं जो वाकई हिमाचल में भाजपा की सिरदर्दी बन गए हैं। दरअसल राज्यसभा की एक सीट पर कांग्रेस वोटिंग के बाद भाजपा के हौसले बुलंद हैं और 68 विधायकों में से 40 का संख्या बल होने के बावजूद भी कांग्रेस बैकफुट पर आ गई। कांग्रेस 2022 में सत्ता में आने के बाद अपने कुनबे को वैसे नहीं संभाल पाई, जैसे विधानसभा में सत्ता खोने के वक्त भाजपा अपने घर को नहीं संभाल सकी थी। 

अब कांग्रेस के 40 में से 6 विधायकों ने बगावत कर दी और माना यही गया कि भाजपा की रणनीति ने राज्यसभा चुनाव के दौरान ऐसा विस्फोट करवा दिया जिसकी गूंज लोकसभा के सातवें चरण की वोटिंग तक सुनाई देगी। यद्यपि 6 निष्कासित विधायकों का मसला सुप्रीम कोर्ट की चौखट में है, परन्तु अगली सुनवाई 6 मई 2024 को है और हिमाचल में बागी सीटों पर विधानसभा सीटों सहित 4 लोकसभा सीटों पर चुनाव पहली जून को होगा। जाहिर है कि तब तक स्थिति असमंजस व भ्रमित करने वाली रहेगी। वर्तमान में हिमाचल में भाजपा के 68 में से 25 विधायक हैं, 3 निर्दलीय हैं, 6 कांग्रेसी बागी हैं और 34 कांग्रेस से हैं। इन 34 में से एक स्पीकर है। इस तरह सदन में कांग्रेस का स्वतंत्र संख्या बल 33 रह जाता है। यदि अविश्वास प्रस्ताव वाली बात आती है तब कांग्रेस को कठिनाई होगी। इसीलिए इन 6 सीटों पर पुन: असैम्बली उप चुनाव महत्वपूर्ण हो जाते हैं। 

ऐसा भी नहीं है कि भाजपा और कोई बड़ा कदम नहीं उठा सकती लेकिन लोकसभा में सरकारें गिराने के ‘पब्लिक परसैप्शन’ से बचना चाहती है। माना जा रहा है कि भाजपा का ‘ङ्क्षथक टैंक’ यह नहीं चाहता कि लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र, बिहार इत्यादि की तरह ‘खेला करने’ का संदेश जनता में जाए। इसी संभावित विवाद से बचने के लिए भाजपा का एक वर्ग हिमाचल के कांग्रेस मॉडल को असफल दिखाना चाहता है ताकि आगामी बिसात बिछाई जा सके। 

संभावना जताई जा रही है कि हिमाचल में बाजी पलटने की पृष्ठ भूमि तैयार तो की जाए  लेकिन इसका समय सही हो। चाहे कोर्ट-कचहरी का रास्ता नापा जाए या फिर कांग्रेस में फूट गहराई जाए। कुल मिला कर ‘कमल’ इस मामले में खुद पर कीचड़ उछलने से बच रहा है। इसी वजह से कांग्रेस ने खुद को समेटने व घर संभालने का हरसंभव प्रयास किया है। पार्टी में कांग्रेसी ‘राजा’ परिवार को जोड़ा गया और नाराज लोगों को मनाया गया। हालांकि देर हो गई फिर भी हिमाचल में कांग्रेस सचेत हुई है। यही वजह भी रही कि कांग्रेस ने महिलाओं को तुरंत 1500 रुपए भी जारी कर दिए। दूसरी ओर भाजपा इसकी काट नहीं ढूंढ पा रही न ही पैंशन का तोड़ मिल पा रहा। 

गौर है कि हिमाचल में एक बड़ा वोटर वर्ग सरकारी क्षेत्र से है। जो सरकारों का गणित गड़बड़ाने के लिए काफी माना जाता है। कर्मचारियों के खाते में लोकसभा से पहले पैंशन भी आनी शुरू हो गई और एरियर भी। फिर जब बगावत का ज्वालामुखी फूटा तो महिलाओं के पर्स में 1500 रुपए आने का रास्ता भी निकल गया। ये वे सौगातें हैं जिनका ‘चाव’ किसी को भी होगा। यही वोट बैंक खिसकाने का मार्ग भी कांग्रेस ने ढूंढा है। जो राष्ट्रवाद, सी.ए.ए. व धारा 370 के अलावा महिला आरक्षण के मसले या सुधारों के आगे हावी हो गया। दिलचस्प तो यह है कि सुखविंद्र सुक्खू के पास आर्थिक तौर पर इतनी क्षमता नहीं थी कि पैंशन व 1500 रुपए के फैसले जल्दी लिए जाते लेकिन जैसे ही भाजपा ने इस बात को उछाला कि वादे झूठे थे तब कांग्रेस ने तुरंत फैसले लेकर जनता को प्रभावित करने का प्रयास किया। 

इस तरह 1500 रुपए व पैंशन हिमाचल में भाजपा के गले की फांस बन चुके हैं जिसके जंजाल से भाजपा को लोकसभा के अलावा छह सीटों पर विधानसभा उप चुनाव में निकलना होगा। हालांकि पार्टी अध्यक्ष डा. राजीव बिंदल कहते हैं कि कांग्रेस का झूठ व मोदी की गारंटी का फल पार्टी को मिलेगा।-डा. रचना गुप्ता

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