बजट में TCS/TDS के ढांचे को सरल बनाने, उभरते क्षेत्रों को प्रोत्साहन मिलेः डेलॉयट

Edited By Updated: 25 Nov, 2025 05:52 PM

budget will simplify the tcs tds framework and provide incentives

केंद्र सरकार को आगामी केंद्रीय बजट में टीडीएस/टीसीएस से जुड़े कर ढांचे को सरल बनाने और शोध एवं विकास, नवीकरणीय ऊर्जा और कृत्रिम मेधा जैसे उच्च क्षमता वाले उभरते क्षेत्रों में निवेश को बढ़ाने के लिए कर प्रोत्साहन उपाय करने चाहिए। डेलॉयट ने मंगलवार

बिजनेस डेस्कः केंद्र सरकार को आगामी केंद्रीय बजट में टीडीएस/टीसीएस से जुड़े कर ढांचे को सरल बनाने और शोध एवं विकास, नवीकरणीय ऊर्जा और कृत्रिम मेधा जैसे उच्च क्षमता वाले उभरते क्षेत्रों में निवेश को बढ़ाने के लिए कर प्रोत्साहन उपाय करने चाहिए। डेलॉयट ने मंगलवार को यह सुझाव दिया। परामर्शदाता फर्म डेलॉयट इंडिया ने बजट 2026-27 को लेकर अपनी अपेक्षाओं का ब्योरा देते हुए कहा कि ‘स्रोत पर कर कटौती' (टीसीएस) और ‘स्रोत पर कर संग्रह' (टीसीएस) की मौजूदा कर व्यवस्था में 0.1 प्रतिशत से लेकर 35 प्रतिशत तक कई दरें लागू होती हैं। इससे अनुपालन बोझ बढ़ता है और करदाताओं को अक्सर अधिक टीडीएस कटने के कारण नकदी प्रवाह की समस्या झेलनी पड़ती है। 

डेलॉयट ने सुझाव दिया कि इस समस्या को दूर करने के लिए टीडीएस/टीसीएस ढांचे को तीन श्रेणियों- वस्तुएं, सेवाएं और ब्याज एवं लाभांश जैसे अन्य लेनदेन में बांटा जाए। इसके अलावा जहां संभव हो, जीएसटी ढांचे का उपयोग करके अनुपालन को सरल किया जाए। परामर्श कंपनी ने करदाताओं की सुविधा के लिए आयकर पोर्टल पर वास्तविक समय में रिफंड पर निगरानी का डैशबोर्ड शुरू करने की भी सिफारिश की, जिसमें रिफंड की स्थिति, अनुमानित समयसीमा और देरी होने पर ‘मामला उठाने' के विकल्प भी हों।

डेलॉयट ने सीमा-शुल्क से जुड़े विवादों के समाधान तंत्र को पूरी तरह डिजिटल करने का भी सुझाव दिया। भारत को नवाचार और शोध एवं विकास, नवीकरणीय ऊर्जा और कृत्रिम मेधा (एआई) जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों का वैश्विक केंद्र बनाने के लिए डेलॉयट ने मौजूदा कर प्रोत्साहन ढांचे का विस्तार की सलाह भी दी है। डेलॉयट ने कहा कि ऐसे उभरते और अधिक संभावनाशील क्षेत्र में निवेश एवं नवाचार को लगातार बढ़ावा देने के लिए, विशेष कर छूट, कटौती और कम कॉरपोरेट आयकर दर जैसे प्रोत्साहन दिए जाने चाहिए। अगले साल एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में नीतिगत मोर्चे पर शुल्कों के प्रभाव से प्रभावित निर्यातकों और एमएसएमई के लिए व्यापार स्थिरता कोष बनाए जाने की भी अनुशंसा की गई है। 
 

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