Edited By jyoti choudhary,Updated: 27 May, 2025 05:11 PM

मई 2025 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) ने भारतीय इक्विटी बाजारों में ₹14,429 करोड़ का शुद्ध निवेश किया, जो बीते आठ महीनों में सबसे बड़ी मासिक इनफ्लो रही है। इसका श्रेय भारत-पाक तनाव में नरमी, डॉलर में कमजोरी, अमेरिका के साथ संभावित व्यापार...
बिजनेस डेस्कः मई 2025 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) ने भारतीय इक्विटी बाजारों में ₹14,429 करोड़ का शुद्ध निवेश किया, जो बीते आठ महीनों में सबसे बड़ी मासिक इनफ्लो रही है। इसका श्रेय भारत-पाक तनाव में नरमी, डॉलर में कमजोरी, अमेरिका के साथ संभावित व्यापार समझौते और कॉरपोरेट्स के अच्छे नतीजों को जाता है।
हालांकि, साल 2025 की शुरुआत कमजोर रही। जनवरी में ही ₹78,027 करोड़ का आउटफ्लो हुआ और मई तक कुल मिलाकर FPI 97,922 करोड़ की पूंजी भारतीय बाजार से निकाल चुके हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वैश्विक निवेशक अब भी सतर्क हैं।
मई की अस्थिरता
महीने के समग्र आंकड़े भले ही पॉजिटिव रहे हों लेकिन 21 मई को अकेले ₹10,000 करोड़ की बिकवाली देखने को मिली, जिसका कारण अमेरिका में ट्रेजरी यील्ड का बढ़ना और भारत-पाक तनाव का फिर से उभरना बताया गया।
दीर्घकालिक दृष्टिकोण
एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की कॉरपोरेट कमाई अगले 3-5 वर्षों में 14-17% की CAGR से बढ़ सकती है। भारत की आर्थिक मजबूती, घरेलू खपत और मैन्युफैक्चरिंग आधारित मॉडल वैश्विक निवेशकों को लंबे समय के लिए आकर्षित कर रहे हैं।