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टैरिफ बढ़ाने, स्पेक्ट्रम भुगतान में राहत मिलने से एजीआर का असर कम नहीं होगा: फिच

Edited By jyoti choudhary,Updated: 22 Nov, 2019 05:43 PM

increase in tariffs relief in spectrum payments will not reduce

रेटिंग एजेंसी फिच ने शुक्रवार को कहा कि टेलीकॉम कंपनियों को स्पेक्ट्रम के भुगतान में 2 साल का अंतराल मिलने और कंपनियों द्वारा टैरिफ बढ़ाने से एजीआर मामले का असर कम होने के आसार नहीं हैं। एजेंसी ने कहा कि एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू

नई दिल्लीः रेटिंग एजेंसी फिच ने शुक्रवार को कहा कि टेलीकॉम कंपनियों को स्पेक्ट्रम के भुगतान में 2 साल का अंतराल मिलने और कंपनियों द्वारा टैरिफ बढ़ाने से एजीआर मामले का असर कम होने के आसार नहीं हैं। एजेंसी ने कहा कि एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से रिलायंस जियो प्रभावित नहीं है, इसलिए उसका मार्केट शेयर लगातार बढ़ने की उम्मीद है। साथ ही कहा कि 2020 में टेलीकॉम सेक्टर के लिए उसका आउटलुक नेगेटिव है, क्योंकि बकाया एजीआर की रकम ज्यादा होने से वित्तीय जोखिम बढ़ गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर को फैसला दिया था कि लाइसेंस और स्पेक्ट्रम फीस के भुगतान की गणना के लिए एजीआर में नॉन-टेलीकॉम रेवेन्यू भी शामिल किया जाए। इस फैसले से टेलीकॉम कंपनियों की सरकार को देनदारी बढ़ गई। यही वजह है कि भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया दिसंबर से टैरिफ बढ़ाने का ऐलान कर चुके हैं। इन दोनों के बाद रिलायंस जियो ने भी अगले महीने से मोबाइल टैरिफ बढ़ाने की घोषणा कर दी।

फिच का कहना है कि कंपनियों द्वारा टैरिफ बढ़ाना और सरकार से स्पेक्ट्रम फीस में अंतराल मिलना टेलीकॉम सेक्टर के लिए सकारात्मक है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर कम करने के लिए पर्याप्त नहीं।

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