Edited By jyoti choudhary,Updated: 31 Dec, 2025 01:22 PM

India breaks China record: चावल की बड़े पैमाने पर खेती और उत्पादन के मामले में लंबे समय तक चीन दुनिया में सबसे आगे रहा लेकिन अब भारत ने वर्षों पुराना यह रिकॉर्ड तोड़ दिया है। भारत न सिर्फ दुनिया का सबसे बड़ा चावल उत्पादक बन गया है, बल्कि वैश्विक...
बिजनेस डेस्कः India breaks China record: चावल की बड़े पैमाने पर खेती और उत्पादन के मामले में लंबे समय तक चीन दुनिया में सबसे आगे रहा लेकिन अब भारत ने वर्षों पुराना यह रिकॉर्ड तोड़ दिया है। भारत न सिर्फ दुनिया का सबसे बड़ा चावल उत्पादक बन गया है, बल्कि वैश्विक चावल उत्पादन में उसकी हिस्सेदारी 28 प्रतिशत से भी ज्यादा हो चुकी है।
इस बड़ी उपलब्धि को यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (USDA) ने भी मान्यता दी है। USDA की दिसंबर 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में चावल का उत्पादन बढ़कर 152 मिलियन मीट्रिक टन तक पहुंच गया है, जबकि चीन का उत्पादन 146 मिलियन मीट्रिक टन रहा। इसके साथ ही भारत दुनिया में चावल उत्पादन का नया सरताज बन गया है।
ताइवान की भूमिका, जिसने बदली तस्वीर
भारत में चावल की खेती कोई नई बात नहीं है। प्राचीन काल से ही चावल भारतीय भोजन और कृषि का अहम हिस्सा रहा है। दुनिया में चावल की करीब 1.23 लाख किस्में पाई जाती हैं, जिनमें से लगभग 60 हजार किस्में भारत में मौजूद हैं।
हालांकि, भारत को इस मुकाम तक पहुंचाने में ताइवान की अहम भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 1960 के दशक में जब भारत भीषण खाद्यान्न संकट से जूझ रहा था, तब ताइवान ने भारत की मदद के लिए अपने धान की किस्म ताइचुंग नेटिव-1 (TN-1) उपलब्ध कराई। इसके बाद 1968 में आईआर-8 किस्म भारत लाई गई।
भारतीय कृषि वैज्ञानिकों ने इन किस्मों पर आधारित हाइब्रिडाइजेशन शुरू किया, जिसके नतीजे में धीरे-धीरे देश चावल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनता चला गया और आज दुनिया में शीर्ष स्थान पर पहुंच गया है।
विदेश नीति का भी अहम हथियार बना चावल
जाने-माने एग्रोनॉमिस्ट डॉ. सुधांशु सिंह के मुताबिक, दुनिया के सबसे बड़े चावल उत्पादक के रूप में भारत का उभरना सिर्फ कृषि उपलब्धि नहीं, बल्कि रणनीतिक सफलता भी है। आज भारतीय चावल 172 देशों में निर्यात किया जा रहा है और यह भारत की विदेश नीति का भी एक अहम हथियार बन चुका है।
निर्यात से रिकॉर्ड कमाई
वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने कृषि उत्पादों का रिकॉर्ड 4,50,840 करोड़ रुपए का निर्यात किया, जिसमें चावल की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा करीब 24 प्रतिशत रही। बासमती और गैर-बासमती चावल के निर्यात से भारत ने एक ही साल में करीब 1,05,720 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा कमाई, जो भारतीय अर्थव्यवस्था में चावल के बढ़ते महत्व को साफ दर्शाता है।