Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 Feb, 2024 01:36 PM
भारत का कच्चा तेल आयात जनवरी में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। इसकी वजह दिसंबर में लाल सागर का संकट (Red Sea Crisis) था। साथ ही भारत ने तीन साल के बाद पहली बार जनवरी में वेनेजुएला से क्रूड ऑयल मंगाया। अमेरिका ने वेनेजुएला पर प्रतिबंध लगा रखा था।...
बिजनेस डेस्कः भारत का कच्चा तेल आयात जनवरी में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। इसकी वजह दिसंबर में लाल सागर का संकट (Red Sea Crisis) था। साथ ही भारत ने तीन साल के बाद पहली बार जनवरी में वेनेजुएला से क्रूड ऑयल मंगाया। अमेरिका ने वेनेजुएला पर प्रतिबंध लगा रखा था। अमेरिकी प्रतिबंध में नरमी के बाद भारत ने वेनेजुएला से क्रूड ऑयल खरीदा है। जनवरी में भारत का क्रूड ऑयल इंपोर्ट 52.4 लाख बैरल प्रति दिन पहुंच गया। यह दिसंबर 2023 के मुकाबले 17 फीसदी ज्यादा है, जबकि एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 3.5 फीसदी ज्यादा है। भारत दुनिया में क्रूड ऑयल का तीसरा सबसे बड़ा इंपोर्टर और कंज्यूमर है।
जनवरी 2018 में भारत ने किया था क्रूड ऑयल का ज्यादा इंपोर्ट
इस साल जनवरी से पहले भारत ने क्रूड ऑयल का सबसे ज्यादा आयात जनवरी 2018 में किया था। तब भारत ने 51 लाख बैरल प्रति दिन आयात किया था। ऑयल मिनिस्ट्री की तरफ से 22 फरवरी को ऑयल इंपोर्ट के प्रिलिमनरी डेटा जारी किए गए। इसमें जनवरी में ऑयल इंपोर्ट 2.13 करोड़ टन रहने का अनुमान जताया गया है। इसका मतबल है कि जनवरी में रोजाना भारत ने 51 लाख बैरल क्रूड का आयात किया लेकिन ट्रेड से जुड़े सूत्रों का कहना है कि वास्तविक आयात इससे ज्यादा रहने का अनुमान है।
लाल सागर क्राइसिस की वजह से क्रूड की सप्लाई में आई दिक्कत
एलएसईजी के एनालिस्ट एहसान उल हक ने कहा, 'लाल सागर संकट की वजह से कुछ अमेरिकी और लैटिन अमेरिकी ऑयल कार्गो के पहुंचने में देर हुई थी, क्योंकि इन्हें केप ऑफ गुड होप के वैकल्पिक रास्ते से भेजा गया था। ये कार्गो दिसंबर के आखिर या जनवरी में पहुंच पाए।' भारत में एक रिफाइनरी के अधिकारी ने भी इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि कुछ कार्गो जो दिसंबर में आने वाले थे, वे जनवरी में पहुंचे।
जनवरी में रूस से इंपोर्ट बढ़ा
भारत का रूस से ऑयल इंपोर्ट जनवरी में बढ़ा। जनवरी में रूस से भारत ने रोजाना 14.7 लाख बैरल क्रूड का ऑयात किया। यह दिसंबर के मुकाबले 10.8 फीसदी ज्यादा है लेकिन भारत के कुल क्रूड इंपोर्ट में रूस की हिस्सेदारी 30 फीसदी से घटकर 28 फीसदी पर आ गई। उधर, भारत के कुल ऑयल इंपोर्ट में लैटिन अमेरिका की हिस्सेदारी 6 फीसदी से बढ़कर 8 फीसदी पहुंच गई।