SEBI New Rule: F&O ट्रेडिंग में आएंगे बड़े बदलाव, 20 नवंबर से लागू होंगे नए नियम

Edited By Updated: 02 Oct, 2024 11:18 AM

sebi new rule there will be big changes in f o trading

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने हाल ही में फ्यूचर एंड ऑप्शन (F&O) ट्रेडिंग के लिए नए नियम जारी किए हैं, जिनका उद्देश्य निवेशकों की सुरक्षा और बाजार में स्थिरता लाना है। नए नियम 20 नवंबर से लागू होंगे। 1 फरवरी से ऑप्शन बायर्स से अपफ्रंट...

बिजनेस डेस्कः भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने हाल ही में फ्यूचर एंड ऑप्शन (F&O) ट्रेडिंग के लिए नए नियम जारी किए हैं, जिनका उद्देश्य निवेशकों की सुरक्षा और बाजार में स्थिरता लाना है। नए नियम 20 नवंबर से लागू होंगे। 1 फरवरी से ऑप्शन बायर्स से अपफ्रंट प्रीमियम और इंट्रा-डे पोजिशन लिमिट की निगरानी होगी। इसके साथ ही सेबी ने डेरिवेटिव्स के लिए इंडेक्स वायदा कॉन्ट्रैक्ट की वैल्यू कम से कम 15 लाख होगी। मौजूदा समय में ये 5 लाख से 10 लाख रुपए तक होती है। सेबी के मुताबिक फ्यूचर्स एंड ऑप्शन के नए नियम कई चरणों में लागू होंगे।

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SEBI ने डेरिवेटिव्स फ्रेमवर्क को सख्त किया

इंडेक्स ऑप्शन बायर्स से अपफ्रंट ऑप्शन प्रीमियम लिया जाएगा। F&O के नए नियम 20 नवंबर से चरणों में लागू होंगे। ऑप्शन एक्सपायरी के दिन शॉर्ट ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए 2% का एडिशनल मार्जिन लिया जाएगा। इंडेक्स डेरिवेटिव्स के लिए कॉन्ट्रैक्ट साइज बढ़ा दिया गया है। डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट की वैल्यू 15 लाख रुपए से कम नहीं होगी।

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हर हफ्ते एक एक्सचेंज की सिर्फ एक वीकली एक्सपायरी होगी। पोजिशन लिमिट्स की इंट्राडे मॉनिटरिंग 1 अप्रैल 2025 से होगी। ऑप्शन प्रीमियम और बढ़े मार्जिन का अपफ्रंट कलेक्शन फरवरी 2025 से लागू होगा। हफ्ते में प्रति एक्सचेंज सिर्फ एक एक्सपायरी होगी। इंडेक्स डेरिवेटिक कॉन्ट्रैक्ट की वैल्यू पहले 15 लाख रुपए, इसके बाद धीरे-धीरे वैल्यू 20 लाख रुपए तक कर दी जाएगी। एक्सपायरी के दिन कैलेंडर स्प्रेड का लाभ नहीं मिलेगा। ऑप्शंस खरीदारों से पूरा अपफ्रंट मार्जिन है। पोजिशन की इंट्राडे मॉनिटरिंग होगी।

क्यों आए नए नियम

डेरीवेटिव मार्केट काफी जोखिम भरा मार्केट है। सेबी की फिलहाल चिंता इस बात पर है कि इसमें रिटेल निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ रही है। सेबी का मानना है कि निवेशक इसमें इसलिए आ रहे हैं क्योंकि उन्हें यहां से बेहद ऊंचे मुनाफे मिलने की उम्मीद हैं लेकिन ऐसे निवेशकों में से अधिकांश को डेरीवेटिव मार्केट की समझ नहीं है। सेबी के द्वारा सीमाओं को बढ़ाने के पीछे उद्देश्य ये है कि डेरीवेटिव मार्केट में ऐसे ही निवेशक उतरें जो मार्केट को लेकर गंभीरता से सोचते हैं।
 

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