इंडस्ट्रीयल प्लाट केस में पूर्व मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा गिरफ्तार, एक दिन के रिमांड पर

Edited By Updated: 12 Jan, 2023 08:38 PM

misusing the post while holding the post of minister

मोहाली के इंडस्ट्रीयल प्लाट को ट्रांसफर करके टुकड़ों में बेचे जाने के मामले में विजीलैंस ब्यूरो द्वार पूर्व मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा को गिरफ्तार कर लिया गया है। विजीलैंस ने एक अन्य भ्रष्टाचार के मामले में रोपड़ जेल में बंद पूर्व मंत्री सुंदर शाम...

चंडीगढ़,(रमनजीत): मोहाली के इंडस्ट्रीयल प्लाट को ट्रांसफर करके टुकड़ों में बेचे जाने के मामले में विजीलैंस ब्यूरो द्वार पूर्व मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा को गिरफ्तार कर लिया गया है। विजीलैंस ने एक अन्य भ्रष्टाचार के मामले में रोपड़ जेल में बंद पूर्व मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा को प्रोडक्शन वारंट पर लाकर गिरफ्तार किया था और ज्यूडिशियल मैजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया। अदालत ने विजीलैंस की डिमांड पर एक दिन का पुलिस रिमांड दिया है। 

 

 


पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने पिछले सप्ताह ही पूर्व मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा और आई.ए.एस. अधिकारी नीलमा समेत पंजाब राज्य औद्योगिक निर्यात निगम (पी.एस.आई.ई.सी.) के सरकारी अधिकारियों के विरुद्ध एक औद्योगिक प्लाट को एक डिवैल्पर (रियलटर्स) कंपनी को तबदील करने/ विभाजित करने और उसके छोटे प्लाट काट कर टाऊनशिप स्थापित करने की मंजूरी देने के आरोप के तहत आपराधिक मुकद्दमा दर्ज किया था। इस केस में रियलटर फर्म, गुलमोहर टाऊनशिप प्राइवेट लिमटिड के 3 लोगों को भी नामजद किया गया है। इस केस में विजीलैंस ने पी.एस.आई.ई.सी. के 7 अधिकारियों को पहले ही दिन गिरफ्तार कर लिया था। बाद में पूर्व अधिकारी एस.पी. सिंह को मोहाली के शमशानघाट से गिरफ्तार किया गया था। 

 

 


विजीलैंस ब्यूरो का आरोप है कि राज्य में उद्योगों को प्रफुल्लित करने के उद्देश्य से पंजाब सरकार ने साल 1987 में ‘आनंद लैंपस लिमटिड’ कंपनी को सेल डीड के द्वारा 25 एकड़ जमीन अलॉट की थी जो बाद में ‘सिगनीफायी इनोवेशन’ नामक फर्म को तबदील कर दी गई थी। यह प्लाट फिर पी.एस.आई.ई.सी. से एन.ओ.सी. प्राप्त करने के बाद सिग्नीफाई इनोवेशनज ने सेल डीड के द्वारा गुलमोहर टाऊनशिप को बेच दी थी। तत्कालीन उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा ने तारीख 17 मार्च 2021 को उक्त प्लॉट को आगे टुकड़ों में बांटने के लिए गुलमोहर टाऊनशिप से प्राप्त पत्र को उस समय की एम.डी. आई.ए.एस. अधिकारी नीलिमा को भेज दिया। जिसके बाद एक कमेटी का गठन करके उक्त प्लॉट के टुकड़े करने को मंजूरी दे दी गई थी जबकि विजीलैंस का कहना है कि वर्ष 1987 की डीड अनुसार यह प्लॉट सिर्फ औद्योगिक उद्देश्यों के लिए ही इस्तेमाल किया जाना था जबकि उक्त गुलमोहर टाऊनशिप की ऐसी कोई पृष्ठभूमि नहीं है।
इस संबंधी पंजाब विजीलैंस ने थाना मोहाली में भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा 13 (1) (ए), 13 (2) और भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 420, 465, 467, 468, 471, 120-बी के अंतर्गत केस दर्ज किया है।

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