अभी तक नहीं हुई PGI में रिपोर्ट्स की जांच, लोगों की जान से खिलवाड़

Edited By Updated: 25 Feb, 2016 09:37 AM

reprots investigation and checking of reports of patients issue

पीजीआई में मरीजों की जान के साथ तीन महीने तक होती रही लापरवाही की जांच आठ महीने से पूरी ही नहीं हुई है। पीजीआई में तीन महीने तक एक्सपायर्ड किट से ही रुबेला अौर हैपेटाइटिस-बी के टेस्ट होते रहे।

चंडीगढ़। पीजीआई में मरीजों की जान के साथ तीन महीने तक होती रही लापरवाही की जांच आठ महीने से पूरी ही नहीं हुई है। पीजीआई में तीन महीने तक एक्सपायर्ड किट से ही रुबेला अौर हैपेटाइटिस-बी के टेस्ट होते रहे। पीजीआई की वायरोलॉजी लैब में इस दौरान करीब 500 प्रेग्नेंट महिलाओं और लिवर के मरीजों के टेस्ट हुए। एक्सपायर्ड किट पर टेस्ट करने से रोकने के बजाय जूनियर फैकल्टी और टेक्निशियन को पुरानी किट पर ही टेस्ट करने को मजबूर करने की भी बात सामने आई है। 


अभी तक जांच पूरी ही नहीं हुई
ये लापरवाही सामने आने के बाद पिछले साल जून में पीजीआई प्रशासन ने जांच कमेटी गठित की। जांच के बाद ये लापरवाही करने वालों पर पीजीअाई प्रशासन को कार्रवाई करनी थी। अब इस जांच की रिपोर्ट का सच जानने की कोशिश की गई तो पता चला कि अभी तक जांच पूरी ही नहीं हुई। 
 
पिछले साल इस लापरवाही की शिकायत सेंट्रल विजिलेंस कमीशन, पीजीआई डायरेक्टर और सीवीओ और प्राइम मिनिस्टर को भी हुई। लेकिन फिर भी पीजीआई प्रशासन ने मरीजों की जान के साथ हुए इस खेल को गंभीरता से नहीं लिया। 
 
वायरोलॉजी लैब में प्रेग्नेंट लेडीज में रुबेला इंफेक्शन का पता लगाने के लिए एलिसा किट 12 नवंबर 2014 को एक्सपायर हो चुकी थी। लेकिन इन किट से पिछले साल फरवरी तक प्रेग्नेंट महिलाओं के टेस्ट किए जाते रहे। 
 
जांच की रिपोर्ट आरटीआई में मांगी
पीजीआई प्रशासन ने ये खिलवाड़ सामने आने के बाद प्रो. डी. बेहरा की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई। इस जांच कमेटी ने वायरोलॉजी डिपार्टमेंट के जूनियर फैकल्टी, टेक्निशियन और दूसरे पक्षों से बयान भी दर्ज किए। जब सात महीने बीतने के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई तो पीजीआई मेडिकल टेक्नोलॉजिस्ट्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी अश्वनी मुंजाल ने इस केस में हुई जांच की रिपोर्ट आरटीआई में मांगी। 
 
अब आरटीआई के जवाब में पता चला है कि जांच की रिपोर्ट अभी तक पीजीआई को ही नहीं दी गई। मुंजाल कहते हैं कि इससे पता चलता है कि मरीजों की जान के साथ हुई इतनी बड़ी लापरवाही को लेकर पीजीआई प्रशासन कितना गंभीर है। ऐसे मामलों में दोषी पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

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