33 करोड़ या 33 कोटि देवी-देवता, इस प्रश्न से जुड़ी हर confusion को करें दूर

Edited By Prachi Sharma,Updated: 09 Nov, 2023 07:44 AM

33 million gods and goddesses

हिन्दू धर्म से जुड़ी बहुत सी मान्यताएं सुनने को मिलती हैं। इन्हीं में से एक है कि 33 करोड़ और 33 कोटि देवी-देवता। कुछ लोगों के अनुसार

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हिन्दू धर्म से जुड़ी बहुत सी मान्यताएं सुनने को मिलती हैं। इन्हीं में से एक है कि 33 करोड़ और 33 कोटि देवी-देवता। कुछ लोगों के अनुसार हिंदू धर्म में कुल 33 करोड़ देवी-देवता हैं। तो वहीं कुछ लोगों के अनुसार 33 करोड़ नहीं बल्कि हिंदू धर्म में 33 कोटि देवी-देवता है। ये सब सुनने के बाद बहुत से सवाल मन में पैदा होते हैं कि कौन सी बात सच है और कौन सी झूठ। देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते हैं। कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता है। इसका अर्थ यह सामने निकल कर आता है कि हिंदू धर्म में 33 करोड़ नहीं बल्कि 33 कोटि यानि प्रकार के देवी-देवता हैं। अगर आप भी इसी गुत्थी में उलझे हुए है तो ये आर्टिकल आपके लिए बहुत ही खास होने वाला है। इस आर्टिकल में जानेंगे इसके पीछे का रहस्य।

12 प्रकार हैं :-
आदित्य, धाता, मित्र, अर्यमा, शक्रा, वरुण, अंश भाग, विवस्वान, पूष, सविता, तवास्था, और विष्णु...!

8 प्रकार हैं :-
वासु:, धरध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष।

11 प्रकार हैं :-
रुद्र: ,हरबहुरुप, त्रयंबक, अपराजिता, बृषाकापि, शंभू, कपार्दी, रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली।

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2 प्रकार हैं-
अश्विनी और कुमार-

इस तरह कुल हुए 12+8+11+2 = 33 कोटि देवी-देवता।

Apart from this, know this also इसके अलावा जानें ये भी -

दो पक्ष- कृष्ण पक्ष, शुक्ल पक्ष !

तीन ऋण - देव ऋण, पितृ ऋण, ऋषि ऋण !

चार युग - सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलियुग !

चार धाम - द्वारिका, बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम धाम !

चारपीठ - शारदा पीठ ( द्वारिका ), ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम ), गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ), शृंगेरीपीठ !

चार वेद- ऋग्वेद, अथर्वेद, यजुर्वेद, सामवेद !

चार आश्रम - ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास !

चार अंतःकरण - मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार !

पंचगव्य - गाय का घी, दूध , दही, गोमूत्र, गोबर !

पंच तत्त्व - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु , आकाश !

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छह दर्शन - वैशेषिक, न्याय, सांख्य, योग, पूर्व मिसांसा, दक्षिण मिसांसा !

सप्त ऋषि - विश्वामित्र, जमदाग्नि, भरद्वाज, गौतम, अत्री, वशिष्ठ और कश्यप!

सप्त पुरी - अयोध्या पुरी, मथुरा पुरी, माया पुरी ( हरिद्वार ), काशी, कांची ( शिन कांची - विष्णु कांची ), अवंतिका और द्वारिका पुरी !

आठ योग - यम, नियम, आसन, प्राणायाम , प्रत्याहार ,धारणा ध्यान एवं समाधि !

दस दिशाएं - उर्ध्व, ईशान, पूर्व, आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य, उत्तर और अधो।

पूर्व , पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ईशान, नैऋत्य, वायव्य , अग्नि आकाश एवं पाताल

बारह मास - चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ , श्रावण , भाद्रपद , अश्विन , कार्तिक , मार्गशीर्ष , पौष , माघ , फागुन !

पंद्रह तिथियां - प्रतिपदा , द्वितीय , तृतीय , चतुर्थी , पंचमी , षष्ठी , सप्तमी , अष्टमी , नवमी , दशमी , एकादशी , द्वादशी , त्रयोदशी , चतुर्दशी , पूर्णिमा ,
अमावास्या !

स्मृतियां - मनु , विष्णु , अत्री , हारीत , याज्ञवल्क्य , उशना , अंगीरा , यम , आपस्तम्ब , सर्वत , कात्यायन , ब्रहस्पति, पराशर , व्यास , शांख्य, लिखित, दक्ष, शातातप, वशिष्ठ !

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पंडित सुधांशु तिवारी
एस्ट्रोलॉजर/ ज्योतिषाचार्य


 

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