5th Navratri Skandamata: आज इस विधि से करें केले का दान, स्कंदमाता से पाएं मनचाहा वरदान

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 Apr, 2024 11:23 AM

5th navratri skandamata

नवरात्र के पांचवे दिन मां दुर्गा के पांचवे स्वरुप मां स्कंदमाता की उपासना की जाती है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम किया गया है। भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं।

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Chaitra Navratri 2024 Day 5: नवरात्र के पांचवे दिन मां दुर्गा के पांचवे स्वरुप मां स्कंदमाता की उपासना की जाती है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम किया गया है। भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं।

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Skandamata Swaroop स्कंदमाता का स्वरूप
स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं, जिनमें से माता ने अपने दो हाथों में कमल का फूल पकड़ा हुआ है। उनकी एक भुजा ऊपर की ओर उठी हुई है। जिससे वह भक्तों को आशीर्वाद देती हैं और एक हाथ से उन्होंने गोद में बैठे अपने पुत्र स्कंद को पकड़ा हुआ है। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। सिंह इनका वाहन है।

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Skandamata removes every difficulty हर कठिनाई दूर करती हैं मां स्कंदमाता
शास्त्रों में मां स्कंदमाता की आराधना का काफी महत्व बताया गया है। इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं।भक्त को मोक्ष मिलता है। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है। अतः मन को एकाग्र रखकर और पवित्र रखकर इस देवी की आराधना करने वाले साधक या भक्त को भवसागर पार करने में कठिनाई नहीं आती है।

Skandamata is the goddess of love स्‍नेह की देवी हैं स्कंदमाता
कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति माना जाता है और माता को अपने पुत्र स्कंद से अत्यधिक प्रेम है। जब धरती पर राक्षसों का अत्याचार बढ़ता है तो माता अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए सिंह पर सवार होकर दुष्टों का नाश करती हैं। स्कंदमाता को अपना नाम अपने पुत्र के साथ जोड़ना बहुत अच्छा लगता है इसलिए इन्हें स्नेह और ममता की देवी माना जाता है।

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Offer these things to Mother Skandmata मां स्कंदमाता को इन चीजों का भोग लगाएं
पंचमी तिथि के दिन पूजा करके भगवती दुर्गा को केले का भोग लगाना चाहिए और यह प्रसाद ब्राह्मण को दे देना चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है।

Mantra of Maa Skandamata मां स्कंदमाता का मंत्र
मां स्कंदमाता का वाहन सिंह है। इस मंत्र के उच्चारण के साथ मां की आराधना की जाती है:

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

इसके अतिरिक्त इस मंत्र से भी मां की आराधना की जाती है

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

Maa Skandmatas favorite flower and color मां स्कंदमाता का प्रिय फूल और रंग
मां स्कंदमाता को लाल रंग वाले फूल प्रिय हैं। आप मां स्कंदमाता को गुड़हल या लाल गुलाब का फूल अर्पित करें। आपकी मनोकामना पूरी होगी।

Importance of worshiping Maa Skandamata मां स्कंदमाता की पूजा का महत्व
मां स्कंदमाता की पूजा करने से दुख दूर होते हैं और पापों से मुक्ति मिलती है।

जो लोग संतानहीन हैं, उनको मां स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए और उनसे पुत्र प्राप्ति का आशीष मांगना चाहिए।

मां स्कंदमाता की पूजा करने से कार्यों में सफलता भी प्राप्त होती है। यदि शत्रुओं पर विजय की कामना से यह व्रत या पूजन कर रहे हैं तो आपको सफलता मिलेगी।

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Glory of Skandamata Devi स्कंदमाता देवी की महिमा
नवदुर्गा का पांचवां स्वरूप स्कंदमाता का है। यह माता चार भुजाधारी कमल के पुष्प पर बैठती हैं इसलिए मां को पद्मासना देवी भी कहा जाता है। इनकी गोद में कार्तिकेय भी बैठे हुए हैं। इनकी पूजा से कार्तिकेय की पूजा स्वयं हो जाती है। पौराणिक मान्यता है कि स्कंदमाता की आराधना से सूनी गोद भर जाती है।

How to worship Goddess Skandamata? कैसे करें देवी स्कंदमाता की पूजा ?
मां के समक्ष पीली चुनरी में एक नारियल रखें। स्वयं पीले वस्त्र धारण करके निम्न मंत्र का 108 बार जाप करें। “नन्दगोपगृहे जाता यशोदागर्भ सम्भवा. ततस्तौ नाशयिष्यामि विन्ध्याचलनिवासिनी"

इसके बाद नारियल को चुनरी में बांधकर अपने पास रख लें। इसको अपने शयनकक्ष में सिरहाने पर रखें। स्कंद माता की पूजा से संतान की प्राप्ति सरलता से हो सकती है। इसके अलावा संतान से कोई कष्ट हो रहा हो तो उसका भी अंत हो जाएगा। स्कंदमाता की पूजा में पीले फूल अर्पित करें और पीली चीजों का भोग लगाएं।

ऐसा माना जाता है कि कालिदास द्वारा रचित रघुवंशम महाकाव्य और मेघदूत रचनाएं स्कंदमाता की कृपा से ही संभव हुई। किसी भी पूजा को संपूर्ण तभी माना जाता है, जब आप अपने आराध्य की कोई प्रिय वस्तु उन्हें अर्पित करें तो चलिए अब आपको बताते हैं वो विशेष प्रसाद जिसके अर्पण से मां स्कंदमाता प्रसन्न होती हैं।

Special Prasad of Maa Skandamata मां स्कंदमाता का विशेष प्रसाद
मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाएं। इसके बाद इसको प्रसाद रूप में ग्रहण करें। इसे ग्रहण करने से संतान और स्वास्थ्य, दोनों की बाधाएं दूर होंगी। शास्त्रों में मां स्कंदमाता की महिमा बताई गई है। इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है इसलिए मन को एकाग्र और पवित्र रखकर इस देवी की आराधना करने वाले भक्त को भवसागर पार करने में कठिनाई नहीं आती है।

आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य
9005804317

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