Aja Ekadashi Vrat Katha: अजा एकादशी की ये कथा पढ़ते ही खुलेंगे मोक्ष के द्वार

Edited By Updated: 19 Aug, 2025 09:20 AM

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Aja Ekadashi 2025: भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन अजा एकादशी व्रत किया जाता है। इस वर्ष यह व्रत 19 अगस्त को होगा। इस पवित्र अवसर पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत से भक्तों के सारे...

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Aja Ekadashi 2025: भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन अजा एकादशी व्रत किया जाता है। इस वर्ष यह व्रत 19 अगस्त को होगा। इस पवित्र अवसर पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत से भक्तों के सारे पाप धुल जाते हैं और उनके जीवन को मृत्यु के बाद वैकुण्ठ प्राप्ति का वरदान मिलता है। अजा एकादशी के दिन व्रत कथा का पढ़ना भी अत्यंत आवश्यक है क्योंकि इसके बिना व्रत का पूरा लाभ नहीं मिलता। इसलिए इस दिन व्रत कथा का पाठ करना न भूलें, ताकि आप इस पवित्र व्रत के सभी आध्यात्मिक लाभ उठा सकें।

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प्राचीन समय की बात है, एक महान चक्रवर्ती सम्राट हरिश्चंद्र थे। उनके जीवन में एक कठिन परीक्षा आई, जिससे उनका पूरा राज्य छिन गया और वे अपने परिवार से दूर हो गए। पत्नी और पुत्र समेत पूरा परिवार उनसे जुदा हो गया। परिस्थितियां इतनी विपरीत हुईं कि वे चांडालों के यहां दास के रूप में जीवन बिताने लगे। चांडाल लोग सत्यप्रिय और सच्चाई के बहुत बड़े समर्थक होते थे। वे सोचने लगे कि कोई ऐसा उपाय किया जाए जिससे हरिश्चंद्र का परिवार और राज्य पुनः लौट आए।

एक दिन, जब वे सभी एक साथ बैठे थे, तो वहां पर प्रसिद्ध ऋषि गौतम का आगमन हुआ। राजा हरिश्चंद्र ने उनसे पूरी अपनी व्यथा व्यक्त की। ऋषि गौतम ने उनकी व्यथा सुनकर भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली अजा एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि इस व्रत को करने से सभी पाप समाप्त होंगे और हरिश्चंद्र की सारी परेशानियां दूर होंगी।

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हरिश्चंद्र ने पूरी श्रद्धा और विधि-विधान के साथ अजा एकादशी का व्रत रखा। उन्होंने भगवान विष्णु की भक्ति से पूजा-अर्चना की और जागरण किया। इसके बाद, उनके पापों का अंत हुआ, और आसमान से पुष्प बरसने लगे। भगवान की कृपा से उनका परिवार और राज्य पुनः उनके पास लौट आए। अंत में, मृत्यु के बाद उन्हें वैकुण्ठ की प्राप्ति भी हुई।

यही कारण है कि अजा एकादशी का व्रत अत्यंत शुभ माना जाता है और इसके पालन से मनुष्य के सारे पाप नष्ट होते हैं।

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