Edited By ,Updated: 07 May, 2015 01:18 PM

रसोईघर में बने भोजन के द्वारा भी ग्रहों को खुश किया जा सकता है। प्रतिदिन सभी के घर में भोजन बनता है यदि भोजन पकाते समय एक देवी अन्नपूर्णा का मंत्र बोलते हुए दिन वार के अनुसार भोजन बनाया जाए तो नवग्रह की कृपा पाने का यह सरलतम माध्यम है।
रसोईघर में बने भोजन के द्वारा भी ग्रहों को खुश किया जा सकता है। प्रतिदिन सभी के घर में भोजन बनता है यदि भोजन पकाते समय एक देवी अन्नपूर्णा का मंत्र बोलते हुए दिन वार के अनुसार भोजन बनाया जाए तो नवग्रह की कृपा पाने का यह सरलतम माध्यम है। सनातन धर्म मे देवी अन्नपूर्णा को जगदम्बा का ही एक रूप माना गया है, जिनसे सम्पूर्ण विश्व का संचालन होता है। इन्हीं देवी अन्नपूर्णा से संसार का भरण-पोषण होता है। अन्नपूर्णा का शाब्दिक अर्थ है- 'धान्य' (अन्न) की अधिष्ठात्री। सनातन धर्म की मान्यता है कि प्राणियों को भोजन देवी अन्नपूर्णा की कृपा से ही प्राप्त होता है।
वार अनुसार पकाएं खाना
* रविवार को राजमा अथवा सूजी से बना कोई भी व्यंजन।
* सोमवार को खीर अथवा दूध से बना कोई भी पदार्थ।
* मंगलवार को चूरमा, हलवा अथवा मसूर से बना कोई व्यंजन।
* बुधवार को हरी सब्जी या दाल।
* गुरूवार को चने की दाल अथवा बेसन से बनी कोई भी वस्तु।
* शुक्रवार को चावल अथवा चाशनी से बना कोई व्यंजन।
* शनिवार को उड़द अथवा तेल से बनें पदार्थ।
मंत्र: ह्रीं नम: भगवति माहेश्वरि अन्नपूर्णे स्वाहा ।।
गैस पर अग्नि प्रज्वलित करने से पूर्व पांच बार इस मंत्र का जाप करने से सभी नवग्रहों को तृप्ति मिलती है। जीवन मे धन, धान्य, वैभव और सुख प्राप्त होता है। अतः ग्रहों की अनुकनलता के अनुसार रसोई घर में अन्नपूर्णा मंत्र जाप करते हुए भोजन पकाकर व्यक्ति अपने भाग्य मे परिवर्तन कर सकता है।
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com