आपकी प्रार्थना कब सफल होगी ?

Edited By ,Updated: 19 May, 2015 12:41 PM

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ईश्वर से की गई प्रार्थना का तभी उत्तर मिलता है, जब हम अपनी शक्तियों को काम में लाएं। आलस्य , प्रमाद , अकर्मण्यता और अज्ञान ये सब अवगुण यदि मिल जाएं तो मनुष्य की दशा वह हो जाती है जैसे किसी कागज के थैले के अंदर तेजाब भर दिया जाए।

ईश्वर से की गई प्रार्थना का तभी उत्तर मिलता है, जब हम अपनी शक्तियों को काम में लाएं। आलस्य , प्रमाद , अकर्मण्यता और अज्ञान ये सब अवगुण यदि मिल जाएं तो मनुष्य की दशा वह हो जाती है जैसे किसी कागज के थैले के अंदर तेजाब भर दिया जाए। ऐसा थैला अधिक समय तक न ठहर सकेगा और बहुत जल्द गलकर नष्ट हो जाएगा।

ईश्वरीय नियम बुद्धिमान माली के समान हैं जो निकम्मे घास-कूड़े को उखाड़ कर फेंक देता है और योग्य पौधों की भरपूर साज संभाल रखकर उन्हें उन्नत बनाता है। जिसके खेत में निकम्मे खर-पतवार उग पड़ें उसमें अन्न की फसल मारी जाएगी। ऐसे किसान की कौन प्रशंसा करेगा जो अपने खेत की दुर्दशा करता है।  निश्चय ही ईश्वरीय नियम निकम्मे पदार्थों की गंदगी हटाते रहते हैं ताकि सृष्टि का सौंदर्य नष्ट न होने पाए।

प्रार्थना का सच्चा उत्तर पाने का सबसे प्रथम मार्ग आत्म-विश्वास है। कर्तव्यपरायण द्वारा ही सच्ची प्रार्थना होनी संभव है। ईश्वर नामक सर्वव्यापक सत्ता में प्रवेश करने का द्वार आत्मा में होकर है। वही इस खाई का पुल है। अविश्वासी और आत्मघाती लोग निश्चय ही विपत्ति में पड़े रहते हैं और सही मार्ग की तलाश करते फिरते हैं।आत्मतिरस्कार करने वालों को ईश्वर के यहां भी तिरस्कार मिलता है और उनकी प्रार्थना भी निष्फल चली जाती है।

- युगऋषि श्रीराम

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