क्या है वास्तु की प्रासंगिकता?

Edited By ,Updated: 25 May, 2015 04:17 PM

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यह सही है कि पृथ्वी अपनी धूरी पर घूमती हुई सूर्य की परिक्रमा करती है, साथ ही हमारा पूरा सौरमंडल भी आकाशगंगा में अनंत की ओर तेजी से दौड़ रहा है। रेलगाड़ी के कई डिब्बे पटरी पर एक साथ दौड़ते हैं तथा

यह सही है कि पृथ्वी अपनी धूरी पर घूमती हुई सूर्य की परिक्रमा करती है, साथ ही हमारा पूरा सौरमंडल भी आकाशगंगा में अनंत की ओर तेजी से दौड़ रहा है। रेलगाड़ी के कई डिब्बे पटरी पर एक साथ दौड़ते हैं तथा डिब्बों के गतिशील होने पर भी अंदर रखा सामान स्थिर रहता है। गति अचानक कम या ज्यादा होने पर ही सामान में अस्थिरता पैदा होती है जिससे हमारा सामान इधर-उधर बिखर जाता है।

इसी प्रकार पृथ्वी अपनी धुरी पर प्रारंभ से ही एक निश्चित गति के साथ ही घूम रही है जिस कारण सभी स्थूल चीजें अपनी जगह स्थिर हैं। वास्तुशास्त्र का मूल आधार विश्वव्यापी पंचतत्त्व पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश है। इन्हीं पांच तत्त्वों के अनुरूप घर को बनाना, सजाना, संवारना ही वास्तु कहलाता है।

- वास्तु गुरू कुलदीप सलूजा

thenebula2001@yahoo.co.in

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