Banke Bihari Mandir: भगवान के नाम पर वोट, अब मंदिरों पर कब्जा ? हाईकोर्ट ने उठाए सरकार के इरादों पर सवाल

Edited By Updated: 07 Aug, 2025 11:20 AM

banke bihari mandir

वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर से जुड़ी व्यवस्थाओं को लेकर लाए गए उत्तर प्रदेश सरकार के अध्यादेश पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया है।

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  Banke Bihari Mandir: वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर से जुड़ी व्यवस्थाओं को लेकर लाए गए उत्तर प्रदेश सरकार के अध्यादेश पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया है। मामले की सुनवाई करते हुए माननीय न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने सरकार की मंशा पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा कि “अध्यादेश की आड़ में सरकार मंदिर पर कब्जा करना चाह रही है। आप भगवान के नाम पर वोट मांगते हैं और अब उन्हीं की संपत्तियों पर भी कब्जा करना चाहते हैं।”
 
कोर्ट की मौखिक टिप्पणियों के मुख्य बिंदु:
"अध्यादेश वापिस लेना ही सरकार के हित में है" जज ने टिप्पणी की कि यदि सरकार अध्यादेश को वापस ले, तो वही उचित होगा। "सरकार का काम सड़क, बिजली और पानी तक सीमित रहना चाहिए। मंदिरों की व्यवस्थाएं सरकार का दायित्व नहीं हैं।"

 कोर्ट ने कहा कि सरकार मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान नहीं दे रही लेकिन मंदिर की आय पर नजर गड़ाए हुए है। "बिजली-पानी नहीं संभाल पा रहे और अब मंदिर का पैसा खाना चाहते हैं।"

 "IAS लॉबी और स्थानीय प्रशासन जिम्मेदार"
कोर्ट ने मथुरा में कार्यरत प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल  उठाए। "IAS लॉबी बेहतर व्यवस्था के लिए काम करें, न कि खुद अव्यवस्थाएं फैलाए। व्यवस्थाओं को प्रशासन खुद बिगाड़ रहा है ।"

 भगवान के नाम पर राजनीति बंद हो"
कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा: “भगवान के नाम पर वोट मांगना और फिर उन्हीं की संपत्तियों को हथियाना, ये दोहरी नीति है।” कोर्ट ने मंदिरों की संपत्तियों पर अवैध कब्ज़ों, अव्यवस्थाओं और दुर्दशा पर गहरी नाराजगी जताई।

अगली सुनवाई 26 अगस्त को
इस गंभीर टिप्पणी के बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 26 अगस्त निर्धारित की है। बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में एक अध्यादेश के जरिए वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर समेत कई बड़े धार्मिक स्थलों की प्रशासनिक व्यवस्था अपने हाथों में लेने का प्रस्ताव रखा था। सरकार का दावा था कि इससे श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी लेकिन संत समुदाय, ट्रस्ट और स्थानीय भक्तों ने इसे मंदिरों की स्वायत्तता पर हमला बताया। अब अदालत ने भी स्पष्ट संकेत दे दिया है कि सरकार की मंशा धार्मिक व्यवस्था संभालने की बजाय उस पर नियंत्रण स्थापित करने की लगती है।
 

 

 

 

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