Chanakya Niti: चाणक्य नीति की ये बातें बदल देंगी जिंदगी

Edited By Updated: 28 Aug, 2025 09:06 AM

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Chanakya Niti: चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य या विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, न केवल एक महान अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ थे, बल्कि एक अत्यंत गहन जीवन-दर्शन के ज्ञाता भी थे। उनकी नीतियों में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र से जुड़ी गूढ़ बातें हैं चाहे वह...

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Chanakya Niti: चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य या विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, न केवल एक महान अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ थे, बल्कि एक अत्यंत गहन जीवन-दर्शन के ज्ञाता भी थे। उनकी नीतियों में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र से जुड़ी गूढ़ बातें हैं चाहे वह राजा हो या आम नागरिक, विद्यार्थी हो या गृहस्थ। उनकी रचनाओं में चाणक्य नीति एक ऐसा ग्रंथ है, जो आज भी लोगों को मार्गदर्शन देता है। इसमें कई ऐसे सूत्र दिए गए हैं जो व्यक्ति के जीवन से दुख, निराशा और असफलता को दूर कर सकते हैं। चाणक्य ने विशेष रूप से कुछ आदतों का उल्लेख किया है, जो यदि व्यक्ति अपने जीवन में अपना ले, तो वह सभी कष्टों से मुक्त होकर सुखमय जीवन जी सकता है। आइए जानते हैं ऐसी चार अच्छी आदतों के बारे में जो चाणक्य नीति के अनुसार सभी दुखों का अंत कर सकती हैं।

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सदाचार
चाणक्य के अनुसार, सदाचार यानी नैतिकता और अच्छा आचरण ही व्यक्ति का सबसे बड़ा गहना होता है। यदि किसी व्यक्ति का व्यवहार विनम्र, ईमानदार और मर्यादित हो, तो वह समाज में आदर प्राप्त करता है और जीवन में समस्याएं अपने आप कम हो जाती हैं। जो व्यक्ति सदाचार को अपनाता है, वह रिश्तों में सच्चाई, कार्य में पारदर्शिता और जीवन में स्पष्टता लेकर आता है। ऐसे व्यक्ति पर संकट कम आते हैं क्योंकि वह लोगों का विश्वास अर्जित करता है और यही विश्वास उसे कठिन समय में सहयोग दिलाता है।

संयम
मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसका असंयमित मन होता है। चाणक्य कहते हैं कि जब तक व्यक्ति अपनी इच्छाओं, क्रोध, वाणी और व्यवहार पर नियंत्रण नहीं करता, तब तक वह दुखों से नहीं बच सकता। संयम से जीवन में स्थिरता आती है। वह व्यक्ति जो संयमी होता है, वह निर्णय सोच-समझकर लेता है, जल्दी गुस्से में नहीं आता और जीवन में संतुलन बनाए रखता है। ऐसे लोग आत्म-संतोष से भरपूर होते हैं और दुख उनसे दूर रहते हैं।

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संगति की शुद्धता
चाणक्य नीति में संगति का प्रभाव बार-बार बताया गया है। वह कहते हैं कि यदि व्यक्ति सज्जनों की संगति करता है तो उसका जीवन भी सुसंस्कृत और सुखमय बनता है। वहीं, दुष्ट या नकारात्मक लोगों की संगति जीवन को कष्टमय बना देती है। यदि आप चाहते हैं कि आपका जीवन सुखमय हो, तो उन लोगों से संबंध रखें जो प्रेरणादायक, ईमानदार और सकारात्मक हों। सही संगति में व्यक्ति गलतियों से बचता है, सही सलाह पाता है और उसका आत्मविश्वास बना रहता है।

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