चाणक्य नीति सूत्र:  ‘कल्याण’ का मार्ग ही जीवन-शक्ति

Edited By Jyoti,Updated: 26 Jul, 2022 04:29 PM

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आचार्य चाणक्य एख ऐसी शख्सियत माने जाते हैं जिन्हें अपनाने वाले लोग न केवल प्राचीन समय में थे, बल्कि वर्तमान समय में लोग इनकी नीतियों को अपनाते हैं और अपने जीवन को बेहतर बनाने के प्रयास करते हैं। हमेशा की तरह आज एक बार फिर हम आपके लिए लाएं हैं

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आचार्य चाणक्य एख ऐसी शख्सियत माने जाते हैं जिन्हें अपनाने वाले लोग न केवल प्राचीन समय में थे, बल्कि वर्तमान समय में लोग इनकी नीतियों को अपनाते हैं और अपने जीवन को बेहतर बनाने के प्रयास करते हैं। हमेशा की तरह आज एक बार फिर हम आपके लिए लाएं हैं आचार्य चाणक्य के नीति सूत्र के कुछ ही ऐसे श्लोक, जो मानव जीवन से संबंधित है और इनके लिए फायेदमंद है। 
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‘कल्याण’ का मार्ग ही जीवन-शक्ति
भूत्यनुवर्तनं पुरुषस्य रसायनम्

भावार्थ : पुरुष के लिए कल्याण का मार्ग अपनाना ही उसके लिए जीवन-शक्ति है। संसार में जो दूसरों के हित के लिए अग्रसर रहता है, उसका उत्साह ही उसे जीवन में कुछ करने की प्रेरणा देता है। वह सबका प्रिय हो जाता है। सबका स्नेह ही उसकी जीवन शक्ति बन जाता है।

घटिया लोगों से ‘सावधान’ रहें
सुदुष्करं कर्म कारयित्वा कर्तारमवमन्यते नीच:।

भावार्थ : कठिन कार्य करवा लेने के उपरांत भी घटिया व्यक्ति कार्य करवाने वाले का अपमान ही करता है। घटिया व्यक्ति का काम चाहे कितने ही परिश्रम से किया गया हो, अंत में बुराई ही मिलती है। उसे संतुष्ट करना बड़ा कठिन है।
 

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उपकार कभी न भूलो
नाकृतज्ञस्य नरकान्निवर्तनम्।

भावार्थ : कृतघ्न अर्थात उपकार न मानने वाले व्यक्ति को नर्क ही प्राप्त होता है। जो व्यक्ति किसी का उपकार नहीं मानता, चाहे उसके साथ कितना भी बड़ा उपकार किया गया हो, ऐसा व्यक्ति नारकीय दुखों को ही भोगता है। 

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‘उन्नति’ और ‘अवनति’वाणी के अधीन 
जिह्वायत्तौ वृद्धिविनाशौ।

भावार्थ : मनुष्य को अपने मुख से कोई भी बात बहुत सोच-समझकर निकालनी चाहिए क्योंकि मुख से निकले शब्द सामने वाले को प्रसन्न भी कर सकते हैं और नाराज भी। यदि आप मधुर शब्द बोलते हैं तो सभी आपके सहायक होते हैं और कटु वचन बोलने पर सभी आपके विरोधी हो जाते हैं।

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