अद्भुत मंदिर जहां चोरी करने से पूरी होती मन्नतें, भरती है सूनी गोद

Edited By Updated: 08 Jun, 2025 02:45 PM

chudamani devi mandir roorkee uttarakhand

Chudamani Devi Mandir Roorkee Uttarakhand: सच्चे और ईमानदार लोग भगवान को बहुत प्रिय होते हैं। उनके साथ वो कभी कुछ बुरा नहीं होने देते सदा उनके अंग-संग रहते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं पाप करने पर भी पुण्य प्राप्त किया जा सकता है। आज हम आपको यात्रा...

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Chudamani Devi Mandir Roorkee: उत्तराखंड के रूड़की में स्थित चूड़ामणि शक्तिपीठ में अद्भूत मान्यता है की यहां चोरी करने से पूरी होती हैं मन्नतें, भरती है सूनी गोद। रुड़की से लगभग 20 किमी दूर भगवानपुर के चुड़ियाला गांव में 51 सिद्धपीठों में से एक सिद्धपीठ मां चूड़ामणि देवी मंदिर है। इस मंदिर में मां को लकड़ी का गुड‍्डा (लोकड़ा) भेंट किया जाता है। संतानहीन दंपत्ति मां के चरणों से इस गुड्डे को चुरा लेते हैं और अपने घर ले जाते हैं। जब उनकी गोद भर जाती है तो वह मां के मंदिर में चोरी किए हुए गुड्डे के साथ एक और गुड्डा बनाकर मां को उपहार स्वरूप देते हैं। इसके अतिरिक्त वह अपनी क्षमता के अनुसार मंदिर में भंडारा भी करवाते हैं।

Chudamani Devi Mandir Roorkee Uttarakhand
एक अन्य लोक मान्यता के अनुसार जब इस स्थान पर जंगल होता था तो उस समय जंगल का राजा शेर प्रतिदिन मां के दर्शनों के लिए आता था।

Chudamani Devi Mandir Roorkee Uttarakhand
माता सती और भगवान शंकर के विवाह उपरांत राजा दक्ष ने एक विराट यज्ञ का आयोजन किया लेकिन उन्होंने अपने दामाद और पुत्री को यज्ञ में निमंत्रण नहीं भेजा।

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फिर भी सती अपने पिता के यज्ञ में पहुंच गई लेकिन दक्ष ने पुत्री के आने पर उपेक्षा का भाव प्रकट किया और शिव के विषय में सती के सामने ही अपमानजनक बातें कही। सती के लिए अपने पति के विषय में अपमानजनक बातें सुनना हृदय विदारक और घोर अपमानजनक था। यह सब वह बर्दाश्त नहीं कर पाई और इस अपमान की कुंठावश उन्होंने वहीं यज्ञ कुंड में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए।

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जब भगवान शिव को माता सती के प्राण त्यागने का ज्ञात हुआ तो उन्होंने क्रोध में आकर वीरभद्र को दक्ष का यज्ञ ध्वंस करने को भेजा। उसने दक्ष का सिर काट दिया। इसके बाद दुखी होकर सती के शरीर को अपने सिर पर धारण कर तांडव नृत्य करने लगे। पृथ्वी समेत तीनों लोकों को व्याकुल देख कर भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र द्वारा माता सती के शरीर के टुकड़े करने शुरू कर दिए।

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इस प्रकार सती के शरीर का जो हिस्सा और धारण किए आभूषण जहां-जहां गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आ गए। उत्तराखंड के रूड़की में स्थित चूड़ामणि शक्तिपीठ वह स्थान है जहां देवी सती का चूड़ा गिरा था। 

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