Edited By Sarita Thapa,Updated: 01 Sep, 2025 07:06 AM

Dr Rajendra Prasad story: एक स्कूल के छात्र विद्यालय के प्रांगण में खड़े थे। उस दिन प्रधानाचार्य परीक्षाफल घोषित करने वाले थे। थोड़ी ही देर में उन्होंने सूची से सफल और असफल छात्रों के नाम पढ़ने शुरू किए।
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Dr Rajendra Prasad story: एक स्कूल के छात्र विद्यालय के प्रांगण में खड़े थे। उस दिन प्रधानाचार्य परीक्षाफल घोषित करने वाले थे। थोड़ी ही देर में उन्होंने सूची से सफल और असफल छात्रों के नाम पढ़ने शुरू किए। सारे नाम पढ़ने के बाद प्रधानाचार्य ने सफल छात्रों को बधाई दी और असफल छात्रों को और ज्यादा लगन से पढ़ाई करने की सलाह दी।

इसके बाद वह मंच से उतर ही रहे थे कि एक छात्र उनकी ओर बढ़ा। उसने कहा, “सर, आपने अभी जो लिस्ट पढ़ी उसमें मुझे अनुत्तीर्ण बताया गया है।”
‘तो?’ प्रधानाचार्य ने पूछा। छात्र ने आत्मविश्वास से कहा, “सर मैं अनुत्तीर्ण नहीं हो सकता।”
प्रधानाचार्य ने कड़े लहजे में कहा, “क्या मतलब है तुम्हारा, यह लिस्ट गलत है? समय पर पढ़ाई करोगे नहीं तो रिजल्ट खराब नहीं होगा? तुम फेल हो गए हो इस बात को मानो और ज्यादा ध्यान से पढ़ाई करो ताकि अगली बार अच्छा रिजल्ट आए।” लेकिन छात्र ने दोबारा यही बात कही, “सर, मैं फेल नहीं हो सकता।”

अब प्रधानाचार्य का धैर्य जवाब दे गया। लेकिन इससे पहले कि वह छात्र पर बरस पड़ते, वाइस प्रिंसिपल वहां हड़बड़ाए हुए आए। उन्होंने प्रधानाचार्य से कहा, उनके पास भेजी हुई लिस्ट में कुछ गड़बड़ियां रह गई हैं। संशोधित लिस्ट लेकर प्रधानाचार्य ने देखा तो उसमें उस छात्र का नाम न केवल उत्तीर्ण छात्रों की श्रेणी में, बल्कि उसमें भी पहले स्थान पर था।
अब प्रधानाचार्य बड़े शर्मिंदा हुए। उन्होंने मंच से सार्वजनिक रूप से अपनी गलती बताई और उसके लिए सभी छात्रों से, खास तौर पर उस छात्र राजेंद्र से माफी भी मांगी। वह छात्र बड़ा होकर देश का पहला राष्ट्रपति बना जिन्हें हम डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नाम से जानते हैं।
